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North East Train Accident: नार्थ इस्ट एक्सप्रेस हादसे की कहानी, महिला की जुबानी…

North East Train Accident मोनी की मां के ललाट पर चोट लग गयी. उन्हें हादसे के करीब दो घंटे बाद प्राथमिक उपचार की सुविधा मिल सकी. उन्होंने कहा कि हम गांव जाने के लिए ट्रेन में सवार हुए थे पर होनी कुछ और होने वाली थी.

मिथिलेश

बेगूसराय की मोनी कुमारी अपनी मां के साथ यात्रा कर रही थीं. उन्हें बरौनी पहुंचना था. मोनी दिल्ली में ही पढ़ाई करती हैं. उन्होंने बताया कि बक्सर से ट्रेन खुलने के बाद हमलोग बेड पर सोने की तैयारी कर रहे थे. थोड़ी देर के बाद ही अचानक आवाज आयी. ऐसा लगा कि अब हम बचने वाले नहीं हैं. बोगी में चीख-पुकार होने लगी. अंधेरा छा गया. किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो गया. मोनी एम-2 बोगी में सवार थीं. बोगी इस तरह करवट ले चुकी थी कि उसके दरवाजे बंद हो गये थे. काफी देर तक हम चिल्लाते रहे. कई लोग रो रहे थे और अपनों की खैरियत जानने के लिए उनके पास पहुंच रहे थे.

सबके सामान इधर-उधर हो गये थे. मोनी की मां के ललाट पर चोट लग गयी. उन्हें हादसे के करीब दो घंटे बाद प्राथमिक उपचार की सुविधा मिल सकी. उन्होंने कहा कि हम गांव जाने के लिए ट्रेन में सवार हुए थे पर होनी कुछ और होने वाली थी. वह अपने सामान के लिए लगातार रो रही थीं. मोनी और उनकी मां को बोगी का शीशा तोड़कर बाहर निकाला गया. मोनी के मुताबिक पुलिस के जवानों और गांव के लोगों ने यात्रियों को बाहर निकालने में मदद की. मोनी ने कहा कि उनकी बोगी के सहयात्री सलामत हैं.

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पर कइयों को चोटें आयी हैं. रहमत नाम के एक यात्री ने बताया कि ट्रेन के पलटने के बाद सभी यात्री बेहद डर गये थे. पहले तो लगा कि किसी ने ट्रेन पर धावा बोल दिया है. पर जब हम संभले तब पता चला कि ट्रेन के कई डिब्बे पलट गये हैं. मौके पर भारी अफर-तफरी मच गयी. रात होने के चलते हमें कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि हम क्या करें. काफी देर के बाद स्थानीय लोग और पुलिस की टीम के पहुंचने पर हमें बाहर निकाला गया.

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आसपास के गांवों के लोग मदद के लिए दौड़े

शाहपुर प्रखंड के रोहिल छपरा गांव के रहने वाले दीपक कुमार ने बताया कि उन्हें ट्रेन हादसे की जानकारी मिलते ही हमलोग बाइक से घटनास्थल पर पहुंच गये. गांव के बहुत सारे लोग साथ में आये. दूसरे गांवों के लोग भी मौके पर पहुंच रहे थे. हम घटनास्थल पर पहुंचे तो वहां बदहवाशी थी. लोगों को बाहर निकालने के लिए हमलोगों ने ट्रेन के शीशे को तोड़ दिया और उसमें फंसे लोगों को बाहर निकाला. दीपक के अनुसार आसपास के गांव से करीब पांच हजार लोग मुसीबत में फंसे यात्रियों की मदद के लिए पहुंचे हुए थे. उनके मुताबिक लगभग साठ लोगों को उनकी टीम ने एंबुलेंस की मदद से अस्पतालों में रवाना किया. उन्होंने कहा कि रात के चलते राहत व बचाव कार्य चलाने में पुलिस को भी दिक्कत हो रही है.

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