डॉ. जयंतीलाल भंडारी अर्थशास्त्री
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यकीनन कोरोना संकट के बीच देश के उद्योग, कारोबार और प्रभावित लोगों को आर्थिक राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने रणनीतिक कदम बढ़ाया है. कंपनियों को विकल्प दिया गया है कि वे कॉरपोरेट सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) का धन कोरोना प्रभावित लोगों के कल्याण पर खर्च कर सकती हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्योग जगत के साथ बैठ कर प्रभावित उद्योगों और कर्मचारियों को वित्तीय सहयोग देने पर चर्चा की है. सरकार ने फार्मेसी सहित कुछ उद्योगों के लिए राहत पैकेज की घोषणा भी की है. विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित कई संस्थाओं ने कोरोना से जंग में भारत के प्रयासों की सराहना की है. पर अभी अनेक पहलों की जरूरत है. प्रधानमंत्री ने 19 मार्च के संबोधन में कहा था कि यह संकट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती बन गया है. इससे निपटने के लिए वित्त मंत्री के नेतृत्व में जो कार्य बल गठित किया गया है, वह अर्थव्यवस्था से संबंधित अनुकूल कदम उठायेगा. यह प्रकोप देश और दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए 2008 की वैश्विक मंदी से भी अधिक भयावह दिख रहा है. अनुमान है कि 1930 के दशक की महामंदी जैसे प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकते हैं.
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा है कि कोरोना से वैश्विक मंदी का खतरा मंडरा रहा है. वैश्विक विकास दर 2.4 फीसदी, चीन की विकास दर 5.2 फीसदी और भारत की विकास दर 5.3 फीसदी रहने का अनुमान है. इससे पहले भारत की विकास दर 6.6 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था. कोरोना वायरस ने आर्थिक महामारी का रूप भी ले लिया है. इस समय चीन भारत का दूसरा बड़ा व्यापारिक साझेदार है. वहां से आयातीत कच्चे माल एवं वस्तुओं पर देश के कई उद्योग-कारोबार निर्भर हैं. अब कई वस्तुओं के आयात में भी कमी आयी है. इससे दवा, उद्योग, स्टील, खिलौना, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल्स, केमिकल्स, डायमंड आदि कारोबार मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. विमानन क्षेत्र पर वायरस का सबसे ज्यादा असर हुआ है. पर्यटन उद्योग संकट में है. खाद्य उद्योग और कपड़ा उद्योग भी कोरोना की चपेट में हैं. इसी तरह होटल कारोबार भी तेजी से घटा है. उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री बहुत कम होने से इस सेक्टर का कारोबार बहुत नीचे आ गया है. लॉक डाउन में सिनेमा और मॉल बंद हैं.
ऐसे में निवेशकों में घबराहट बढ़ना स्वाभाविक है. भारतीय कंपनियों पर नकदी का दबाव बढ़ गया है. विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली से बाजार भी मुश्किल में है. शेयर बाजार ऐतिहासिक गिरावट के दौर में है. इस समय कोरोना प्रकोप से भारतीय अर्थव्यवस्था बेहद सुस्त है. अतएव सभी वर्ग के लोग इससे प्रभावित हो रहे हैं. ऐसे में एक ओर सभी लोगों को आर्थिक संकट के बीच स्वयं सावधानी रखनी होगी, वहीं सरकार और रिजर्व बैंक को भी विशेष भूमिका का निर्वहन करना होगा. जहां सरकार को जमाखोरी पर कठोर नियंत्रण रखना होगा और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करनी होगी, वहीं लोगों को भी राष्ट्रीय धर्म का पालन करते हुए अनावश्यक खरीदारी से बचना होगा.
वस्तुतः इस समय सरकार और रिजर्व बैंक के द्वारा महामारी के कारण उत्पादन में कमी और कीमतों में वृद्धि की दोहरी समस्या के मद्देनजर अर्थव्यवस्था की मदद के लिए राजकोषीय के साथ-साथ मौद्रिक उपायों की घोषणा पर ध्यान देना होगा. इस समय देश और दुनिया के अर्थ विशेषज्ञों का मत है कि जब कोरोना संकट का भारतीय उद्योग कारोबार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, तब देश के कारोबार को राहत पैकेज देने की जरूरत है. साथ ही, प्रभावितों को बेरोजगारी भत्ता भी दिया जाना चाहिए.
भारत उद्योग व कारोबार को उपयुक्त प्रोत्साहन देने की रणनीति से कोरोना प्रकोप के बीच कई वस्तुओं की उत्पादन वृद्धि और निर्यात के मौकों को भी मुट्ठी में ले सकता है. कोरोना प्रकोप के कारण कच्चे तेल की घटी कीमतें भारत के लिए लाभप्रद हो सकती हैं.
हम आशा करें कि सरकार बढ़ती जा रही जन-जीवन संबंधी चुनौतियों के लिए हर स्तर पर आपदा प्रबंधन के उच्चतम प्रयास करेगी. हम आशा करें कि सरकार आर्थिक सुस्ती के रोजगार चुनौतियों से प्रभावित हो रहे लाखों लोगों को राहत देने के लिए उद्योगों को सहारा देगी, ताकि नौकरियों को बचाया जा सके. सरकारी विभागों में खाली पदों पर शीघ्र भर्तियाँ करेगी और निर्यात इकाइयों में नये रोजगार के अवसर निर्मित करेगी. गरीबी के कारण रोज कमाकर जीवनयापन करनेवाले लोगों के रोजगार पर ध्यान देना होगा. विदेशी कॉरपोरेट कंपनियों को निर्देशित करना होगा कि वे घर से काम कराने की नीति अपनायें. पेट्रोल और डीजल कीमतों में उपयुक्त कमी कर कारोबार और उपभोक्ताओं को राहत दी जानी चाहिए.
हम आशा करें कि सरकार द्वारा कोरोना संकट की चुनौतियों के बीच जिस तरह अब तक बचाव उपाय लाभप्रद रहे हैं, उसी तरह सरकार अगले चरण में सफलता से आगे बढ़ेगी. हम आशा करें कि सरकार के साथ-साथ उद्योग जगत भी ऐसे रणनीतिक कदम आगे बढ़ायेगा, जिससे आसन्न मंदी से बचा जा सकेगा तथा लोगों को भी आर्थिक व सामाजिक राहत मिल सकेगी.