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बिहार के लोगों की बढ़ी आमदनी, सकल घरेलू उत्पाद मामले में 10वें नंबर पर पहुंचा बिहार

साल-दर- साल बिहार का सकल घरेलू उत्पाद (एसजीडीपी) बढ़ रहा है. इसका सीधा असर लोगों की आमदनी पर दिखाई देने लगा है. साल-दर- साल राज्य के लोगों की आमदनी भी बढ़ रही है. चालू मूल्य पर,पिछले साल की तुलना में राज्य के लोगों की सालाना आय में 6613 रुपये की बढ़ोतरी हुई है.

कैलाशपति मिश्र, पटना. बिहार की आर्थिक सेहत धीरे-धीरे बेहतर हो रही है. साल-दर- साल बिहार का सकल घरेलू उत्पाद (एसजीडीपी) बढ़ रहा है. इसका सीधा असर लोगों की आमदनी पर दिखाई देने लगा है. साल-दर- साल राज्य के लोगों की आमदनी भी बढ़ रही है. चालू मूल्य पर,पिछले साल की तुलना में राज्य के लोगों की सालाना आय में 6613 रुपये की बढ़ोतरी हुई है, यानी प्रति व्यक्ति आय में वर्ष 2021-22 की तुलना में 2022-23 में 12.11 % की वृद्धि. यह पिछले साल के मुकाबले काफी बेहतर है. पड़ोसी राज्य झारखंड की तुलना में यह करीब 4% अधिक है. वर्ष 2021-22 प्रति व्यक्ति आय 47498 रुपये थी जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर 54111 रुपये हो गयी (चालू मूल्य पर) है. यह खुलासा आरबीआइ द्वारा राज्यों के वित्त पर जारी रिपोर्ट में हुआ है.

पड़ोसी राज्यों की प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी

राज्य प्रति व्यक्ति आय वृद्धि %

  • 1. बिहार 54111 12.22%

  • 2. झारखंड 91874 8.5%

  • 3. उत्तर प्रदेश 83565 12.0%

  • 4.प.बंगाल 141373 11.56

(यह आंकड़ा चालू मूल्य पर आधारित है)

वर्ष 2022-23 में विभिन्न राज्यों का सकल घरेलू उत्पाद

  • दिल्ली : 2,71,019 रुपए

  • हरियाणा : 1,81,961 रुपए

  • हिमाचल प्रदेश : 1,52,376 रुपए

  • पंजाब : 1,23,614 रुपए

  • राजस्थान : 86,134 रुपए

  • छत्तीसगढ़ : 83,511 रुपए

  • मध्य प्रदेश : 65,023 रुपए

  • झारखंड : 60,033 रुपए

  • उत्तर प्रदेश : 47,066 रुपए

  • बिहार : 31,280 रुपए

बिहार में खाद्यान्न उत्पादन में कमी

देश भर में एक वर्ष में खाद्यान्न का उत्पादन बढ़ा है. यह स्थिति तब है जब बिहार, गुजरात, हिमाचल प्रदेश व झारखंड में खाद्यान्न उत्पादन में गिरावट आयी. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार देश में एक वर्ष में खाद्यान्न उत्पादन 4.7% बढ़ा है. जबकि बिहार में प्रति हेक्टेयर खाद्यान्न उत्पादन में 69 किलोग्राम की कमी आयी है. वर्ष 2021-22 में प्रति हेक्टेयर खाद्यान्न उत्पादन 891 किलोग्राम के मुकाबले वर्ष में मुकाबले 2022-23 में 822 किलोग्राम पैदावार हुई है. झारखंड में कमी सबसे ज्यादा 40% रही. 2021-22 में 3,15,615 हजार टन के मुकाबले 2022-23 में 3,30,534 हजार टन पैदावार हुई है. मध्य प्रदेश में 13.5%, पंजाब में 6.6%, राजस्थान में 8.1% और महाराष्ट्र में 3.5% खाद्यान्न उत्पादन बढ़ा है.

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बिहार में गुजरात से अधिक दिहाड़ी मजदूरी

रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में गुजरात से अधिक दिहाड़ी मजदूरी है. गुजरात में दिहाड़ी मजदूरी 323 रुपए है, वहीं बिहार में 342 रुपए है. केरल में मजदूरों की दिहाड़ी सबसे ज्यादा है. वहां मजदूरों को रोज औसतन 852 रुपए मिलते हैं. जबकि दूसरे नंबर पर तमिलनाडु में मजदूरों को रोज 500 रुपए मिलते हैं. बड़े राज्यों में सबसे खराब स्थिति मध्य प्रदेश में है, जहां दिहाड़ी मजदूरी सबसे कम रोज 278 रुपए है.महाराष्ट्र में 371 रुपए, राजस्थान में 393 रुपए और उत्तर प्रदेश में 352 रुपए है.

उधारी मामले में तमिलनाडु सबसे आगे

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, तमिलनाडु लगातार तीसरे वर्ष सबसे अधिक बाजार उधार लेने वाले राज्य के रूप में उभरा है. वित्त वर्ष 2023 की अप्रैल-फरवरी अवधि के दौरान, राज्य विकास ऋण (एसडीएल) के माध्यम से तमिलनाडु की सकल बाजार उधारी 68,000 करोड़ रुपये थी. राज्य के वित्त मंत्री पलनीवेल थियाग राजन ने अपने बजट भाषण में बताया था कि तमिलनाडु ने 2023-24 के दौरान ₹1,43,197.93 करोड़ कर्ज उठाने की योजना बनाई है और ₹51,331.79 करोड़ का चुकाने का प्रस्ताव भी है, जिससे नेट कर्ज ₹91,866.14 करोड़ होगा. 2023-24 के बजट अनुमानों के अनुसार वित्तीय घाटे का अनुमान जीएसडीपी का 3.25% है. वित्त वर्ष 2022-23 में, तमिलनाडु की सकल उधारी 90,000 करोड़ रुपये थी, जिसमें जनवरी तक शुद्ध उधार 42,003 करोड़ रुपये था. राज्यों को पिछले वर्ष से शेष उधार सीमा को आगे बढ़ाने की भी अनुमति है.

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