बिहार चुनाव 2020: अनुज शर्मा, पटना. बिहार विधानसभा चुनाव में ‘ नोटा ‘ बड़ी शक्ति के रूप में उभरकर सामने आया है. प्रत्याशी ही नहीं, पार्टियों का भी खेल बुरी तरह से बिगाड़ दिया है. नोटा ने कई दलों का खाता नहीं खुलने दिया. कई चर्चित चेहरे नोटा की शक्ति के कारण ही चुनाव हार गये अथवा उनकी जीत फीकी पड़ गयी.
58 फीसदी मतदाताओं में 1.68 फीसदी ने नोटा का प्रयोग कर दो दर्जन से अधिक सीटों के परिणाम में उलटफेर करा दिया. 90 फीसदी से अधिक उम्मीदवारों की जमानत जब्त होने का कारण बना. बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय और राज्य स्तर की मान्यता वाले 11 दलों ने भाग लिया. वीआइपी, जापलो और हम सहित 623 रजिस्टर्ड दलों ने अपने उम्मीदवार उतारे थे.
400 अधिक पार्टियों का खाता तक नहीं खुला. विधानसभा के 243 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए तीन चरणों में करीब 4.25 करोड़ मतदाताओं ने वोट डाले. इनमें से 7.14 लाख वोटर ऐसे थे, जिनको कोई उम्मीदवार पसंद ही नहीं आया और वह नोटा का बटन दबाने के लिए बूथ तक पहुंचे. 11 दल ऐसे हैं जिनको कुल वोट नोटा (1.68 फीसदी)से भी कम मिले हैं.
Also Read: बिहार चुनाव 2020: मोदी मैजिक से भाजपा इस बार सबसे बड़ी रही ‘गेनर’, जानें किस दल का क्या रहा स्ट्राइक रेट
विधानसभा चुनाव के जो नतीजे आये हैं, उसमें बिहार की सियासत के चर्चित और बड़े चेहरों को भी सोचने पर विवश कर दिया है. राघोपुर लालू परिवार की घरेलू सीट है. इस चुनाव का सबसे चर्चित चेहरा और महागठबंधन के सीएम चेहरा तेजस्वी प्रसाद यादव यहां उम्मीदवार थे. यहां 4458 ऐसे वोटर थे जिन्होंने तेजस्वी सहित सभी 14 उम्मीदवारों को नापसंद कर दिया.
पार्टी के प्रवक्ता रहे शक्ति सिंह यादव हिलसा से 12 वोट से हारे. यहां 1022 लोगों ने नोटा का इस्तेमाल किया. स्पीकर विजय कुमार चौधरी(जदयू) जिस सरायरंजन में 3624 वोट से जीते वहां 4200 वोटर ने नोटा का बटन दबाया. लालू प्रसाद के समधी चंद्रिका राय जिस परसा से हारे, वहां भी 5179 लोगों ने नोटा दिया.
Also Read: Bihar Election Result 2020: बिहार चुनाव में जीत के बाद CM नीतीश की पहली प्रतिक्रिया, PM मोदी के लिए कही ये बात
सरायरंजन, त्रिवेणीगंज, दरभंगा रुरल, डेयरी, धोरैया, हाजीपुर, हिलसा, झाझा, कल्याणपुर, किशनगंज, कुरहनी, महाराजगंज, महिषी, मटियानी, मुंगेर, सकरा, रानीगंज, रामगढ़, राजापाकर, प्राणपुर, परिहार, पिपरा, परबत्ता.
Posted by Ashish Jha