पटना में विकास भवन के सामने बने मार्केट का एक बड़ा हिस्सा मंगलवार को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया. इसमें 11 पक्की और एक दर्जन कच्ची संरचना शामिल थी. मार्केट में लंबे समय से दुकान करने वाले वीरेंद्र ने बताया कि बीते 25-30 वर्षों से यह मार्केट चल रहा था. इसे मार्केटिंग बोर्ड ने दुकानें बनाकर दुकानदारों को लीज पर दी थीं और 2019 तक इसका किराया भी अनुबंध की शर्तों के अनुरूप ही वे मार्केटिंग बोर्ड को ही दे रहे थे. लेकिन बीते तीन अप्रैल को मार्केट परिसर के 11 दुकानदारों को मिले शोकॉज नोटिस से उन्हें मालूम हुआ कि अब मार्कैटिंग बोर्ड भंग होने के बाद यह जमीन भवन निर्माण विभाग को वापस दे दी गयी हे. 14 मई को दुकानदारों को 48 घंटे में जगह को छोड़ने का आदेश दिया गया. इसके विरुद्ध दुकानदारों ने पटना हाइकोर्ट में सोमवार को याचिका भी दाखिल की. मामले की मंगलवार को सुनवाई होनी थी. लेकिन, इससे पहले ही प्रशासन ने मार्केट पर जेसीबी चला दिया.
विकास भवन के सामने बने मार्केट में बड़ी संख्या में कंप्यूटर और फोटो स्टेट की दुकानें थीं. सचिवालय के सामने होने के कारण यहां बड़ी संख्या में लोग फोटो स्टेट कराने या कंप्यूटर टाइपिंग के लिए आते थे. साथ ही चाय, नाश्ते और भोजन के ढाबे भी चल रहे थे, जहां अपने काम से सचिवालय का चक्कर काटने वाले लोग नाश्ता पानी करते थे.
बाजार का एक हिस्सा बगल में स्थित मंदिर के पास बना है. लेकिन मंदिर की जमीन पर बने होने के कारण इसे किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया गया.
मार्केट के दुकानों को तोड़ने के विरुद्ध दुकानदारों में आक्रोश भी दिखा. पटना हाइकोर्ट में कुछ दुकानदारों ने याचिका दाखिल की थी. लिहाजा वे उसकी सुनवाई होने तक कार्रवाई को रोकना चाहते थे, लेकिन अतिक्रमण को हटाने आये नगर निगम की टीम और वहां मौजूद मजिस्ट्रेट द्वारा यह कहने पर कि यदि उनके पास अतिक्रमण को हटाने से रोकने का कोर्ट का आदेश है, तो उसे दिखाएं , नहीं तो उनको काम करने दें, क्योंकि वे भी कोर्ट के निर्देश के अनुरूप ही काम कर रहे हैं. दुकानदारों का आक्रोश कुछ कम हुआ. बड़ी संख्या में मौजूद पुलिस बल के कारण भी लोगों को विरोध को छोड़ना पड़ा और सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक नगर निगम के दो जेसीबी ने पूरे मुख्य मार्केट को ढाह दिया.
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वर्ष 2019 में मार्केटिंग बोर्ड के भंग होने के बाद पहले भी दो-तीन बार इस मार्कैट के दुकानों पर अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई की गयी, लेकिन जिस हिस्से से अतिक्रमण हटाया गया, दुकानदार कुछ दिनों बाद उसके बगल वाले हिस्से में शिफ्ट हो गये. लेकिन इस बार पूरा मार्केट ही ध्वस्त कर दिया गया.