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No Cost EMI के चक्कर में कहीं लूट न जाएं आप, Diwali की शॉपिंग करने से पहले जानें कितना Hidden Charges वसूलती है बैंक

No Cost Emi Offer, Hidden Charges, Interest Rate, Processing Fees, Fesive season: फेस्टिव सीजन शुरू होते ही ऑनलाइन कंपनियों ने ग्राहकों को लुभाने के लिए आकर्षक ऑफर और डिस्काउंट की पेशकश की है. इसके तहत ग्राहकों को नो कोस्ट इएमआइ के साथ छूट और आकर्षक ऑफर दिया जा रहा है. लेकिन नो कॉस्ट इएमआइ से खरीदारी करने पर सही जानकारी नहीं होने से आपको उत्पाद की कीमत अधिक अदा करनी पड़ सकती है. इसके लिए जरूरी है कि क्रेडिट या डेबिट कार्ड बैंक के ब्याज दर की पड़ताल जरूर कर ली जाये.

No Cost Emi Offer, Hidden Charges, Interest Rate, Processing Fees, Fesive season: फेस्टिव सीजन शुरू होते ही ऑनलाइन कंपनियों ने ग्राहकों को लुभाने के लिए आकर्षक ऑफर और डिस्काउंट की पेशकश की है. इसके तहत ग्राहकों को नो कोस्ट इएमआइ के साथ छूट और आकर्षक ऑफर दिया जा रहा है. लेकिन नो कॉस्ट इएमआइ से खरीदारी करने पर सही जानकारी नहीं होने से आपको उत्पाद की कीमत अधिक अदा करनी पड़ सकती है. इसके लिए जरूरी है कि क्रेडिट या डेबिट कार्ड बैंक के ब्याज दर की पड़ताल जरूर कर ली जाये.

बिना छूट पूरी कीमत पर खरीदना होता है उत्पाद

बाजार के जानकारों के अनुसार नो-कॉस्ट इएमआइ अधिक से अधिक संख्या में उत्पाद बेचने का एक तरीका है.

पहला तरीका यह कि नो कॉस्ट इएमआइ पर आपको उत्पाद बिना किसी छूट के पूरी कीमत पर खरीदना होता है. इसमें कंपनियां ग्राहकों को दी जानी वाली छूट को बैंक को ब्याज के तौर पर देती है. इसमें दूसरा तरीका यह होता है कि कंपनियां ब्याज की रकम को पहले ही उत्पादों की कीमत में शामिल कर लेती है.

कंपनियों की छूट के बावजूद टैक्स वसूलते हैं बैंक

बैंक के पूर्व अधिकारी बीडी प्रसाद ने बताया कि नो कॉस्ट इएमआइ को साधारण पर तीन हिस्सों में बांटा जाता है. इसमें रिटेलर, बैंक और ग्राहक शामिल होते हैं. कुछ बैंक हैं जो उत्पादों पर नो कॉस्ट इएमआइ का विकल्प देते हैं.

वैसे इस विकल्प को चुनने के लिए आपके पास उस बैंक का क्रेडिट कार्ड होना चाहिए. इसके अलावा आप नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी से भी इएमआइ कार्ड ले सकते हैं. रिटेलर्स केवल उन उत्पादों पर ही नो कॉस्ट इएमआइ का विकल्प देते हैं जो उसे अधिक से अधिक और कम समय में सेल करना होता हैं.

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उन्होंने बताया कि कुछ इएमआइ कार्ड के लिए फीस भी चुकानी पड़ती है. नो कॉस्ट इएमआइ की स्थिति में रिटेलर्स ग्राहकों को ब्याज जितनी राशि की छूट देते हैं. बावजूद बैंक प्रोसेसिंग फी व जीएसटी के नाम पर ग्राहकों से मोटी रकम वसूल करते हैं.

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समय पर किस्त नहीं भरने पर पेनाल्टी अलग

अगर आप नो कॉस्ट इएमआइ स्कीम का चयन करते हैं और आप रिटेलर्स से सामानों को खरीदते हैं, तो हो सकता है उनके साथ जुड़े कुछ एडवांस कैश डिस्काउंट आपको न मिले. इसके अलावा हर कीमत पर जीएसटी साथ ही प्रसंस्करण शुल्क जैसे अतिरिक्त लागतों का भी पेमेंट करना पड़ सकता है. जैसे कोई बैंक प्रोसेसिंग फीस चार्ज करते हैं, जो ग्राहक के द्वारा लिये गये उत्पाद की पहली माह की इएमआइ में जुड़कर आती है.

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आपके कार्ड स्टेटमेंट में हर माह वस्तु के मूल्य से अधिक आपकी खरीददारी पर जीएसटी लगता रहेगा. बैंक अधिकारियों की मानें तो यह स्कीम ग्राहकों के लिए कर्ज का जाल बन सकती है. अगर ग्राहक वक्त पर इएमआइ जमा नहीं कर पाते हैं तो बैंक पेनाल्टी के साथ आपके इएमआइ पर एक्स्ट्रा चार्ज करते हैं, जो महीने का दो से चार फीसदी तक हो सकता है.

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Posted By : Sumit Kumar Verma

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