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बिहार के सरकारी स्कूलों में अब हर महीने होगा निरीक्षण, के के पाठक ने राज्य के सभी डीएम को लिखा लेटर

बिहार में स्कूलों की मॉनीटरिंग से पढ़ाई का माहौल बना है. ऐसे में विभाग इसे अब स्थायित्व देना चाहता है. इसको लेकर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखा है. उन्होंने विद्यालय के निरीक्षण अभियान को मॉनिटरिंग में बदलने की जानकारी दी और इसके लिए रोस्टर तैयार करने को कहा है.

बिहार में एक जुलाई से अब तक स्कूलों के निरीक्षण की कवायद और उसके माॅनीटरिंग अभियान की सफलता को देखते हुए शिक्षा विभाग ने इसे स्थायी रूप देने का फैसला किया है. स्कूलों की माॅनीटरिंग अब शिक्षा विभाग का स्थायी और नियमित दायित्व होगा. इसके लिए माॅनीटरिंग अभियान को माॅनीटरिंग व्यवस्था में बदल दिया गया है. इसका जिम्मा सभी जिलों के डीएम को सौंपा गया है. इस संबंध के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक ने सभी जिलों के डीएम को पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने विद्यालय के निरीक्षण अभियान को मॉनिटरिंग में बदलने की जानकारी दी और इसके लिए रोस्टर तैयार करने को कहा है.

सभी डीएम को के के पाठक ने लिखा लेटर

जिला अधिकारियों को भेजे पत्र में केके पाठक ने अनुरोध किया है कि प्रत्येक माह स्कूलों की मॉनीटरिंग और निरीक्षण के लिए स्थायी रोस्टर तैयार करें, ताकि स्कूलों के निरीक्षण की प्रक्रिया स्थायी बन सके. इस तरह स्कूलों के निरीक्षण की कवायद अब हर माह होगी.

22 से 23 हजार स्कूलों का प्रतिदिन हो रहा निरीक्षण

अपर मुख्य सचिव ने अपने पत्र में बताया है कि विद्यालयों के निरीक्षण और अनुश्रवण के उम्मीद के मुताबिक परिणाम सामने आये हैं. रोज करीब 22 से 23 हजार स्कूलों का निरीक्षण किया जा रहा है. इससे शिक्षकों एवं बच्चों की उपस्थिति में अच्छी सफलता मिली है. इसलिए निरीक्षण की प्रक्रिया को स्थायी बनाने की कवायद शुरू की गई है.

शाम चार बजे से शाम छह बजे तक विभाग के पदाधिकारियों के साथ न करें बैठक

अपर मुख्य सचिव ने पत्र में जिला अधिकारियों को बताया है कि शाम चार बजे से शाम छह बजे के बीच जिला शिक्षा अधिकारियों के साथ प्रधानाध्यापकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग होती है. शाम चार बजे से छह बजे के बीच जिला स्तर पर शिक्षा विभाग से जुड़ी कोई बैठक न बुलाएं. इस तरह की बैठक पूर्वाह्न के समय जिला शिक्षा पदाधिकारी और विभागीय अफसरों के साथ बैठक रखने की परंपरा शुरू करें.

स्कूलों में बढ़ गई है उपस्थिति

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक नियमित तौर पर हो रहे स्कूलों की मॉनीटरिंग से पढ़ाई का माहौल बना है. विभाग इसे अब स्थायित्व देना चाहता है. अब 50 से 75 फीसदी बच्चों की उपस्थिति वाले स्कूलों की संख्या 73.71 फीसदी हो गयी है, जबकि एक जुलाई को यह संख्या 34.19 फीसदी थी. 75 फीसदी से अधिक उपस्थिति वाले स्कूलों की संख्या 1.42 फीसदी से बढ़ कर 9.63 फीसदी हो गयी है.

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सोमवार से शुरू हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए स्कूलों की मॉनीटरिंग

बता दें कि सोमवार से शिक्षा विभाग के निर्देश पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से राज्य के कई विद्यालयों की मॉनीटरिंग शुरू हो गयी. इस दौरान प्राथमिक से लेकर उच्च-माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े. वहीं, शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों ने इसकी समीक्षा भी की. इस दौरान प्रधानाध्यापकों से विद्यालयवार संचालित गतिविधियों की जानकारी ली गयी. माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में प्रयोगशाला की वास्तविक स्थिति, प्रयोगशाला का संचालन हुआ या नहीं स्मार्ट क्लास या आइटीसी प्रयोगशाला में कंप्यूटर की कक्षा चली या नहीं, प्रयोगशाला का वास्तविक इस्तेमाल, पेन ड्राइव से भेजी गयी सामग्री दिखायी जाती है कि नहीं, शौचालय व कक्षा निर्माण, विकास कोष व छात्र कोष में कुल कितनी राशि है, इन कोषों से कौन-कौन सी योजनाएं ली गईं आदि की जानकारी ली गयी.

प्रारंभिक विद्यालय के प्रधानाध्यापकों से ली गई ये जानकारी

वहीं, मॉनीटरिंग के दौरान प्रारंभिक विद्यालय के प्रधानाध्यापकों से जाना गया कि विद्यालय में शिक्षकों व छात्रों की उपस्थिति, साथ ही छात्रों की उपस्थिति 75 प्रतिशत से अधिक रखने, उपस्थिति को स्कूल के नोटिस बोर्ड पर चश्पा करने, अभिभावकों के साथ बैठक कब हुई, पूरे सप्ताह का टाइम टेबल स्कूल के नोटिस बोर्ड पर लगा या नहीं, आज क्या पढ़ाई हुई और अगले दिन क्या पढ़ाया जाना है, विद्यालय में खेल, क्विज, सांस्कृतिक कार्यक्रम, इको क्लब, पौधरोपण, पर्यावरण, शौचालयों की सफाई व मिड-डे-मिल आदि की जानकारी ली गई.

इन बिंदुओं पर ली गई जानकारी

जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग अपर मुख्य सचिव के के पाठक के निर्देश पर वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से सरकारी विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों से विद्यालयों में शिक्षकों व बच्चों की उपस्थिति, पठन-पाठन समेत अन्य बिन्दुओं पर जानकारी लेनी है. इसी क्रम में डीईओ समेत सभी डीपीओ व अन्य पदाधिकारी विभिन्न विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों से जुड़े थे. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्राथमिक, मिडिल व प्रारंभिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों से 11 बिंदुओं पर वहीं माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों से तीन बिंदुओं पर जानकारी मांगी गयी है.

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