बिहार में शराबबंदी के बाद मद्यनिषेध विभाग के लिए परेशानी का सबब बनी शराब की जब्त बोतलें अब जीविका दीदीयों के आय का साधन बन गयी हैं. जिन बोतलों के नष्ट किये जाने पर पहले जहां मिट्टी के प्रदूषण की परेशानी झेलनी पड़ती थी, अब उन नष्ट बोतलों की कांच से बनी रंग-बिरंगी चूड़ियां महिलाओं के हाथों में खनक रही हैं. यह बदलाव जीविका की तरफ से पटना जिले के सबलपुर क्षेत्र में लगाये गये चूड़ी निर्माण केंद्र से आया है. मार्च महीने तक इस निर्माण केंद्र को करीब 39 टन शराब की बोतलें मिली थीं, जिनसे करीब छह लाख चूड़ियों का निर्माण किया जा चुका है. इसके लिए खाली बोतलें मद्यनिषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने मुहैया करायी.
शराब की बोतलों की टूटी कांच से चूड़ियां बनाने के कार्य में करीब तीन दर्जन जीविका दीदियां लगी हैं. इसमें उनका सहयोग फिरोजाबाद से आये करीब एक दर्जन विशेषज्ञ कारीगर कर रहे हैं. फिरोजाबाद के कारीगरों की सबसे अधिक मदद चूड़ी निर्माण को स्थापित भट्ठी के संचालन में ही ली जा रही है. इस भट्ठी का संचालन एलपीजी से हो रहा है. भट्ठी को जलाने के लिए 435 किग्रा का एलपीजी सिलेंडर इंस्टाल किया गया है. इसमें ही कांच की बोतलों को गला कर तरल रूप दिया जाता है, जिसके बाद उससे मनचाहे आकार की चूड़ियां बनायी जाती हैं.
मद्यनिषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के आयुक्त बी कार्तिकेय धनजी ने बताया कि अभी पायलट प्रोजेक्ट के तहत सबलपुर इकाई शुरू की गयी है. फिलहाल इन निर्मित चूड़ियों को जीविका दीदियों के जरिए ही ग्रामीण बाजार में बेचा जा रहा है. जीविका अधिकारियों की मानें तो मार्च के बाद उत्पादन में तेजी आने की उम्मीद है.
अधिकारियों के मुताबिक चूड़ी निर्माण के लिए सबसे अधिक 22,723 किलोग्राम शराब की बोतल मुजफ्फरपुर जिले से मिली हैं. इसके अलावा विक्रमगंज से चार हजार किग्रा से अधिक, जबकि वैशाली से 3600 किग्रा से अधिक कांच की बोतलें मिली हैं. पटना से 1200 किलोग्राम कांच की बोतलें उपलब्ध करायी गयी है.
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जिला – बोतलें (किग्रा)
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मुजफ्फरपुर – 22,723
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विक्रमगंज – 4081
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वैशाली – 3628
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पूर्वी चंपारण – 2413
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मधेपुरा – 1765
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पटना – 1200
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कैमूर – 200
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खगडिया – 190