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Teacher’s Day Special: बिहार के तीन शिक्षकों को विज्ञान भवन में दिया जायेगा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार

Teacher Day Special शिक्षक दिवस के मौके पर प्रभात खबर बिहार के ऐसे ही तीन शिक्षकों के विशेष बातचीत प्रकाशित कर रहा है, जिन्हें इस बार पांच सितंबर को नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सम्मानित करेंगी.

गुरु- शिष्य की परंपरा भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग रही है. गुरु का मतलब शिष्यों में ज्ञान के प्रकाश को प्रज्वलित करने वाला होता है. शिष्य भले ही किसी भी उच्च पद पर पहुंच जायें, लेकिन गुरु शिष्य के लिए सदैव आदर का पात्र है. शिक्षक एक मित्र, मोटीवेटर और ऐसे मार्गदर्शक होते हैं, जो हमें सही रास्ते और दिशा पर ले जाते हैं. शिक्षक दिवस के मौके पर प्रभात खबर बिहार के ऐसे ही तीन शिक्षकों के विशेष बातचीत प्रकाशित कर रहा है, जिन्हें इस बार पांच सितंबर को नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सम्मानित करेंगी. इन शिक्षकों का चयन राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए किया गया है. इनमें कैमूर जिले के रामगढ़ के आदर्श बालिका सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रधान शिक्षक अनिल कुमार सिंह, सीतामढ़ी के बाजपट्टी स्थित एमएस मधुबन बनगांव बाजार के प्रधान शिक्षक द्विजेंद्र कुमार और किशनगंज की हाइस्कूल सिंघिया की शिक्षिका कुमारी गुड्डी हैं.

ईमानदार प्रयास को हर हाल में मिलता है समर्थन, गार्जियन गर्वमेंट इसका उदाहरण : अनिल कुमार सिंह

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार मिलना गौरव की बात है. यह बड़ी जवाबदेही है. ताउम्र इसकी गरिमा बनाये रखना चाहूंगा. इस सम्मान का श्रेय उन लोगों को है, जिन्होंने मेरे प्रयासों को तन-मन-धन से समर्थन दिया. स्कूल की बेहतरी के लिए समाज के सहयोग से ‘गार्जियन गर्वमेंट’ की स्थापना की. अभिभावकों ने हर तरीके से स्कूल की मदद की. यही वजह है कि सरकारी स्कूल में बेहतर संसाधन जुटाये गये. मेरी दृढ़ मान्यता है कि ईमानदारी से किये गये प्रयासों को समाज जरूर समर्थन करता है. मेरे ही स्कूल में संसाधनों के विकास में न केवल अभिभावक बल्कि राजनीतिक प्रतिनिधियों ने भी भरपूर कोशिश की है. उन्हें लगा कि इस स्कूल में बच्चों की बेहतरी के लिए ईमानदारी से प्रयास किये जा रहे हैं. हम स्कूल की बेहतरी के लिए पूरी तरह सरकार पर निर्भर नहीं रह सकते हैं.

बेहतर शिक्षक बनने का गुण मुझे मेरे दादा जी से मिला. वह शिक्षक भी थे, स्वतंत्रता सेनानी भी. उनकी प्रेरणा मेरी सबसे बड़ी ताकत है. सरकारी स्कूलों के सामने संसाधन के अभाव की चुनौती है. मैं अपने स्कूल में ‘गार्जियन गर्वमेंट’ के जरिये इस चुनौती पर पार पाने की दिशा में प्रयास करूंगा. सरकार को भी चाहिए कि वह विशेष रूप से प्राथमिक शिक्षा पर फोकस करे. सरकारी स्कूलों की विश्वसनीयता के लिए ऐसा करना जरूरी है. मेरे रोल मॉडल के रूप में मेरी वह प्रेरणा है, जो मैं महसूस करता हूं कि बच्चों की बेहतरी के लिए मुझे यह करना चाहिए. मेरी दृढ़ मान्यता है कि आप जिस सिस्टम में रहें, वहां सर्वश्रेष्ठ करने का प्रयास करते रहना चाहिए. (अनिल कुमार सिंह , आदर्श बालिका प्लस टू माध्यमिक विद्यालय रामगढ़ ,कैमूर )

दृष्टि बाधित बच्चों की बेहतरी के लिए करूंगा काम : द्विजेंद्र कुमार

आगे मेरी कोशिश रहेगी कि मैँ दृष्टि बाधित बच्चों की बेहतर शिक्षा की दिशा में काम करूं. इस दिशा में मैंने काम भी शुरू कर दिया है. खासतौर पर दिव्यांग बच्चियों के लिए. अगर मैं उनकी दुश्वारी दूर कर सका तो मैं अपने को भाग्यशाली समझूंगा. अपने सरकारी स्कूल के साथ-साथ मै अभी कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय का प्रभारी संचालक भी हूं. 2021 में दिव्यांग बच्चों के लिए कामों को देखते हुए मध्य विद्यालय मधुबन में दिव्यांग मॉडल स्कूल की स्थापना की गयी. मुझे दिव्यांग बच्चियों के लिए काम करने का अवसर भी मिला है. इस अवसर को मैं सकारात्मक रूप में ले रहा हूं. मेरा सपना है कि मुझे इस क्षेत्र में पद्म सम्मान मिले.

मुझे शिक्षक की नौकरी अनुकंपा में मिली. मेरे शिक्षक पिता के देहांत के बाद मुझे यह जवाबदेही मिली. मैंने इस रूप में खुद को साबित करने के अथक प्रयास किया. इसका परिणाम मुझे राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के रूप में मिला है. शिक्षक होना सम्मान की बात है. यह मुझे हमेशा महसूस हुआ. मैंने बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए मासिक प्रतियोगिता के आधार पर मेधा छात्रवृत्ति स्थापित की. मेरे स्कूल का चेतना सत्र हमेशा खास रहता है. इसके रोज वीडियो बनाये जाते हैं. जो सराहे गये हैं. एक शिक्षक के रूप में मैंने जल संरक्षण की दिशा में खासी भूमिका निभायी. 2017 में मेरे कामों की प्रेरणा से मेरे जिले को लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में जगह मिल चुकी है. सरकार ने मुझे और मेरे स्कूल को पुरस्कृत भी किया गया था. मैंने अपने सहयोगियों की मदद से अभावग्रस्त स्कूल को मॉडल स्कूल के रूप में स्थापित करने में सफल रहा. मेरे आदर्श महान वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम हैं. सामाजिक उत्थान की दिशा में आगे बढ़ना चाहता हूं. एक शिक्षक के रूप में इस दिशा में अधिक से अधिक करना चाहता हूं. (द्विजेंद्र कुमार, मध्य विद्यालय मधुबन, सीतामढ़ी )

ग्रामीण क्षेत्रों की बेटियों में उच्च शिक्षा हासिल करने ललक जगाना चाहती हूं : कुमारी गुड्डी

ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बेहद जरूरत है. इस दिशा में बेहतर करने के लिए प्रभावी काम करना चाहती हूं. खासतौर पर बालिकाओं को उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए ललक पैदा करना चाहती हूं. एक शिक्षक के रूप में बच्चियों की बेहतर शिक्षा की प्रेरणा के लिए ‘मुनिया’ नाम की किताब भी लिखी है. यह किताब जल्दी ही प्रकाशित भी होगी. इस किताब में मेरा शिक्षक के रूप में समूचा अनुभव उड़ेला है. जिसका फायदा समाज उठा सकता है.

मैं शिक्षक परिवार से हूं. लिहाजा उच्च शिक्षा की राह पर में अपने विद्यार्थियों को प्रेरित करना चाहती हूं. सामान्य पढ़ाई से परे मैंने जिला विधिक सेवा प्राधिकार की कक्षाओं का संचालन भी किया है. इससे बच्चों में काफी जागरूकता आयी. माहवारी स्वच्छता प्रबंधन के क्षेत्र में मेरा काम काफी सराहा गया. कोरोना की आपदा के बीच भी मैंने अपने स्कूल के बच्चों को विभिन्न माध्यमों के जरिये जोड़े रखा. इन्होंने अपने स्कूल में आइसीटी की सुविधा को संचालित किया. बिहार मैथमेटिकल सोसायटी के कन्वेनर के रूप में पूरे जिले में बच्चों को ओलंपियाड और दूसरी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कराती रही हूं. मैंने स्कूली बच्चों के वित्तीय साक्षरता की दिशा में काफी प्रयास किये हैं. मुझे शिक्षक के रूप में जिला स्तर पर बेस्ट टीचर का पुरस्कार सहित करीब एक दर्जन से अधिक पुरस्कार मिल चुके हैं. खास बात है कि मुझे 2023 में प्रभात खबर की तरफ से लड़कियों के स्वास्थ्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य के लिए सम्मानित किया जा चुका है. कुमारी गुड्डी, प्लस टू उच्च विद्यालय सिंघिया, किशनगंज


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