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देश में बढ़ते कैंसर के गंभीर संकेत

कैंसर से बचने के लिए नियमित भोजन, उचित नींद, शारीरिक व्यायाम, नशे की वस्तुओं से दूरी यानी आहार, व्यवहार और विचार तीनों ही चीजों में सकारात्मक बदलाव की जरूरत है.

डॉ अंशुमान कुमार, वरिष्ठ कैंसर विशेषज्ञ, दिल्ली

dranshumankumar@gmail.com

बीते 20-25 वर्षों से कहता आया हूं कि 2020 तक कैंसर को लेकर बहुत ही आश्चर्यजनक आंकड़ा आनेवाला है. देश में अगर कैंसर के मामले ऐसे ही बढ़ते रहे, तो हिंदुस्तान पूरे विश्व के कैंसर की राजधानी बन जायेगा. सबसे ज्यादा तंबाकू से होनेवाले कैंसर के मामले भारत में दर्ज किये जायेंगे. कैंसर का एक बड़ा कारण जीवनशैली है. अब आइसीएमआर की रिपोर्ट आने के बाद इस बात की जोर-शोर से चर्चा हो रही है. हालांकि, आंकड़ों से आंशिक सहमत हूं.

यह आंकड़ा 12 प्रतिशत की बजाय अधिक हो सकता है. भारत में कैंसर के सभी मामले पारदर्शिता से दर्ज नहीं हो रहे हैं. कस्बों और छोटे शहरों के मामले बड़े शहरों में नहीं पहुंचते. आइसीएमआर की रिपोर्ट में दर्ज आंकड़े बड़े शहरों या कैंसर के निर्धारित अस्पतालों से लिये जाते हैं. छोटे शहरों में कैंसर मरीज ऑपरेशन, कीमो या रेडिएशन लेता है, कई बार तो उचित इलाज नहीं मिल पाने से उसकी मौत हो जाती है, पर ऐसे मामलों की वास्तविक स्थिति का सही अंदाजा नहीं लग पाता है.

तंबाकू कैंसर का एक मुख्य कारण है. रिपोर्ट में इसे 27 प्रतिशत बताया गया है. संभव है कि यह 30 प्रतिशत से ज्यादा हो. तंबाकू की वजह से मुंह, गले, फेफड़े, आहार नली, ब्लड कैंसर हो रहे हैं. वायुप्रदूषण भी फेफड़े के कैंसर का कारण बन रहा है. धूम्रपान नहीं करनेवालों के लिए भी यह चिंताजनक है. मिट्टी और जल प्रदूषण की वजह से आजकल सब्जियां और खाद्य पदार्थ विषाक्त हो रहे हैं. सब्जियों में आर्सेनिक, कैडमियम, मरकरी, लेड की मात्रा आ रही है, क्योंकि सिंचाई के पानी में फैक्ट्रियों और रसायनों की गंदगी खेतों में पहुंच रही है. अच्छी जीवनशैली, हरी सब्जियां खाने और कोई नशा नहीं करने के बावजूद भी लोग इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं. एक बड़ा कारण घर से लेकर वातावरण तक फैला प्लास्टिक भी है.

इसमें जीएसए कैंसर का कारण बनता है. आजकल फास्टफूड, पिज्जा, बर्गर आिद खाने का चलन बढ़ रहा है. इनमें सैचुरेटेड फैट होता है. भारतीय खाने की तरह में इसमें फाइबर नहीं होता है. इससे आंत का कैंसर, महिलाओं में स्तन का कैंसर, पुरुषों में प्रोस्टेट का कैंसर होने लगा है. मेलामाइन से बननेवाला नकली दूध भी खतरनाक है. तरह-तरह के केमिकल मानव शरीर में पहुंच रहे हैं. कैंसर घातक बीमारी जरूर है, लेकिन इसे रोका भी जा सकता है. क्या हम तंबाकू को पूरे देश में बंद नहीं कर सकते हैं? तंबाकू, सिगरेट, बीड़ी, सुपारी, गुटखा, जिस भी रूप में तंबाकू उत्पाद है, उसे तत्काल बंद कर देना चाहिए.

जिनका ये तर्क है कि तंबाकू किसानों को इससे नुकसान हो जायेगा, तो उसका विकल्प दलहन या आलू की खेती हो सकती है. तंबाकू की बजाय अन्य जगह निवेश करने की आवश्यकता है. तंबाकू के अर्थशास्त्र को अगर समझें, तो तंबाकू के उत्पादों से जितना रेवेन्यू सरकार को मिलता है, उससे कई गुना ज्यादा देश को इससे होनेवाली बीमारी पर खर्च करना पड़ता है. यह खर्च चाहे सरकार करे या मरीज अपनी जेब से करे. अगर हम इस बीमारी को रोकने के लिए खर्च को बचा सकते हैं, तो देश को इससे बड़ा फायदा होगा.

दूसरा, अगर हम खाद्य पदार्थों में होनेवाली मिलावट को रोक दें या सब्जियों का आदि की टेस्टिंग होने लगे, तो कोई भी ऐसी जगह से उगा कर सब्जियां नहीं बेचेगा, जहां की मिट्टी और पानी जहरीला है. कई छोटे देशों में इसे बड़ा अपराध माना जाता है. यह कानूनी और नैतिक तौर पर भी बड़ा अपराध है. हमारे यहां खाने में मिलावट की वजह से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हो रही है. हम इससे बचाव कर सकते हैं, लेकिन उपाय नहीं हो रहा है. आजादी के इतने वर्षों बाद भी देश में कैंसर को रोकने और जागरूकता के लिए कोई अभियान नहीं है और न ही धरातल पर कोई प्रभावी कार्य किया जा रहा है. व्यक्तिगत तौर पर बीते 20 वर्षों में जागरूकता की इस कोशिश में लगा हूं.

कैंसर पीड़ित मरीज का दर्द बहुत हृदय विदारक होता है. वह जीवन बचाने की गुहार लगाता है. कैंसर का ऑपरेशन करके सफलता के बजाय मैं इसको रोकने में अपनी सफलता मानता हूं. इसे रोकने के लिए पेपर पर तो काम किया गया है, लेकिन जमीन पर कोई कारगर उपाय नहीं किया गया. कैंसर कारक तत्वों का सेलिब्रिटी द्वारा प्रचार करने की परंपरा ही गलत है. केवल छोटी चेतावनी लिख देना पर्याप्त नहीं है. तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम चलता है, जिसमें आप लोगों से तंबाकू नहीं खाने की बात करते हैं. इससे आसान है कि इसे आप प्रतिबंधित कर दीजिए.

साथ ही इसके बचाव के लिए जरूरी है कि नियमित भोजन, उचित नींद, शारीरिक व्यायाम, नशे की वस्तुओं से दूरी यानी आहार, व्यवहार और विचार तीनों ही चीजों में सकारात्मक बदलाव की जरूरत है. शुद्ध भारतीय भोजन करें. तंबाकू, सिगरेट, शराब से दूर रहें. जल्दी जगें, व्यायाम करें, प्लास्टिक के बर्तनों के इस्तेमाल से बचें, साफ सफाई का ध्यान रखें. महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर गंदगी के कारण होता है. सही विचार रखें यानी तनाव मुक्त रहें. यह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तौर पर कैंसर का कारण बनता है. आहार, विचार और व्यवहार को सही रखें, तो कैंसर जैसी बीमारी को बिल्कुल रोक सकते हैं.

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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