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Explainer: फूलो झानो आशीर्वाद अभियान से कैसे बदल गयी हड़िया-शराब बेचने वाली महिलाओं की जिंदगी?

पलामू के प्रमंडलीय आयुक्त मनोज जायसवाल ने कहा कि सड़कों पर महिलाएं हड़िया-दारू बेचती नहीं दिखें. इसके लिए प्रशासनिक प्रयास किए जा रहे हैं. हड़िया-दारू निर्माण एवं बिक्री करने वाली महिलाओं को फूलो झानो आशीर्वाद अभियान के तहत आजीविका से जोड़कर हर संभव मदद कर उन्हें मुख्यधारा में लाने का काम हो रहा है.

पलामू, सैकत चटर्जी: झारखंड सरकार की महत्वाकांक्षी योजना फूलो झानो आशीर्वाद अभियान से जुड़कर पलामू प्रमंडल में 1700 से अधिक महिलाएं आजीविका का वैकल्पिक साधन अपना चुकी हैं. चिन्हित महिलाओं को आजीविका संवर्द्धन के लिए ब्याज मुक्त ऋण मिल रहा है. इससे वे हड़िया और दारू बेचने के धंधे को छोड़कर सम्मानजनक कारोबार से जुड़ रही हैं. पलामू प्रमंडल के लिए यह एक सकारात्मक पहल मानी जा रही है.

पलामू जिले में 424 महिलाएं छोड़ दीं हड़िया दारू बेचना

सरकारी आंकड़ों की मानें तो पलामू प्रमंडल में हड़िया-दारू के निर्माण एवं बिक्री से मजबूरन जुड़ी करीब 1770 महिलाओं ने फूलो झानो आशीर्वाद अभियान से जुड़कर आजीविका के वैकल्पिक साधन अपनाया है. इनमे पलामू जिले में 424 महिलाओं ने हड़िया दारू बेचने का धंधा छोड़कर आजीविका के वैकल्पिक साधन को अपनाया है. लातेहार जिले में 965 एवं गढ़वा जिले में 381 महिलाएं फूलो झानो आशीर्वाद अभियान से जुड़ी हैं.

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समाज में सुधरी है इन महिलाओं की स्थिति

हड़िया-दारू बेचना छोड़कर दूसरे काम से जुड़ने से न केवल महिलाओं की इज्जत बढ़ी है, बल्कि उनके परिवारजनों का मान-सम्मान भी समाज में बढ़ा है. इस कारोबार को छोड़ चुकी महिलाएं अब इसे समाज की कुरीतियां भी समझने लगी हैं. पहले जहां सामाजिक आयोजनों में ये लगभग बहिष्कृत रहती थीं. वे अब समाज के लिए आदर्श बन गयी हैं.

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घर के बच्चे भी प्रभावित होते थे

महिलाओं ने बताया कि हड़िया-दारू के निर्माण एवं बिक्री से उन्हें भी परेशानी होती थी और परिवार के अन्य सदस्य भी प्रभावित होते थे. खासकर बच्चों पर इसका प्रतिकूल असर होता था. घर में जब कोई स्वजन आते थे तो लज्जित भी होना पड़ता था. आर्थिक कमियों के कारण मजबूरन ऐसे कारोबार से जुड़े थे, लेकिन इसे छोड़ने एवं आजीविका के वैकल्पिक साधन अपनाने से अब गांव-समाज में आत्मसम्मान बढ़ा है.

सखी मंडल से जुड़कर अपनाया आय का ये साधन

महिलाएं सखी मंडल से जुड़कर आजीविका के विभिन्न साधनों को अपनाया है और अच्छी आमदनी कर रही हैं. आजीविका के नए स्रोत उत्पन्न करने में सरकार से मदद भी मिली है. फूलो झानो आशीर्वाद अभियान के तहत महिलाओं को सखी मंडलों से जोड़कर आजीविका संवर्द्धन के लिए 10 हजार का ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें. इस अभियान से जुड़कर महिलाओं ने रोजगार के विभिन्न साधनों को अपनाया है.

फूलो झानो आशीर्वाद अभियान का दिख रहा है असर

कोई महिला शृंगार दुकान, चाय-पकौड़ी, समौसा दुकान, अंड़ा-आमलेट दुकान का संचालन कर रही हैं, तो कई महिलाएं पशुपालन, बकरी पालन, मुर्गी एवं बत्तख पालन, तथा कृषि कार्य से जुड़कर अपनी आजीविका चलाने में जुटी हैं. झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) के डीपीएम विमलेश शुक्ला ने बताया कि फूलो झानो आशीर्वाद अभियान से महिलाएं समाज में बेहतर कर रही हैं. इसे और गति देने का कार्य किया जा रहा है.

एक ही गांव की 20 महिलाओं ने छोड़ा हड़िया-दारू बनाकर बेचना

पलामू के मेदिनीनगर सदर प्रखंड की झाबर पंचायत के पीढ़िया गांव में 400 से अधिक घर हैं. यहां अधिसंख्य परिवार उरांव समाज के हैं. एक समय यहां बड़ी मात्रा में हड़िया-दारू मिल जाता था. यहां की महिलाओं ने इस स्थिति को बदलने के लिए ठाना और करीब 20 महिलाओं ने हड़िया-दारू के निर्माण एवं बिक्री कार्य को पूर्णतः छोड़कर आजीविका के दूसरे साधनों को अपनाया है. इससे उनके सामाजिक और आर्थिक दशा बदली है. इस गांव में साप्ताहिक बाजार लगता है. महिलाएं बाजार की चारों तरफ अपनी दुकानें सजाती हैं. इससे आमदनी कर महिलाएं खुशहाल जीवन जीने ओर में अग्रसर हैं.

दृढ़ इच्छाशक्ति से बनी हैं आत्मनिर्भर

इन महिलाओं को सम्मानजनक जीवन के लिए प्रेरित कर रहे जेएसएलपीएस के सामुदायिक समन्वयक प्रभात रंजन पांडेय ने बताया कि एक ही गांव में 20 से अधिक महिलाओं द्वारा शराब निर्माण एवं बिक्री कार्य को छोड़ना बड़ी बात है. गांव की आरती देवी, पार्वती देवी, मंजू देवी, जसमतिया देवी, रेवण्ती देवी, सुगन्ती देवी, सोनी देवी, सकुंता देवी, ललिता देवी, रीता देवी, लखपति देवी, झिलो देवी, विगनी देवी आदि महिलाओं ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से आत्मनिर्भर हुई हैं. अन्य महिलाओं को भी अभियान से जुड़कर आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.

वरदान है फूलो झानो आशीर्वाद अभियान

पलामू के प्रमंडलीय आयुक्त मनोज जायसवाल ने कहा कि सड़कों पर महिलाएं हड़िया-दारू बेचती नहीं दिखें. इसके लिए प्रशासनिक प्रयास किए जा रहे हैं. हड़िया-दारू निर्माण एवं बिक्री करने वाली महिलाओं को फूलो झानो आशीर्वाद अभियान के तहत आजीविका से जोड़कर हर संभव मदद कर उन्हें मुख्यधारा में लाने का काम हो रहा है. यह अभियान हड़िया दारू बेचने वाली महिलाएं जो इस काम को छोड़ना चाहती हैं, उनके लिए वरदान है.

क्या कहती हैं महिलाएं

सोनी देवी पलामू के पीढ़िया गांव में ही शृंगार दुकान चलाती हैं. दुकान के सामने के खाली स्थानों में अंडा-आमलेट की दुकान की हैं. इन दुकानों से प्रतिदिन 1000-1200 आमदनी होती है. इसमें फायदा 250 से 300 रुपये होता है. आमदनी से बच्चों को पढ़ाती हैं और परिवार चलाती हैं. उन्होंने बताया कि वो मां शक्ति स्वयं सहायता समूह से जुड़कर फूलो झानो आशीर्वाद अभियान के तहत प्राप्त 10 हजार रुपये की ब्याज मुक्त ऋण राशि से दुकान की हैं.

सम्मान की जिंदगी जी रहीं महिलाएं

सकुंता देवी गरीबी और आर्थिक तंगहाली से जूझ रही थीं. गोदावरी स्वयं सहायता समूह से जुड़कर रोजगार के वैकल्कि साधनों को अपनाने का प्रयास किया और बकरी पालन का कार्य शुरू किया. तीन बकरियों से 8 बकरी हो गई. इसमें तीन बकरियों को 10 हजार रुपये में बेच भी दिया. वर्तमान में पांच स्वस्थ बकरियां हैं, जिससे 20 से 30 हजार आमदनी होने की उम्मीद है. पार्वती देवी यमुना मिलन स्वयं सहायता समूह से जुड़कर मुर्गा-मीट की दुकान चलाती हैं. साथ में एक छोटा किराना दुकान भी है. उन्होंने कहा कि इस व्यवसाय से आत्मसम्मान भी मिला है. मंजू देवी ज्योति समूह से जुड़कर आत्मनिर्भर हुई हैं. पूर्व में मंजू हड़िया-दारू निर्माण एवं उसके बिक्री से आमदनी करती थी, लेकिन झारखंड लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) के अधिकारीगणों एवं समूह की दीदियों से प्रेरित होकर हड़िया-दारू के व्यवसाय को बंद कर दिया. अब लोन की राशि से सब्जी खरीदकर बेचती हैं, जिससे अच्छा मुनाफा होता है.

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