ट्रेन में अनोखे अंदाज में अकबार बेचने का एक वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वीडियो में कर्मयोगी जीत प्रसाद उर्फ पुतुल हाथों में अखबार लिए हुए और कविता सुनाते हुए लोगों को अखबार पढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. खगौल के रहने वाले जीत कुमार 40 वर्षों से इसी तरह रोज अखबार बेचते हैं और इसी से उनका गुजारा चल रहा है. वीडियो में वो बोलते हुए सुनाई देते हैं कि जो पढ़ेगा अखबार वो बनेगा समझदार.
अखबार बेचने अनोखे अंदाज के कारण किसी यात्री ने इनका वीडियो बना लिया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया जिसके बाद लोगों के बीच इनकी खूब चर्चा हो रही है. वे पटना-आरा रूट पर ट्रेनों में समाचार पत्र बेचते हैं.
जीत कहते हैं कि कोई भी चीज कितना भी बढ़िया हो, उसे बेचने की कला आनी जरूरी है नहीं तो वह लोगों तक नहीं पहुंच पाती और उसका उद्देश्य बेमानी हो जाता है. वह सुबह सुबह पहले खुद ही अखबारों में छपे समाचार को पढ़ते है फिर उसे बेचने को निकलते हैं. ऐसा करने से वो लोगों को बता सकते हैं की आज अखबार में क्या खास है.
जीत प्रसाद सिर्फ मैट्रिक पास हैं पर उनके पास लोगों तक अपनी बात पहुंचाने की अद्भुत कला है. राह चलते तुकबंदी में माहिर जीत प्रसाद के तीन पुत्र और एक पुत्री है. सभी बच्चों का अपना बिजनस है. जीत झमाझम बारिश हो, कड़ाके की ठंड या भीषण गर्मी, वे हर सुबह समाचार पत्रों का बंडल लेकर निकल जाते हैं. उनका कहना है की हर काम बड़ा होता है और उसका महत्व है.
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जो पढ़ेगा अखबार वह बनेगा समझदार, होशियार, तेजतर्रार,
मत समझो केवल तुम इसको अखबार, यह है तलवार की धार,
क्योंकि, इससे ही चलती है देश और दुनिया की सरकार,
पैसा नहीं जाएगा तुम्हारा बेकार, ट्रेन में कर रहे हो तुम इंतजार,
तुम्हारी हसरत, चाहत तमन्नाओं के इजहार के शब्दों का अलंकार,
ह्रस्व उ कार, दीर्घ उ कार, क ख ग घ ङ च छ ज ञ को बोलने की कला सिखाती है यह अखबार
मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल, बिग स्क्रीन, टच स्क्रीन और हाई स्पीड इंटरनेट नहीं देगा यह ज्ञान
पुस्तक, चिट्ठी, लिफाफा, पोस्टकार्ड, लिफाफा, अंतर्देशीय पत्र और बैरन बढ़ाता मानवता का मान
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विचार है; मजेदार है, जो समझदार है वही लेता अखबार है.