पटना. जमीन से जुड़े मामलों में प्रमाण मिले, तो अधिकारियों का ऑन स्पाॅट निलंबन होगा. गुरुवार को विधानसभा में राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता ने सदन को इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि दाखिल- खारिज का कार्य निर्धारित समय- सीमा के अंदर किया जा रहा हैं. दाखिल- खारिज में लापरवाही बरतने के आरोप में अभी 18 अंचलाधिकारियों को निलंबित किया गया है. अगर कहीं से भी भ्रष्टाचार की प्रमाणित जानकारी मिलेगी, तो अधिकारियों व कर्मचारियों को ऑन स्पॉट निलंबित किया जायेगा. मंत्री विधानसभा में खजौली के विधायक अरुण शंकर प्रसाद के अल्पसूचित प्रश्न का जवाब दे रहे थे.
दाखिल- खारिज में सुस्ती के कारण एक तिहाई आवेदन रद्द
अरुण शंकर प्रसाद ने सरकार से पूछा था कि दाखिल- खारिज में सुस्ती के कारण एक तिहाई आवेदन रद्द हो जाते हैं. पिछले पांच वर्षों में 93 लाख दाखिल खारिज के आवेदन अंचल कार्यालयों को प्राप्त हुआ ,जिनमें 49 लाख मामलों में ही दाखिल- खारिज हुआ, जबकि 33 लाख आवेदन को खारिज कर दिया गया. म्यूटेशन के लिए कर्मचारी रिश्वत की मांग करते हैं.
पहले आओ, पहले पाओ
अरुण शंकर प्रसाद ने जयनगर शहर में इसकी जांच कराने की मांग की. इसके जवाब में राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री ने सदन को बताया कि दाखिल- खारिज के मामले को निबटाने के लिए अब अंचलाधिकारी के साथ राजस्व पदाधिकारी को भी जिम्मेदारी दी गयी है. दाखिल- खारिज में पहले आओ, पहले पाओ के सिद्धांत पर मामलों का निबटारा किया जा रहा है.
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जमाबंदी को लेकर सक्षम न्यायालय में वाद दायर करने की कार्रवाई
मंत्री ने डुमरांव के विधायक अजीत कुमार सिंह के तारांकित प्रश्न का जवाब देते हुए सदन में बताया कि भूहदबंदी के तहत बिहार सरकार द्वारा अर्जित 65.95 एकड़ जमीन में आधी जमीन के बेचने को लेकर सरकार कार्रवाई कर रही है. इस जमीन के रद्दीकरण के लिए अपर समाहर्ता के न्यायालय में मामला लंबित है. साथ ही जमाबंदी को लेकर सक्षम न्यायालय में वाद दायर करने की कार्रवाई की जा रही है.