Ravichandran Ashwin Retirement : क्रिकेटर रविचंद्रन अश्विन ने अपनी पहली पारी पर विराम लगा दिया. विरल व्यक्तित्व! हमेशा हट कर सोचने का हुनर! स्थापित मान्यताओं को चुनौती देने का दम-खम! और इन सबके बावजूद, आंकड़ों की रेस में कमतर नहीं! यह है रविचंद्रन अश्विन की पहली पारी की विरासत का लब्बोलुवाब. अश्विन ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से अपने संन्यास की स्क्रिप्ट को भी अपने व्यक्तित्व की तरह ही रखा. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच ब्रिस्बेन टेस्ट मैच अपने आखिरी पड़ाव पर था. कैमरे की नजर ड्रेसिंग रूम की और जाती हैं. विराट कोहली और अश्विन के बीच कुछ भावनात्मक पल. दोनों गले लगते हैं. कमेंटरी बॉक्स में बैठे शब्दों के शिल्पकार को भनक लग जाती है. और फिर, बिना लाग-लपेट के अश्विन कप्तान रोहित शर्मा के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में आकर संन्यास का एलान कर चले जाते हैं.
खेल के दीवानों को महेंद्र सिंह धौनी के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की याद आ जाती है. धौनी ने भी ऑस्ट्रेलिया में सीरीज के बीच में संन्यास का एलान कर दिया था. क्रिकेट के पारंपरिक पंडितों ने तब भी उनकी आलोचना की थी. अश्विन ने भी ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज के बीच ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा दिया. पूर्व क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने संन्यास के समय पर सवाल उठाया, लेकिन यह नये हिंदुस्तान की बदलती हुई पीढ़ी है और अश्विन तो नयी सोच के सूत्रधार रहे हैं.
अश्विन ने अपने करियर की शुरुआत बतौर ओपनर की थी, पर उन्हें जल्द ही अंदाजा हो गया कि ओपनर के रूप में वह आगे नहीं जा सकेंगे, क्योंकि तमिलनाडु की टीम में तब मुरली विजय, एस बद्रीनाथ, दिनेश कार्तिक जैसे बल्लेबाज थे. फिर अश्विन ने चौथे नंबर पर बल्लेबाजी के साथ ऑफ स्पिन गेंदबाजी शुरू की और पीछे मुड़ कर नहीं देखा.
यह स्पिनर के तौर पर अश्विन का हुनर ही था कि हरभजन सिंह जैसे बड़े स्पिनर को बीते कल का हिस्सा बनना पड़ा. अश्विन लगातार अपने तरकश में नये तीर जोड़ते चले गये. आम तौर पर जब कोई शिखर पर होता है, तो वह नये प्रयोग से डरता है, लेकिन अश्विन का दूसरा नाम ही प्रयोग था. ऑफ स्पिन, साइड स्पिन, आर्म बॉल, कैरम बॉल, टॉप स्पिन, फ्लिकएड बॉल, रिवर्स फ्लिक से लेकर लेग स्पिन तक-उनके तरकश में इतने तीर जुड़ते चले गये कि भारतीय विकेट पर उनको खेलना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन-सा बन गया.
अश्विन के दौर में भारतीय विकेट टीम इंडिया का अभेद्य किला बन गया. कुल 106 टेस्ट मैच, 537 विकेट, एक टेस्ट में 10 विकेट लेने की उपलब्धि आठ बार, पांच विकेट लेने का करिश्मा 37 बार और चार विकेट लेने का कमाल 25 बार-उनके हुनर और दबदबे पर मुहर लगाते हैं. अश्विन ने टॉप आर्डर में बल्लेबाजी छोड़ कर स्पिन का दामन थामा था, लेकिन उनका बल्ला भी वक्त-वक्त पर टीम के लिए खूब काम आया. टेस्ट मैचों की 151 पारियों में उनके 3,503 रन हैं, जिनमें छह शतक और 14 अर्धशतक शामिल हैं. अगर भारतीय ऑल राउंडर की बात करें, तो अश्विन ने महान कपिल देव से अधिक विकेट लिए और उनसे कम रन बनाये .
अश्विन के बारे में उनके एक साथी खिलाड़ी ने एक बार मुझे कहा था- अश्विन में जबर्दस्त काबिलियत है, लेकिन वह बहस बहुत करते हैं. शायद यही अश्विन की सबसे बड़ी ताकत थी. इसलिए वह हमेशा कुछ अलग करते चले गये. क्रिकेट में नॉन स्ट्राइकर पर बल्लेबाज जब क्रीज से आगे चला जाता है, तो आम तौर पर गेंदबाज उसे रन आउट नहीं करता, क्योंकि इसे क्रिकेट की मूल भावना के खिलाफ समझा जाता है, लेकिन अश्विनने इसे चुनौती दी और कहा कि अगर क्रिकेट के नियम में इस स्थिति में रन आउट करने का प्रावधान है, तो इसका इस्तेमाल क्यों न किया जाए. कई मुद्दों पर अश्विन अलग राय रखते थे और उसे जाहिर भी करते थे.
ऑस्ट्रेलिया में भारत पाकिस्तान के बीच टी-20 वर्ल्ड कप का एक यादगार मुकाबला था. उस मैच को विराट कोहली की यादगार पारी के लिए याद किया जाता है, लेकिन मैच के निर्णायक आखिरी ओवर में लेग स्टंप के बाहर जाती एक गेंद पर अश्विन अंदर आ जाते हैं और गेंद को वाइड करार दिया जाता है. वह बहुत ही साहस भरा फैसला था. अगर वह गेंद अश्विन के पैड से टकरा जाती, तो क्या होता? लेकिन उस नाजुक वक्त में भी ऐसी सोच अश्विन से ही संभव थी. जाहिर है, अश्विन को समझना क्रिकेट के पारंपरिक पंडितों की समझ से बाहर की चीज है! पारंपरिक सोच के हिसाब से अश्विन भारतीय क्रिकेट के सबसे कामयाब गेंदबाज अनिल कुंबले के सर्वाधिक विकेट का पीछा करते या फिर वह इंतजार करते कि भारत वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बना पाता है या नहीं, लेकिन शायद उन्होंने भारत बनाम न्यूजीलैंज सीरीज में भारत की शर्मनाक हार के बाद संन्यास का मन बना लिया था.
अश्विन की पहचान टीम इंडिया के घरेलू मैदान पर अभेद्य किले से थी. और जब यह किला ही भेदा जा चुका था, तो वाशिंगटन सुंदर जैसे युवा क्रिकेटर के रास्ते में आने की कोई वजह नहीं थी. फिर अगर भारत वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाता है, तो भी फाइनल इंग्लैंड में होना है, और अश्विन टीम प्रबंधन को किसी भी दुविधा में नहीं रखना चाहते थे.
लेकिन उन्होंने प्रेस कॉन्प्रेंस में संकेत दिया कि क्रिकेट में दूसरी पारी उनका इंतजार कर रही है. अश्विन इस बार आइपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स की तरफ से खेलेंगे. अश्विन का अपना एक बहुचर्चित यूट्यूब चैनल है, जो काफी मशहूर है. इसमें वह रोचक कंटेंट डालने के लिए जाने जाते हैं. लिहाजा वह सोशल मीडिया पर क्रिकेट में एक अलग सोच के लीडर बन सकते हैं. एक किताब लिख कर इस दिशा में वह कदम भी रख चुके हैं. भारतीय क्रिकेट के कमेंटरी बॉक्स को अश्विन जैसी नयी सोच और आवाज की तलाश है. वह एक और दक्षिण भारतीय क्रिकेटर राहुल द्रविड़ की तरह कोच और मेंटर बनने की काबिलियत रखते हैं. अश्विन ने पहली पारी को तो अलविदा कह दिया है, लेकिन क्रिकेट मैदान में उनकी दूसरी पारी उनकी पहली पारी से भी प्रभावी होने की संभावना व्यक्त की जा रही है, तो वह यों ही नहीं है.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)