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बिहार में प्रवासी मजदूरों को भी मिलेगा विशेष अनुदान का लाभ, रोजगार देने को जिलावार समीक्षा शुरू

कोरोना के दौरान बिहार लौटे प्रवासी व स्थानीय कामगारों को विशेष अनुदान का लाभ दिलाने की प्रक्रिया तेज हो गयी है. राज्य सरकार के निर्देश पर कोरेनटाइन सेंटर और सामुदायिक रसोई में रहने एवं खाने वालों का निबंधन होगा.

पटना. कोरोना के दौरान बिहार लौटे प्रवासी व स्थानीय कामगारों को विशेष अनुदान का लाभ दिलाने की प्रक्रिया तेज हो गयी है. राज्य सरकार के निर्देश पर कोरेनटाइन सेंटर और सामुदायिक रसोई में रहने एवं खाने वालों का निबंधन होगा.

इस संबंध में विभाग ने अधिकारियों को प्रखंड स्तर पर ऑफलाइन निबंधन करने का निर्देश दिया है. पिछले साल प्रवासी मजदूरों का निबंधन ऑनलाइन किया गया था, लेकिन इस बार यह ऑफलाइन किया जा रहा है, ताकि बाहर से आने वाले हर मजदूर की स्क्रीनिंग भी हो सके.

22 से अधिक योजनाओं का मिलेगा लाभ

यहीं काम दिलाने के लिए गांव स्तर पर विशेष अभियान चलाया जायेगा. ताकि सही श्रमिकों को राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ आराम से मिल सके. विभाग की ओर से श्रमिकों के लिये लगभग 22 से अधिक योजनाएं हैं, जिसकी जानकारी लोगों को नहीं है और वह योजनाओं का लाभ उठाने से वंचित रह जाते हैं, लेकिन कोरोना और लाकडाउन के दौरान ज्यादा से ज्यादा मजदूरों का निबंधन करने का लक्ष्य रखा गया है.

गांव जायेंगे अधिकारी

श्रम संसाधन ने तय किया है कि भवन और सड़क निर्माण से जुड़े कामगारों का अधिक से अधिक निबंधन हो. निबंधन के लिए प्रखंड स्तर के अधिकारियों को गांव-गांव भेजा जायेगा. वहीं, जिस जिले में सबसे अधिक प्रवासी लौटे हैं, वहां सबसे अधिक ध्यान दिया जायेगा. राज्य सरकार की मंशा के अनुसार प्रवासियों को बिहार सरकार की योजनाओं का लाभ मिले, अधिकारियों को इसे सुनिश्चित करने को कहा गया है.

इनका भी किया जायेगा निबंधन

राज्य सरकार बिहार भवन संनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के तहत कामगारों का निबंधन करती है. इन कामगारों में राजमिस्त्री, प्लबर, कारपेंटर, इलेक्ट्रिशियन, कंक्रीट मिलने वाले मजदूर आदि शामिल हैं. चूंकि 90 दिन काम करने के बाद ही मजदूरों का निबंधन होता है. बिहार लौटे लाखों प्रवासियों को काम करते हुए 90 दिन हो चुके हैं.

निबंधित कामगारों को मिलती है मदद

निबंधित कामगारों को सरकार कपड़ा और चिकित्सा मद में 5500 रुपये सालाना सहायता देती है. बच्चों को शिक्षा के लिए सहायता, शादी व्याह में भी मदद देती है. विभाग कामगारों को औजार खरीदने के लिए भी पैसे देती है. विभाग के पास श्रम अधिभार यानी लेबर सेस होता है.

सरकारी और गैर सरकारी निर्माण पर एक फीसदी का सेस तय है. सरकारी स्तर पर होने वाले निर्माण में ही विभाग को हर साल करोड़ों जमा होते हैं. विभाग के पास अब भी 1500 करोड़ से अधिक जमा है.

रोजगार देने को जिलावार समीक्षा शुरू

पटना़ लॉकडाउन में लोगों को मनरेगा में अधिक से अधिक काम मिले इसके लिए मुख्यमंत्री के आदेश पर ग्रामीण विकास विभाग ने मनरेगा के काम की जिलावार समीक्षा शुरू कर दी है. ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार खुद ऑनलाइन बैठक कर योजना और जिला के हालात का जायजा ले रहे हैं.

मंत्री ने शुक्रवार को पश्चिमी चंपारण आदि जिलों में मनरेगा की प्रगति को जाना. मंत्री ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में अकुशल मजदूरी पर अबतक 21 करोड़ 62 लाख रुपये एवं सामग्री मद पर 28 करोड़ 32 लाख रुपये व्यय किये जा चुके हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक 8 लाख 24 हजार मानव दिवस सृजित कर लगभग 33 हजार मजदूरों को काम दिया गया है.

नालंदा जिला में कुल निबंधित जॉब कार्डधारियों की संख्या 506969 है. इसमें सक्रिय जॉब कार्डधारियों की संख्या 151096 है. यहां एक अप्रैल 2021 से 12 मई तक 1 667 नये जॉब कार्ड बनाये गये हैं.

नालंदा में कुल 590 प्रवासी मजदूरों से काम मांगा इनमें से इनमें 419 ने मनरेगा में काम करने की रुचि दिखायी. इस वित्तीय वर्ष वर्ष में नालंदा में अब तक 529234 मानव दिवस सृजित किये गये हैं. 28 हजार 927 परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है.

ऑफलाइन किया जा रहा निबंधन

श्रम विभाग के मंत्री जिवेश कुमार ने कहा कि कोरोना काल में प्रवासी व स्थानीय मजदूरों का निबंधन प्रखंड स्तर पर ऑफलाइन किया जा रहा है, इसको लेकर अधिकारियों को निर्देश दिया गया है, ताकि श्रमिकों को विभागीय योजनाओं का लाभ मिल सकें.

Posted by Ashish Jha

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