बक्सर से ट्रेन ने करीब आधे घंटे की दूरी तय की होगी कि जोर की आवाज हुई. आवाज सुनते ही सभी यात्री सतर्क हो गये. दूसरे ही पल उन्होंने खुद को बोगी के अंदर गिरा पाया. एक यात्री ने बताया कि ट्रेन से जोरदार आवाज हुई और कई डब्बे पलट गये. कुछ बेपटरी हो गये. इसे समझने का मौका भी नहीं मिला. सब ओर से चीख-पुकार की आवाज आने लगी. कई लोग डब्बेसे बाहर निकलने की कोशिश रहे थे पर उनके दरवाजे लॉक हो गये थे. दरवाजे को वे धक्का देकर खोलने की कोशिश कर रहे थे. पर उसके नहीं खुलने पर उनकी बदहवाशी बढ़ती जा रही थी.
महिलाएं और बुजुर्गों के चिल्लाने की आवाज हर बोगी से आने लगी. लोगों को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि अचानक यह क्या हो गया? वह मदद की पुकार कर रहे थे. पर घटना के शुरुआती कुछ देर तक यात्री एक-दूसरे को ढांढ़स बंधा रहे थे. एक अधिकारी ने बताया कि घटना रघुनाथपुर स्टेशन पर पर हुई अगर किसी सुनसान जगह पर घटना हुई रहती, तो और परेशानी का सामना करना पड़ता. स्टेशन होने के कारण राहत और बचाव का काम शुरू करने में ज्यादा देर नहीं हुई. स्टेशन के अधिकारियों ने स्थानीस प्रशासन को खबर की. इसके बाद रघुनाथपुर, डुमरांव, बक्सर, शाहपुर, आरा से अधिकारियों की टीम पहुंचने लगी. तब तक मौके पर आम लोग बड़ी संख्या में जुट गये थे और डब्बे में फंसे लोगों को बाहर निकालने का काम शुरू कर चुके थे.
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अलगअलग डब्बों की खिड़कियों के शीशे तोड़कर बड़ी संख्या में यात्रियों को बाहर निकाला गया. एक प्रत्यादर्शी ने बताया कि हर डब्बेसे मदद की पुकार आ रही थी. महिलाएं और बच्चों की चीत्कार से मुंह कलेजा को आ रहा था. सभी मदद मांग रहे थे. पीएमसीएच इमरजेंसी में घायलों के लिए 50 बेड आरक्षित करने के क्रम में इमरजेंसी के मरीजों को देकर रात 12 बजे हथुआ वार्ड में शिफ्ट किया. दुर्घटनाग्रस्त ट्रेन के सकुशल यात्रियों को लाने के लिए विशेष ट्रेन दानापुर जंक्शन से रात 12 बजे चली. रात 1.30 बजे यह रघुनाथपुर से यात्रियों को लेकर वापस दानापुर के िलए रवाना हुई. आइजीआइएमएस और एम्स में 10-10 बेड और पीएमसीएच में 50 बेड किये गये रिजर्व .