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स्वास्थ्य देखभाल में बदलाव

स्वस्थ रहने के लिए जीवनशैली से जुड़ी आदतों में सुधार करना होगा. खान-पान पर ध्यान देना होगा, बाहर के खाने से बिल्कुल बचने की जरूरत है.

जिस तरह से हमने कोरोनावायरस महामारी और उससे उत्पन्न कठिनाइयों का सामना किया है, उसे देखते हुए हमें अधिक सावधान और सतर्क होना है. दूसरी बात, कोरोनावायरस महामारी अभी दुनिया से गयी नहीं है. अभी चीन और ताइवान समेत कुछ देशों में संक्रमण फिर तेजी से फैल रहा है और कहीं-कहीं हालात बेकाबू होते दिख रहे हैं. अमेरिका और यूरोप के कुछ देशों में भी संक्रमण के मामले लगातार सामने आ रहे हैं.

वायरस का नया वैरिएंट भी आ रहा है, जो अधिक चिंताजनक है. महामारी के साथ-साथ अन्य बीमारियों को भी लेकर सतर्क होना है. हमें तीन-चार बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना है. पहला, हाइब्रिड वर्क को बढ़ावा देने की जरूरत है, यानी ऑफिस और घर दोनों जगहों से काम करने की व्यवस्था बनानी होगी. कामकाज के घंटों में सहूलियत रहे, इसकी व्यवस्था आवश्यक है. घर और ऑफिस दोनों ही जगहों से काम करते हुए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की बेहतरी का भी ख्याल रखना है. अगर हम दूरदराज के इलाके में हैं, तो वहां से ऑफिस को नियंत्रित करना और अपने काम को कैसे प्रबंधित करना है, इस पर ध्यान देना होगा.

वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए हाइब्रिड वर्कप्लेस कल्चर विकसित करना होगा. दूसरा, टेलीहेल्थ को व्यापक स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू करना है. आवाजाही और भीड़भाड़ को कम करने की जरूरत है. भविष्य के अस्पताल या स्वास्थ्य देखभाल केंद्र नयी प्रकार की तकनीकों पर आधारित होंगे.

रोबोटिक से स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में बदलाव आ रहा है, यानी मैनपावर की जगह तकनीकें प्रभावी भूमिका में होंगी. पूरा तंत्र मेकेनाइज्ड व्यवस्था पर टिका होगा. उसे देखते हुए हमें घर से ही मेडिकल जांच, नमूना एकत्र करने जैसी व्यवस्था पर काम करना है. प्रयोगशालाओं में मरीजों को जाने की आवश्यकता नहीं होगी. महामारी का अनुभव हमें ऐसी व्यवस्था पर विचार करने के लिए बाध्य करता है.

आज के जमाने में जीवनशैली में बदलाव आना लाजिमी है, इससे नयी बीमारियां भी आयेंगी और उसके उपचार के नये तरीके भी आयेंगे. अभी नूट्रोपिक्स और एडॉप्टोजेन की चर्चा हो रही है, ये नयी पद्धतियां हैं. इसमें हम कैनाबिनॉयड्स का इस्तेमाल करने जा रहे हैं. भविष्य में कैंसर और अन्य बीमारियों के उपचार के लिए कैनाबिनॉयड्स यानी सीबीडी का प्रयोग हो सकता है. माइक्रोडोजिंग से साइकेडेलिक्स ट्रीटमेंट हो सकेगा. एलन मस्क इस बात की कोशिश कर रहे हैं कि कैसे मस्तिष्क को इलेक्ट्रॉनिकली कंट्रोल किया जा सकता है.

इन बातों पर भविष्य में व्यापक विचार-विमर्श होगा. कुछ नयी दवाओं के माध्यम से इलाज के विकल्पों पर काम किया जा रहा है. भविष्य के लिए ब्रेन का चिप, साइकेडेलिक्स ट्रीटमेंट और कुछ नयी दवाओं का उपयोग किया जायेगा. हमारे यहां बड़ी तादाद में पीटीएसडी यानी पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर की समस्या हो गयी है. इसके उपचार के लिए हमें योग और व्यायाम की मदद लेनी होगी.

जिन बीमारियों से हम खुद का बचाव कर सकते हैं, जो आज के युग का दानव हैं, उससे हमें खासतौर पर सतर्क रहने की आवश्यकता है. धूम्रपान से बचाव और मोटापा कम करने पर ध्यान देना होगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन का थीम है- वेट न्यूट्रल थेरेपी, जिस पर गंभीरता से सोचना होगा.

थेरेपी के बाद वजन बढ़ने की समस्या आ रही है. पिछले दिनों देखने में आया कि स्टेरॉयड से वजन तेजी से बढ़ा है. स्टेरॉयड से बड़ी संख्या में लोगों को डायबिटीज भी हुई है. ये सब न हो, वजन को नियंत्रित रखना आवश्यक है. जिन बीमारियों से बचाव हो सकता है, जैसे हृदय संबंधी बीमारियां, मोटापा, डायबिटीज, उन्हें रोकने के लिए हमें काम करना होगा. धूम्रपान छोड़कर, मोटापा कम करके और योग-व्यायाम की आदत से हमारा जीवन स्वस्थ्य हो सकता है.

उपचार का खर्च बढ़ रहा है, उससे बचाव में यह सबसे कारगर और उपयोगी तरीका है. स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को मजबूत करने की जरूरत है, ताकि लोगों को सही समय पर समुचित इलाज मिल सके. गांव के दूर-दराज इलाकों तक स्वास्थ्य सुविधाओं को दुरुस्त करने की आवश्यकता है. स्वस्थ रहने के लिए जीवनशैली से जुड़ी आदतों में सुधार करना होगा. खान-पान पर ध्यान देना होगा, बाहर के खाने से बिल्कुल बचने की जरूरत है.

देश में बीमारियों और अस्वस्थता की बढ़ती समस्या को काबू में रखने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को मजबूत करना होगा. इसके लिए सरकारों को विशेष रूप से काम करने की आवश्यकता है. अगर बड़ी आबादी को बीमारियों से बचाना है, तो किसी भी कीमत पर प्राथमिक स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करना होगा. देश में डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की कमी बनी हुई है. हमारे यहां जितने डॉक्टर बनते हैं, उसके अनुपात में आबादी अधिक बढ़ रही है. यह समस्या लगातार बनी रहेगी.

हमारे पास सबसे बड़ा समाधान यही है कि हमें बीमार कम पड़ना है और अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना है. जब जेपी नड्डा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री थे, तो वे नयी स्वास्थ्य नीति लेकर आये थे. उसमें इन सब बातों का उल्लेख है. हमें स्वास्थ्य को लेकर नया दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है और देखभाल तंत्र को मजबूत बनाने की आवश्यकता है.

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