पटना : बिहार बीजेपी द्वारा बिहार में वर्चुअल रैली की घोषणा करते ही सियासत गरम हो गयी है. राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि 9 जून को भाजपा की प्रस्तावित वर्चुअल रैली का उनकी पार्टी प्रतिकार करेगी. इस दिन पार्टी शोक दिवस मनायेगी. ऐसे समय जब प्रदेश में मजदूर पीड़ित हैं. बेरोजगार हैं. भूखे हैं. इस तरह की रैली शर्मनाक है. इसलिए राजद बेबस मजदूर के सम्मान,गरीबों की भूख मिटाने और उनके अधिकार के समर्थन में लोगों से आग्रह करेगा कि वह अपने -अपने घरों के बाहर थाली,कटोरा और लोटा बजाएं. अगर किसी के घर में यह बर्तन भी नहीं है, तो वह केले का पत्ता दिखाकर मजदूरों का सम्मान और भाजपा की वर्चुअल रैली का विरोध कर सकता है.
तेजस्वी यादव ने यह बातें अपने प्रदेश कार्यालय में औपचारिक संवाददाता सम्मेलन में कहीं. उन्होंने बताया कि मजदूरों के सम्मान में थाली बजाने का कार्यक्रम सुबह 10 बजे रखा गया है. इस दौरान सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों का पालन किया जायेगा. उन्होंने कहा कि भाजपा की वर्चुअल रैली इस बात का प्रमाण है कि उसे गरीबों की नहीं केवल चुनाव की चिंता है. भाजपा सत्ता की मद में डूबी पार्टी है. उन्होंने बताया कि कोरोना के इस काल में सबसे दो महत्वपूर्ण विभाग चिकित्सा और श्रम भाजपा के खाते में हैं. इन दोनों ही विभागों की स्थिति दयनीय है. इन विभागों के मंत्री पूरी तरह गैर जवाबदेह हैं.
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के छह साल पूरे होने पर भाजपा द्वारा जश्न मनाने और सोशल मीडिया के माध्यम से रैली आयोजित करने पर कांग्रेस के विधान परिषद सदस्य प्रेमचंद मिश्रा इसे जनता के प्रति असंवेदनशील बताया है. उन्होंने कहा कि इस तरह का आयोजन भाजपा राजनीति से प्रेरित होकर कर रही है. उन्होंने कहा राष्ट्रीय स्तर पर एक लाख और बिहार में अब तक लगभग चार हजार लोग कोरोना से संक्रमित हैं और 5400 के करीब लोगों की मौत हो चुकी है. लॉकडाउन की वजह से सड़क और ट्रेन हादसे में 80 श्रमिकों की मौत हुई है. वैसी सूरत में भाजपा द्वारा मोदी सरकार के छह साल पूरे होने पर जश्न मनाने और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का वर्चुअल रैली करने का फैसला राजनीति से प्रेरित होने का प्रमाण है.
वहीं भाजपा प्रवक्ता डॉ. निखिल आनंद ने अपनी पार्टी की तरफ से 9 जून की प्रस्तावित वर्चुअल रैली का नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के विरोध करने पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा है कि तेजस्वी भाजपा फोबिया से ग्रस्त दिखायी देते हैं. ऐसे में वे जल्द ही क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट से कॉउंसेलिंग कराये. तेजस्वी को राजनीति को परिवार और निजी प्राथमिकता के दायरे से बाहर आकर संगठन और विचारधारा के नजरिये से देखना शुरू कर देना चाहिए. तब उनकी यह घबराहट दूर होगी. उनके दिल में भाजपा के नाम से ही दहशत हो गयी है. प्रवक्ता ने कहा कि वर्चुअल रैली का मतलब कोरोना दौर में ‘मॉस ऑनलाइन कंयूनिकेशन और इंटरैक्शन’ है. इस मध्यम से बिहार के भाजपा कार्यकर्ताओं को गृहमंत्री अमित शाह संदेश देंगे. दुखद है कि तेजस्वी जाति-धर्म का कॉकटेल तैयार कर नेता बनना चाहते हैं.
Posted By : Rajat Kumar