कौशिक रंजन, पटना: बिहार के बैंकों से लोगों को योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन, स्वरोजगार स्थापित करने समेत अन्य क्षेत्रों में सुविधाजनक तरीके से लोन मुहैया कराने के खास पहल(bank loan process) शुरू होने जा रही है. साथ ही बैंकों के एनपीए(bank npa) या लंबे समय से अटके लोन की उगाही के लिए भी राज्य सरकार के स्तर पर प्रयास किये जायेंगे. इसके लिए सभी प्रखंड स्तर पर लोन काउंसेलिंग सेंटर की शुरुआत होने जा रही है.
इन सेंटरों में एक निर्धारित समय में बीडीओ की अगुआई में बैंक और राज्य सरकार के पदाधिकारियों की एक टीम बैठेगी. इनके पास आकर संबंधित व्यक्ति लोन से जुड़ी किसी प्रकार की समस्या का समाधान कर सकते हैं. ये सेंटर नये वर्ष में 15 जनवरी के बाद से काम करने लग जायेंगे. इसे शुरू करने को लेकर वित्त विभाग के स्तर पर तैयारी को अंतिम रूप दिया जा रहा है. पूरी प्रणाली की समुचित मॉनीटरिंग वित्त विभाग के स्तर पर ही होगी.
किसी व्यक्ति को किसी प्रोजेक्ट, व्यवसाय या अन्य किसी मसले में लोन लेने में किसी बैंक से समस्या हो रही है, तो संबंधित व्यक्ति भी इस सेंटर में आकर अपनी समस्या का समाधान कर सकता है. सरकारी अधिकारी उसकी समस्या समझने के बाद बैंक के स्तर पर आ रही परेशानी को दूर करेंगे. वहीं, दूसरी तरफ से अगर किसी व्यक्ति ने लोन के बाद उसकी किस्त नहीं दे रहा है, या वह लोन एनपीए (नन-परफॉर्मिंग एसेट) हो गया है, तो उसे निकलवाने के लिए सरकारी पदाधिकारी भी बैंक वालों की मदद करेंगे. संबंधित व्यक्ति को समझाया जायेगा बैंक के पैसे लौटाने के लिए, इसके बाद भी कोई नहीं मानेगा, तो उस पर उचित कार्रवाई की जायेगी. इसके लिए निर्धारित प्रावधान के तहत बकायेदार पर सर्टिफिकेट केस तक किया जा सकता है और जरूरत पड़ने पर उसकी संपत्ति नीलाम की जा सकती है.
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राज्य के सभी बैंकों में 17 हजार 284 करोड़ रुपये एनपीए के तौर पर हैं, जो बैंकों की तरफ से राज्य में बांटे गये कुल ऋण का करीब साढ़े 11 प्रतिशत है. जून 2020 तक तो एनपीए की दर बढ़ कर 12.62 प्रतिशत तक पहुंच गयी थी, लेकिन बाद में इसमें कमी आयी. अब भी बैंकों की तरफ से जितने लोन बांटे जाते हैं, उसमें औसतन 10 फीसदी लोन डूब ही जाते हैं. वर्तमान में लोन से जुड़े सात लाख 25 हजार 628 मामले लंबित पड़े हैं, जिनका निबटारा नहीं हो रहा है. इसमें पांच हजार 474 करोड़ रुपये अटके हुए हैं. बैंकों के स्तर पर बिना सिक्यूरिटी वाले लोन देने में लापरवाही करने के पीछे यह भी बड़ा कारण है.
हालांकि बैंकों के स्तर से भी लोन देने की स्थिति राज्य में अच्छी नहीं है. यहां का सीडी रेशियो साढ़े 43 प्रतिशत के आसपास है, जो तमिलनाडु के 110 प्रतिशत, कर्नाटक, महाराष्ट्र के सौ फीसदी की तुलना में काफी कम है. यानी बिहार से जमा किये पैसे से बैंक वाले दूसरे राज्यों में लोन दे रहे हैं. इन बातों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने यह पहल की है.
Posted By: Thakur Shaktilochan