Rural India Festival 2025 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को नयी दिल्ली के भारत मंडपम में ‘ग्रामीण भारत महोत्सव, 2025’ का उद्घाटन किया. इस छह दिवसीय आयोजन का उद्देश्य ग्रामीण भारत को सशक्त करना है. इस दौरान जीवंत प्रस्तुतियों और प्रदर्शनियों के जरिये भारत की सांस्कृतिक धरोहर का प्रदर्शन किया जायेगा. इसके अलावा सरकारी अधिकारी, ग्रामीण उद्यमी, शिल्पकार और अलग-अलग क्षेत्रों के हितधारक ग्रामीण भारत में सार्थक बदलाव लाने के लिए सामूहिक रूप से रूपरेखा तैयार करेंगे.
नाबार्ड व दूसरे संगठनों की मदद से शुरू हुआ यह महोत्सव ग्रामीण भारत की विकास यात्रा के बारे में बताता है. इस महोत्सव का विषय है, ‘विकसित भारत 2047 के लिए आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत का निर्माण’. सरकार का मानना है कि 2047 तक अगर भारत को विकसित राष्ट्र बनना है, तो ग्रामीण भारत का विकसित और मजबूत होना आवश्यक है. और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने के लिए जरूरी यह है कि आर्थिक नीतियां गांव के हर वर्ग को ध्यान में रहकर बनायी जायें.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे गांव जितने समृद्ध होंगे, विकसित भारत के संकल्प को साकार करने में उनकी भूमिका उतनी ही बड़ी होगी. उन्होंने रेखांकित किया कि पीएम-किसान योजना ने किसानों को लगभग तीन लाख करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता पहुंचायी है. पिछले एक दशक में कृषि ऋण की राशि 3.5 गुना बढ़ गयी है. गांवों के लाखों घरों में पीने को साफ पानी मिल रहा है, ग्रामीण भारत के 1.5 लाख आयुष्मान आरोग्य मंदिरों से लोगों को बेहतर स्वस्थ्य सुविधाएं मिल रही हैं, डिजिटल तकनीक से बेहतरीन डॉक्टर और अस्पताल भी गांवों से जुड़ रहे हैं. स्वामित्व योजना जैसे अभियानों के जरिये गांवों के लोगों को संपत्ति के दस्तावेज दिये जा रहे हैं, मुद्रा योजना, स्टार्ट-अप इंडिया और स्टैंड-अप इंडिया जैसी योजनाओं के जरिये ग्रामीण युवाओं की मदद की जा रही है तथा पशुपालकों व मछली पालकों को भी किसान क्रेडिट कार्ड दिये जा रहे हैं.
किसानों को उनकी फसलों का सही दाम दिलाने के लिए 2021 में एक अलग मंत्रालय का गठन किया गया. यह भी गौरतलब है कि कुछ ही दिन पहले केंद्रीय कैबिनेट ने पीएम-फसल योजना को एक साल और बढ़ाने की मंजूरी दी है. प्रधानमंत्री ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एक हालिया रिपोर्ट का जिक्र किया, जिसके मुताबिक, 2012 में देश में ग्रामीण गरीबी लगभग 26 प्रतिशत थी, जो कि 2024 में घटकर करीब पांच फीसदी रह गयी. जाहिर है, यह महत्वाकांक्षी आयोजन ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने में बड़ी भूमिका निभायेगा.