पटना: कोरोना इलाज के नाम पर शहर के निजी अस्पतालों की मनमानी चल रही है. खास बात यह है कि इन निजी अस्पतालों पर प्रशासन का भी नियंत्रण नहीं है. निजी अस्पतालों में कोरोना इलाज की राशि निर्धारित नहीं होने के कारण तीन-चार दिन में ही मरीज के परिजनों को ढाई से तीन लाख रुपये का बिल थमा दिया जा रहा है.
खास बात यह है कि कोरोना मरीजों को खिलाने वाली दवाएं भी महंगी नहीं है और न ही किसी प्रकार की विशेष सुविधाएं देनी पड़ती है. जरूरत पड़ने पर ऑक्सीजन देने के साथ ही आइसीयू में रख कर इलाज करने की अन्य प्रक्रिया की जाती है. फिर भी ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं, जिसमें निजी अस्पतालों द्वारा इलाज के नाम पर लाखों रुपये लिये जा रहे हैं.
कंकड़बाग की रहने वाली एक महिला को इलाज के लिए स्थानीय एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था़ तीन-चार दिन में ही उनके परिजनों को ढाई से तीन लाख का बिल थमा दिया गया. इसके बाद महिला को वहां से परिजन एम्स ले गये और एडमिट करा दिया. हालांकि इलाज के दौरान महिला की मौत हो गयी. महिला रिटायर्ड शिक्षिका थीं.
कंकड़बाग के ही रहने वाले एक व्यक्ति को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां वे फिलहाल इलाजरत हैं. चार-पांच दिन में ही तीन लाख रुपये ले लिये गये हैं और पैसों की डिमांड की जा रही है. परिजनों ने इस बात की चर्चा अपने करीबियों से की. लेकिन फिलहाल कुछ बोलने को तैयार नहीं है. उनका कहना है कि अगर उन्होंने विरोध किया तो उनके मरीज का इलाज में दिक्कत आयेगी.
पटना जिला प्रशासन ने 32 निजी अस्पतालों को कोरोना के इलाज की इजाजत दी है. लेकिन कई दिन होने के बावजूद कोरोना इलाज की राशि निर्धारित नहीं की जा सकी है. इसके साथ ही कोई गाइडलाइन भी जारी नहीं किया गया है. राशि निर्धारित करने की फिलहाल प्रक्रिया हो रही है.
बताया जाता है कि जिलाधिकारी, सिविल सर्जन आदि के कोरोना संक्रमित होने के कारण प्रक्रिया बाधित हो गयी है. निजी अस्पतालों में राशि निर्धारण करने के लिए बनायी गयी कमेटी में सिविल सर्जन की भूमिका अहम है. प्रभारी जिलाधिकारी सह डीडीसी रिची पांडेय ने बताया कि राशि निर्धारित करने की प्रक्रिया चल रही है.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya