बिहार सरकार द्वारा दी गई चेतावनी का नियोजित शिक्षकों पर कोई असर होता नहीं दिख रहा है. शनिवार को राज्य के विभिन्न शहरों में शिक्षकों ने बड़ी संख्या में नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली का विरोध किया. नीतीश सरकार के विरोध में प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों का कहना था कि वो तब तक चुप नहीं बैठेंगे, जब तक उनकी मांग नहीं मानी जाती. वहीं इससे पहले शिक्षा विभाग ने चेतावनी देते हुए कहा था कि जॉब भी सरकारी कर्मचारी या शिक्षक प्रदर्शन करेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इस चेतावनी के बावजूद विरोध प्रदर्शन के लिए शिक्षकों की भाड़ी भीड़ जुटी.
राज्य सरकार ने पिछले दिनों बिहार में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए नई नियमावली को मंजूरी दी थी. जिसके तहत नियुक्ति के नियमों में कई बदलाव किए गए थे. शिक्षक भर्ती के लिए अब अभ्यर्थियों को बीपीएससी की परीक्षा देनी होगी. वहीं पूर्व से नियोजित शिक्षकों को भी इस परीक्षा में शामिल होना होगा. ऐसे में शिक्षकों का कहना है कि वो पूर्व में परीक्षा दे चुके हैं, और अब इतने साल काम करने के बाद परीक्षा क्यों दें.
शिक्षकों की मांग है कि सरकार नई शिक्षक नियक्ति नियमावली वापस ले, साथ ही बिना किसी शर्त नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दे. इसी मांग को लेकर पटना सहित की शहर में शिक्षक सैकड़ों की संख्या में सड़क पर उतरे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.
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शिक्षक नेता डॉ विश्वजीत सिंह चंदेल ने कहा कि शिक्षा विभाग इस नियमावली के अंतर्गत बीपीएससी से परीक्षा लेकर नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी के तहत स्थायी शिक्षक नियुक्त करेगी. सरकार की इस नीति से एक स्कूल में तीन तरह के शिक्षक हो जायेंगे. जिनके नियुक्ति और नियंत्रित पदाधिकारी अलग-अलग होंगे. जो हास्यास्पद है. इससे शिक्षण में नकारात्मक असर पड़ेगा और शिक्षा की गुणवत्ता बिगड़ेगी. सभी नियोजित शिक्षक एवं पुस्तकालय अध्यक्ष को सेवा अनुभव के आधार पर बिना परीक्षा लिए राज्य कर्मी घोषित किया जाये. यह सभी शिक्षक एवं पुस्तकालय अध्यक्ष दक्षता एवं पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण है. यह विगत 17 वर्षों से बिना प्रोन्नति गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देकर शिक्षा का गुणात्मक विकास कर रहे हैं. शिक्षा विभाग की पद वर्ग समिति ने जो वेतनमान शिक्षक के लिए स्वीकृत किया है वह कहीं से भी सरकारी कर्मियों का वेतन मान नहीं है. उन्होंने कहा कि नियमावली का संगठित विरोध जरूरी है.