मिथिलेश/ पटना. शुक्रवार (20 मई को) की सुबह-सुबह एक बड़ी खबर से देश-प्रदेश में हलचल मच गयी. अहले सुबह राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद, उनकी पत्नी पूर्व सीएम राबड़ी देवी और पुत्री मीसा भारती के दिल्ली स्थित आवास समेत 16 जगहों पर सीबीआई की छापेमारी शुरू हो गयी थी. पटना में राबड़ी आवास पर आठ से 10 सीबीआई अधिकारियों की टीम प्रवेश कर चुकी थी. करीब पांच साल पहले इसी समय राबड़ी आवास पर सीबीआई की टीम पहुंची थी. तब प्रदेश में महागठबंधन की सरकार थी. छापेमारी के 20 दिनों के बाद ही प्रदेश में सरकार का स्वरूप बदल गया. सरकार में भाजपा की दोबारा इंट्री हुई.
वह 07 जुलाई, 2017 की सुबह थी. करीब सात बजे थे और मार्निंग वाकर्स की भीड़ 10 सर्कुलर रोड के इर्द गिर्द दिख रही थी. इसी बीच तीन गाड़ियों में सीबीआई अधिकारियों की एक टीम राबड़ी देवी के आवास पर आ धमकी. जब तक सुरक्षा कर्मी उन्हें रोकें, टीम राबड़ी आवास परिसर में दाखिल हो गयी. लालू -राबड़ी से जुड़े 12 ठिकानों पर छापेमारी शुरू हुई. घर में पूर्व सीएम राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव माैजूद थे. प्रदेश में उन दिनों महागठबंधन की सरकार थी और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री थे. पूर्व सीएम राबड़ी देवी का यह सरकारी आवास सत्ता की धूरी रही थी. इस छापेमारी के ठीक 20 वें दिन प्रदेश की सरकार बदल गयी. महागठबंधन टूट गया ओर प्रदेश में जदयू-भाजपा की नयी सरकार बनी. समय करवट लेता रहा.
लालू-राबड़ी का सीबीआई से वास्ता पहली बार नहीं है. करीब 27 साल पहले साल 1995-96 में लालू प्रसाद चारा घोटाले के मामले में सीबीआई के लपेटे में आये थे. वह मुख्यमंत्री थे. फिर राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनीं. इसके बाद लालू प्रसाद पर सीबीआई का शिकंजा और भी कसता गया. चारा घोटाले के पांच मामलों में सजायाफ्ता लालू प्रसाद की मुश्किलें और भी बढ़ने लगीं, जब उन पर 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री रहते हुए रेलवे के होटलों को अवैध तरीके से लीज पर देने का आरोप लगा. 2017 में सीबीआई की टीम इसी मामले में छानबीन करने राबड़ी देवी के आवास पर पहुंची थी.
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लालू के रेल मंत्री के रूप में कार्यकाल समाप्त हुए 13 साल बीत गये हैं. 2017 में रेलवे घोटाले का मामला सामने आया था. अब सीबीआई की जांच में उन सभी लोगों की नौकरी भी खतरे में पड़ने वाली है, जिन लोगों ने जमीन देकर रेल मंत्री लालू प्रसाद की पैरवी पर नौकरी पायी थी. राबड़ी आवास पर पहुंचे राजद के पूर्व विधायक शक्ति सिंह यादव कहते हैं, यह प्रतिशोध की पराकाष्ठा है. भाजपा किसी तरह जातीय जनगणना नहीं होने देना चाहती है और इसीलिए यह सब साजिश रची जा रही है.