पलामू के नावाबाजार (तब विश्रामपुर) प्रखंड के कंडा गांव में 22 अप्रैल 2002 को नक्सलियों ने नागेंद्र विश्वकर्मा उर्फ नगीना की हत्या कर दी थी. उस समय सरकारी अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि परिवार के एक बच्चे के बालिग होने पर उसे सरकारी नौकरी दी जायेगी. उस घटना को करीब 18 साल बीत गये. बड़ा बेटा बालिग भी हो गया, लेकिन आज तक उसे सरकारी नौकरी नहीं मिली है. मृतक की पत्नी और बेटा पलामू प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री के नाम आवेदन भेज चुके हैं, लेकिन अब तक इस मामले में कहीं से भी पहल नहीं हुई है.
घटना को याद कर मृतक नागेंद्र विश्वकर्मा की पत्नी सोना कुंवर आज भी सिहर उठती हैं. बताती हैं : मेरे पति किसान थे और इसी पेशे से पूरे परिवार का भरण-पोषण करते थे. वे कभी नक्सलियों के निशाने पर नहीं थे. गांव में एक सरकारी योजना का क्रियान्वयन उन्होंने कराया, जिसके बाद लेवी के लिए संगठन का पत्र मिला, जिसे उन्होंने नजरअंदाज कर दिया.
22 अप्रैल 2002 की रात मेरे पति घर में ही थे. रात के करीब 10:00 बजे अचानक नक्सली दस्ता मेरे घर के सामने आया. दस्ते में 10-15 सदस्य रहे होंगे. सभी लाल सलाम! का नारा लगा रहे थे. नक्सलियों ने दरवाजा खुलवाया और बाहर ले जाकर मेरे पति को गोली मार दी.
सोना कुंवर ने कहा : पति की मौत के बाद बस यही बात मन में चल रही थी कि परिवार कैसे चलेगा? बच्चों को कैसे पालूंगी? तब हालचाल लेने पहुंचे सरकारी पदाधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि सरकारी सहायता मिलेगी. उस सहायता की आस में 18 साल गुजर गये. न मुआवजा मिला और न ही सरकारी नौकरी. इस बीच आवेदन लेकर अधिकारियों से मिली थी, तो उन्होंने कहा था कि जब बच्चे बालिग होंगे, तो किसी एक को सरकारी नौकरी दे दी जायेगी. बड़ा बेटा शक्ति विश्वकर्मा बालिग हो गया. उसे पढ़ाया भी, ताकि नौकरी मिले, लेकिन आज तक कुछ नहीं मिला.
परिवार के सदस्य की अनुग्रह अनुदान व अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए पलामू डीसी ने पांच नवंबर 2018 को गृह विभाग में प्रस्ताव भेजा है. गृह विभाग ने संशोधित प्रस्ताव मांगा था. संशोधित प्रस्ताव भी 25 फरवरी को भेजा गया. शक्ति विश्वकर्मा ने बताया कि सीएम को आवेदन भेजा है, पर आज तक कुछ नहीं हुआ.
शक्ति विश्वकर्मा का कहना है कि पिता की हत्या के बाद मां गहरे सदमे में रहती है. हम लोग छोटे थे. किसी तरह मां ने हमारा पालन-पोषण किया. दो भाई व एक बहन हैं. मां की उम्र के साथ उनकी बीमारी भी बढ़ रही है. हमारे पास इलाज के लिए पैसे भी नहीं हैं.
पूरे मामले का अध्ययन करेंगे. जो भी सरकारी प्रक्रिया की आवश्यकता है, उसे पूरा किया जायेगा. कोशिश की जायेगा कि जो भी सरकारी प्रावधान है, उसके तहत इस परिवार को सहायता मिले. – शशिरंजन, उपायुक्त, पलामू
posted by : sameer oraon