बिहार सरकार के निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) ने पिछले 15 वर्षों में आय से अधिक संपत्ति जमा करने वाले 45 आइएएस-आइपीएस सहित अन्य सरकारी कर्मियों की ट्रैपिंग की है. लेकिन, अब तक इनमें से पांच मामलों में ही चार्ज फ्रेम हो सका, जबकि 17 मामलों में ही चार्जशीट दाखिल की जा सकी है. इनमें से नौ अभियुक्त तो रिटायर भी हो चुके. छह की रिटायरमेंट तो आरोप पत्र दाखिल किये जाने के पहले ही हो गयी. दो मामले में आरोपी की संपत्ति जब्त करते हुए उनके आवास में स्कूल खोला गया है, जबकि तीन आरोपियों की संपत्ति राज्यसात किये जाने पर न्यायालय में बहस चल रही है.
एसवीयू में गृह विभाग से जुड़े कर्मियों के सर्वाधिक नौ मामले हैं. इनके अलावा नगर विकास एवं पुलिस भवन निर्माण निगम के सात, सामान्य प्रशासन विभाग एवं निबंधन उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के चार-चार, लघु व जल संसाधन एवं पथ निर्माण विभाग के तीन-तीन, वन पर्यावरण, वाणिज्य कर एवं स्वास्थ्य विभाग के दो-दो तथा राजभाषा, कृषि, उद्योग, उच्च शिक्षा, समाज कल्याण, खनन, ग्रामीण विकास एवं पशु मत्स्य संसाधन विभाग के एक-एक कर्मियों पर मामले दर्ज हैं.
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गृह विभाग के नौ मामले में मात्र एक तत्कालीन आइपीएस नारायण मिश्र के खिलाफ चार्जशीट हुई है. हालांकि आरोप पत्र दायर होने के पूर्व ही रिटायर हो चुके थे. उनकी 1.34 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर उनके आवास में प्रावधान के अनुसार स्कूल खोला गया है. अन्य आठ मामलों में अनुसंधान चल रहा है. छह मामलों में विभागीय कार्यवाही चल रही है.
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नगर विकास एवं पुलिस भवन निर्माण निगम के सात में से चार मामलों में चार्जशीट दाखिल की गयी है. तीन में अनुसंधान चल रहा है, जबकि दो में विभागीय कार्यवाही प्रारंभ की गयी है. एक को भी अब तक सजा नहीं मिली.
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सामान्य प्रशासन विभाग के चार मामलों में किसी में चार्जशीट नहीं हुई है. एक अधिकारी रिटायर कर गये हैं. इनमें दो आइएएस भी हैं, जिनके मामले में अनुसंधान के साथ ही विभागीय कार्यवाही भी चल रही है.
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निबंधन विभाग के चार मामलों में भी एक मामले में चार्जशीट हुई है. इस अभियुक्त को विभाग के द्वारा सेवामुक्त भी कर दिया गया है. शेष तीन में दो पर विभागीय कार्यवाही प्रारंभ है.
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पथ निर्माण के तीन में से दो मामले में चार्जशीट हो गयी है. इनके चार्ज फ्रेमिंग के लिए मामला न्यायालय में विचाराधीन है. एक मामले में अनुसंधान ही चल रहा है.
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सिंचाई विभाग के तीनों मामले पुराने हैं, जिनमें चार्जशीट हो गयी है. हालांकि इनमें से एक अभियुक्त प्राथमिकी के पूर्व ही जबकि दूसरे चार्जशीट दाखिल किये जाने से पहले ही रिटायर हो गये. तीसरे अभियुक्त आइएएस शिवशंकर वर्मा के खिलाफ चार्ज फ्रेम किया जा चुका है. उनकी 1.43 करोड़ की संपत्ति जब्त करते हुए आवास में विद्यालय खोला जा चुका है. मामला अब भी हाइकोर्ट में विचाराधीन है.