राजदेव पांडेय
Prabhat Special राज्यभर के 12736 निजी कोचिंग संस्थाओं में 10 लाख से अधिक (10,04,345) विद्यार्थी पढ़ रहे हैं. शिक्षा विभाग को यह आंकड़ा पंजीबद्ध कोचिंग संस्थाओं ने सौंपा है. ये आंकड़े कक्षा छह से लेकर सभी तरह की प्रतियोगी स्पर्धाओं की तैयारी कराने वाली काेचिंग संस्थाओं के हैं. फिलहाल, आंकड़े बताते हैं कि बिहार कोचिंग के बड़े बाजार में तब्दील हो चुका है. जानकारों के मुताबिक बिहार में निजी कोचिंग का अनुमानित सालाना बाजार करीब 14,000 से 15,000 करोड़ रुपये है. ये आंकड़े राज्य के कोचिंग संस्थानों में पढ़ रहे प्रति छात्र सालाना सवा लाख रुपये के खर्च पर आधारित है. ये संभावित आंकड़े ऑफ लाइन कोचिंग के हैं. आने वाले वर्षों में बिहार में कोचिंग सेंटरों के विस्तार की काफी संभावनाएं हैं. बताया जा रहा है कि कुछ वर्षों में राज्य का कोचिंग बाजार पांच लाख करोड़ रुपये तक का हो सकता हैं
शिक्षा विभाग की आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा 1017 कोचिंग इंस्टीट्यूट पटना जिले में हैं. इनमें डेढ़ लाख से अधिक विद्यार्थी नामांकित हैं. सबसे कम 40 कोचिंग इंस्टीट्यूट जहानाबाद में हैं, जहां 6115 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं. दरअसल, कोचिंग इंस्टीट्यूट का पंजीयन करा कर बच्चों की जानकारी साझा करने की जिम्मेदारी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को दी गयी थी. विभाग की तरफ से कोचिंग इंस्टीट्यूट्स को नियमित और आचार संहिता के दायरे में लाने के लिए एक नियमावली प्रस्तावित की गयी है.
एसोचैम की 2017 की रिपोर्ट के मुताबिक पूरे देश में 75 हजार करोड़ से अधिक का कोचिंग बाजार है. हमारा मानना है कि इसमें एक तिहाई बाजार केवल बिहार के बच्चों से मिलता है. अगर सिर्फ बिहार के कोचिंग बाजार की बात करें, तो वह सालाना करीब 14 से 15 हजार करोड़ के बीच है. बिहार में कोचिंग बाजार की अपार संभावनाएं हैं. इस दिशा में बिहार तेजी से आगे बढ़ रहा है. बिहार में सरकार को चाहिए कि वह कोचिंग को इंडस्ट्रीज का दर्जा दे, क्योंकि यह रोजगार का एक बड़ा जरियाबन चुका है. – सुधीर सिंह, सचिव, कोचिंग ऐसोसिएशन ऑफ भारत
रिपोर्ट के मुताबिक अरवल और मुंगेर में 90-90, जहानाबाद में 40 और शिवहर में 92 कोचिंग संस्था हैं.