Chhath Puja 2021: अंगना में पोखरी खनाइब, छठी मईया कोरोना काल के बाद शहर के लोग इस गीत के मर्म को ज्यादा जानने और समझने लगे हैं. यही वजह है कि इस साल भी कई लोगों ने भीड़-भाड़ से बचते हुए अपने घर पर ही छठ पर्व मनाने का निर्णय लिया है. शहरी परिवेश में भले ही घर में आंगन की सुविधा न हो पर आस्था को समर्पित इस पर्व पर लोग अपने घर के बाहर, बालकनी व छतों के ऊपर अस्थाई कृत्रिम जलाशय या कुंड में जल भरकर छठ महापर्व मनायेंगे और भगवान भास्कर को अर्घ देंगे.
कृत्रिम तालाब में भी अर्घ देना होता है फलदायी
पटना. शास्त्रों में कमर तक जल में खड़े होकर अर्घ देने का विधान है. ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि महाभारत में कर्ण द्वारा प्रतिदिन घंटों इस तरह पानी में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ देने का उल्लेख मिलता है. कई लोग तो यहीं से सूर्य पूजा की शुरुआत भी मानते हैं. आदर्श स्थिति है कि छठवर्ती कमर या सीने तक जल में खड़े होकर और अपने दोनों हाथों को ऊपर उठा कर भगवान सूर्य को अर्घ दें. यदि नदी या तालाब तक पहुंचना संभव नहीं है तो कृत्रिम तालाब में खड़े होकर भी अर्घ देना पूरी तरह फलदायी है, क्योंकि भाव से भक्ति होता है.
यदि भगवान भास्कर के प्रति मन में पूरी तरह भक्ति भाव भरा है तो पानी के कम या अधिक होने से अंतर नहीं पड़ता है. पार्कों के बने छोटे गड्ढे नुमा तालाब या मकान के छतों पर बने छोटे कुंड या बड़े प्लास्टिक के टब में इतना पानी डालना संभव नहीं है कि लोग कमर तक पानी में खड़े होकर अर्घ दे सकें. घुटने तक या उससे कम गहरे पानी में खड़े होकर कर जो लोग सूर्य को अर्घ देते हैं, वह भी पूरी तरह शास्त्रोक्त मान्यता के अनुरूप है.
कौशल्या एन्क्लेव की बबीता कुमारी कहती हैं, मैं पिछले चार वर्षों से घर की छत पर ही छठ व्रत कर रही हूं. गंगा घाट पर आना-जाना बेहद मुश्किल होता है. गाड़ी को घाट से काफी पहले रोक दिया जाता है. इसके कारण वहां से दउरा उठाकर ले जाने में काफी परेशानी होती है. इसके कारण इस बार भी परिवार के लोगों ने छत पर ही छठ पर्व करने का निर्णय लिया है. इससे घाट पर भीड़-भाड़ से भी लोग बचेंगे और सेफ्टी भी बनी रहेगी.
Posted by: Radheshyam Kushwaha