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Bihar Assembly Elections 2020 : कोरोना काल में नेता जी कैसे मांगने आएंगे वोट? 2015 से कितना अलग है इस बार का बिहार चुनाव

Bihar Assembly Elections 2020, Bihar Vidhan Sabha Chunav: बिहार की फिजा में चुनावी बयार की महक घुलने लगी है. गांव-शहर के गली-मोहल्लों में चुनावी चर्चाएं शुरू हो गई हैं. सभी जगह कोरोना काल में चुनाव और सियासी गुणा-गणित पर अंदाजा लगाया जा रहा है. एनडीए और महागठबंधन के समर्थक अभी से अपने पक्ष में आंकड़े गिनाने शुरू कर दिए हैं. कौन किसके साथ रहेगा, यह भी कयास सभी लगाते रहे.

Bihar Assembly Elections 2020, Bihar Vidhan Sabha Chunav: बिहार की फिजा में चुनावी बयार की महक घुलने लगी है. गांव-शहर के गली-मोहल्लों में चुनावी चर्चाएं शुरू हो गई हैं. सभी जगह कोरोना काल में चुनाव और सियासी गुणा-गणित पर अंदाजा लगाया जा रहा है. अभी किस सीट से कौन नेता लड़ेगा यह तय नहीं है. कई लोग इस बात को लेकर उत्सुक हैं नेता अबकी वोट मांगने कैसे आएगा. कोरोना के चलते नेताजी को इस बार कोई वोटर बैठने को भी नहीं कहेगा. क्यों? क्योंकि इस बार का चुनाव 2015 के चुनाव से बिल्कुल अलग होने वाला है. इस बार गठबंधन, कोरोना, बाढ़ और चुनाव का माहौल जुदा है.

2015 का चुनाव कई मायनों में खास

2015 बिहार विधानसभा चुनाव अपने आप में कई मायनों में खास था. उस चुनाव में नीतीश और लालू प्रसाद यादव की जोड़ी साथ में मैदान में थी और उन्हें जीत भी मिली. राजद 80 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी. हालांकि इस बार गठबंधन का परिदृश्य बिल्कुल बदला हुआ है. नीतीश कुमार अपने पुराने सहयोगी बीजेपी के साथ आ गए हैं. वहीं महागठबंधन में इस बार फूट की स्थिति है. जीतन राम मांझी वापस एनडीए के पाले में आ गए हैं. लोजपा को लेकर स्थिति आज कल में स्पष्ट् हो जाएगी. अभी तक एलजेपी के तेवर नरम नहीं पड़े हैं.

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कोरोना काल में होने वाला सबसे बड़ा चुनाव

बिहार चुनाव कोरोना काल में होने वाला सबसे बड़ा चुनाव है. चुनाव आयोग के लिए भी यह किसी चुनौती से कम नहीं है, चुनाव आयोग ने इसके लिए विशेष व्यवस्था की है. तारीखों की घोषणा करते वक्त चनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा था कि 7 लाख सेनिटाइजर और 46 लाख मास्क की व्यवस्था की गई है. इसके साथ ही चुनाव कर्मियों के लिए 6 लाख फेस शील्ड का इंतजाम किया गया है. 23 लाख हैंड ग्लव्स की व्यवस्था की गई है.

वहीं मतदाताओं के लिए एक बार प्रयोग करने वाले 7.2 करोड़ ग्लव्स की व्यवस्था आयोग ने की है. इस बार कोरोना के साथ ही बिहार की जनता बाढ़ से भी त्रस्त है. बिहार का बड़ा इलाका बाढ़ से प्रभावित है. हालांकि उम्मीद की जा रही है कि चुनाव के समय तक स्थिति में सुधार आ जाएगा. बता दें कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में दूसरे और तीसरे चरण में मतदान है.

पिछली बार और इस बार में अंतर

बिहार विधानसभा चुनाव 2015 कई मायनों में बिल्कुल ही अलग था. लालू और नीतीश के साथ होने से चुनावी माहौल गरम था. लालू प्रसाद यादव केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर लगातार निशाना साध रहे थे. आरक्षण का मुद्दा भी चुनाव में हावी था. प्रधानमंत्री के एक बायन को नीतीश कुमार ने बिहारी अस्मीता से जोड़ दिया और बड़ी संख्या में बाल और नाखून के सैंपल्स डीएनए जांच के लिए भेजे गए थे.

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लंबे समय तक बीजेपी के साथ रहे नीतीश ने 2015 चुनाव में अपने पूर्व सहयोगी को हराने के लिए सबकुछ दांव पर लगा दिया था. हालांकि इस बार वे फिर बीजेपी के साथ हैं. प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह से लेकर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने साफ कर दिया है कि पार्टी नीतीश कुमार के नेतृत्व में मैदान में जाएगी.

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Posted By: utpal kant

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