पटना : बिहार विधान परिषद के उपसभापति हारून रशीद सहित 17 सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो जाने के साथ सदन के सभापति की कुर्सी भी खाली हो गयी. मालूम हो कि मई 2017 में तत्कालीन सभापति अवधेश नारायण सिंह का कार्यकाल समाप्त होने के बाद हारून रशीद को बिहार विधान परिषद के कार्यवाहक सभापति की जिम्मेदारी दी गयी थी.
बिहार के 75 सदस्यीय ऊपरी सदन के 17 सदस्य का छह वर्षीय कार्यकाल बुधवार को समाप्त हो गया. इनमें कार्यवाहक सभापति भी शामिल हैं. अब सदन में सदस्यों की संख्या 20 फीसदी से भी कम हो गयी है. कार्यवाहक सभापति के साथ जिन सदस्यों के कार्यकाल समाप्त हुए हैं, उनमें भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी और सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार शामिल हैं.
कोरोना संकट के कारण देश में लगाये गये लॉकडाउन के कारण बिहार विधान परिषद की रिक्त सीटों पर बिहार सरकार ने किसी के नाम की सिफारिश अभी तक नहीं की है. इससे फिलहाल सभापति की शक्तियां राज्यपाल के पास रहेंगी. बिहार विधान परिषद के इतिहास में तीसरी बार ऐसा हुआ है, जब सभापति और उपसभापति दोनों पद खाली हो गये हैं. अब संभावना जतायी जा रही हैं कि बिहार विधान परिषद की रिक्त सीटों को भरने के बाद ही पूर्णकालिक सभापति का चयन किया जायेगा.
विधान परिषद की रिक्त हुईं 17 सीटों में विधानसभा कोटे की नौ और शिक्षक एवं स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की आठ सीटें शामिल हैं. यही नहीं, 23 मई, 2020 को भी राज्यपाल द्वारा मनोनीत 12 सीटें भी रिक्त हो रही हैं. इससे 24 मई को 75 सदस्यीय विधान परिषद की 29 सीटें रिक्त हो जायेंगी. मालूम हो कि कोरोना संकट के कारण चुनाव आयोग ने बिहार के शिक्षक एवं स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की आठ सीटों पर चुनाव अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया गया है. हालांकि, राज्यपाल द्वारा मनोनीत किये जानेवाली 12 सीटें कैबिनेट की सिफारिश किये जाने पर भरी जा सकती हैं.
वहीं, कोरोना संकट के कारण रिक्त हुईं बिहार विधान परिषद की 17 सीटों के लिए जून में चुनाव कराये जाने के आसार हैं. चुनाव आयोग द्वारा महाराष्ट्र की विधान परिषद चुनाव के लिए जारी अधिसूचना के मुताबिक 21 मई को मतों की गिनती के बाद बिहार समेत दूसरे प्रदेशों के चुनाव का रिव्यू होगा. इसके बाद ही चुनाव कराने के संबंध में निर्णय किया जायेगा.