पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को स्पष्ट किया कि उनकी सरकार लॉकडाउन के चलते राज्य के बाहर फंसे विद्यार्थियों एवं प्रवासी मजदूरों की गृह वापसी यात्रा का पूरा खर्च उठायेगी. वह विपक्ष के इस आरोप का जवाब दे रहे थे कि उन्होंने उन्हें (अन्य राज्यों में फंसे बिहारी विद्यार्थियों एवं प्रवासी मजदूरों) को मंझधार में छोड़ दिया है.
All of them will be staying at quarantine centre for 21 days. After which they will be given a minimum amount of Rs. 1000 each by Bihar govt. Under this scheme, Rs. 1000 has been already given to 19 lakh people in the state: Chief Minister Nitish Kumar. #CoronavirusLockdown pic.twitter.com/GT4Sn00glF
— ANI (@ANI) May 4, 2020
समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, एक वीडियो संदेश में नीतीश कुमार ने कहा कि उनकी सरकार विद्यार्थियों के ट्रेन भाड़े का सीधे रेलवे को भुगतान कर रही है, जबकि प्रवासी मजदूरों को लौटने में लगे किराये का पैसा 21 दिनों का पृथक-वास पूरा करने के बाद लौटाया जायेगा. उन्होंने कहा कि हर प्रवासी मजदूर को रेलवे स्टेशन से संबंधित प्रखंड में पहुंचाया जा रहा है जहां उसे 21 दिनों के लिए पृथक-वास में रहना होगा और जब वह बाहर आयेगा तब उसे किराया का पूरा खर्चा लौटाया जायेगा और 500-500 रुपये की अतिरिक्त सहायता भी दी जायेगी तथा इस प्रकार हर श्रमिक को न्यूनतम 1000 रुपये मिलेंगे.
विद्यार्थियों के संबंध में नीतीश कुमार ने कहा कि उनसे उनकी वापसी के लिए कोई पैसा नहीं लिया जा रहा है. नीतीश कुमार ने कहा, ‘‘कुछ ट्रेनें कोटा से आयी हैं. राज्य सरकार द्वारा पैसा का भुगतान किया जा रहा है. लेकिन, चूंकि इस मुद्दे पर बयानबाजी हो रही है, इसलिए भ्रम दूर करना जरूरी हो गया है.”
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मुख्यमंत्री के बयान से पहले विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने अगले पांच दिनों में 50 ऐसी ट्रेनों के बिल का भुगतान करने की पेशकश की थी. राजद नेता ने मद्य निषेध के कारण राजस्व नुकसान तथा इश्तहारों एवं जल-जीवन-हरियाली जैसी योजनाओं को पर खर्च को लकर राज्य सरकार का मजाक भी उड़ाया था.
राजद नेता ने तब सरकार पर विद्यार्थियां एवं प्रवासी मजदूरों के प्रति संवेदनहीनता का आरोप लगाया था जब उसने लॉकडाउन एवं बसों की अपर्याप्त संख्या का हवाला देते हुए उन्हें वापस लाने में असमर्थता प्रकट की थी. तब कुछ राज्यों ने ऐसा किया था. हालांकि, मुख्यमंत्री ने दावा किया कि उनकी सरकार द्वारा लॉकडाउन का ईमानदारी पालन करने से यह सुनिश्चित हुआ कि देश में दूसरी सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य में कोविड-19 नियंत्रित रहा.
नीतीश कुमार के अनुसार बिहार में अबतक 600 से कम मामले सामने आये हैं और चार मरीजों की मौत हुई है. उन्होंने कहा कि राज्य के बाहर फंसे 19 लाख प्रवासी मजदूरों को वित्तीय मदद पहुंचायी गयी है तथा और ऐसे आवेदनों पर काम चल रहा है एवं ‘‘जो लोग लौटना चाहते हैं उन्हें हम वापस ला भी रहे हैं.” इस बीच, राजद प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार ने अक्सर विपक्ष के दबाव में काम किया और अब भी उन्होंने ऐसा किया.
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