वित्त वर्ष 2021-22 में सेवा क्षेत्र में निर्यात 254.4 अरब डॉलर रहा, जो अभूतपूर्व है. इसी के साथ भारत का कुल निर्यात 676.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जो 2020 में 538 अरब डॉलर और 2021 में लगभग 498 अरब डॉलर रहा था. सेवा क्षेत्र में यह उपलब्धि दूरसंचार, कंप्यूटर व सूचना सेवाओं और अन्य कारोबारी सेवाओं के बढ़ते निर्यात से हासिल हुई है. वर्ष 2020-21 में यह आंकड़ा 206 अरब डॉलर रहा था.
कुछ दिन पहले वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने जानकारी दी थी कि बीते वर्ष के लिए सेवा क्षेत्र में निर्यात का प्रारंभिक लक्ष्य 225 अरब डॉलर रखा गया था, जिसे संशोधित कर 250 अरब डॉलर किया गया था. इस लक्ष्य को भी पार कर लिया गया है. इससे इंगित होता है कि हालिया वर्षों में भारत बिजनेस प्रोसेसिंग ऑफिस (बीपीओ) तक सीमित रहने के बजाय आधुनिक तकनीक से जुड़ी विभिन्न सेवाओं की वैश्विक आपूर्ति शृंखला में लगातार आगे बढ़ता जा रहा है.
इस संबंध में यह तथ्य उल्लेखनीय है कि अप्रैल से दिसंबर, 2021 की अवधि में दूरसंचार, कंप्यूटर और सूचना सेवाओं के निर्यात का मूल्य लगभग 92 अरब डॉलर रहा था, जबकि इस अंतराल में इन सेवाओं में 10.48 अरब डॉलर का ही आयात करना पड़ा था. इससे यह भी संकेत मिलता है कि सूचना तकनीक में सेवा क्षेत्र घरेलू बाजार के लिए भी बड़ी मात्रा में आपूर्ति मुहैया करा रहा है.
दिसंबर तक पेशेवर और कारोबारी सेवाओं का निर्यात 42.13 अरब रहा था, पर 37.81 अरब डॉलर मूल्य की ऐसी सेवाओं का आयात भी करना पड़ा था. इस आयात का एक बड़ा कारण देश में बढ़ता निवेश है, पर इसमें बेहतरी की संभावनाएं हैं. यह भी महत्वपूर्ण है कि 2021-22 में लगभग हर क्षेत्र में निर्यात बढ़ा है. बीते साल हर घंटे 48 मिलियन डॉलर का मूल्य का निर्यात हुआ है.
कोरोना महामारी के दौर में भारत वैश्विक मांग की पूर्ति में बड़े हिस्सेदार के रूप में उभर रहा है. गुणवत्तापूर्ण स्थानीय उत्पादन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जोर ने इसमें अहम भूमिका निभायी है. केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के साथ जिला स्तर और किसानों एवं उद्यमियों तक सीधे पहुंचकर निर्यात को प्रोत्साहित किया है. वर्ष 2021-22 में 50 अरब मूल्य के कृषि उत्पादों का रिकॉर्ड निर्यात हुआ है.
वर्ष 2016-17 से कृषि निर्यात को बढ़ाने के लिए सरकार सक्रिय है. पिछले साल निर्यात बढ़ाने के लिए उत्पादन पर आधारित प्रोत्साहन योजना प्रारंभ की गयी है. कोरोना काल में सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया कि उद्यमियों और कारोबारियों को वित्त संबंधी परेशानियां कम से कम हों.
इसके अलावा नियमों एवं प्रक्रियाओं में भी अनेक सकारात्मक सुधार किये गये. इसका लाभ हमें दिखने लगा है. चूंकि औद्योगिक और व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ी हैं तथा वैश्विक आपूर्ति में अनेक बाधाएं हैं, इस कारण हमारे आयात का खर्च भी बढ़ा है, जिसके समय के साथ संतुलित होने की आशा है.