पटना. राज्य में जल जीवन हरियाली अभियान के तहत पुराने अतिक्रमित जल स्रोतों की खोज शुरू होगी. पहले चरण में मुंगेर, बांका, भागलपुर, जमुई, कैमूर, गया और नवादा में अभियान चलाया जायेगा. यह निर्णय बाढ़-सुखाड़ मामले में हुई बैठक के बाद लिया गया है. जिसमें पाया गया है कि इन सातों जिला में भूजल की उपलब्धता तेजी से घट रही है. इन जिलों में हर साल भूजल की स्थिति खराब होने के कारण पुराने जल स्रोतों की पहचान करने का निर्णय लिया गया है, ताकि भूजल की उपलब्धता को बढ़ाया जा सकें.
इन जिलों में क्रिटिकल जोन को किया जायेगा चिन्हित, तब मुक्त होंगे पोखर और कुएं
पीएचइडी के मुताबिक इन जिलों में क्रिटिकल जोन को चिन्हित किया जायेगा, ताकि पुराने पोखर, तालाब एवं कुएं की पहचान हो सकें और जिला प्रशासन की मदद से अतिक्रमण मुक्त कराया जा सकें. विभाग ने अधिकारियों को सर्वे का शुरू करने का दिशा-निर्देश दिया गया है. जिसके बाद अधिकारी पिछले 20 वर्षों से अधिक का भूजल स्तर का डेटा से अभी के भूजल का मिलान करेंगे, ताकि भूजल की उपलब्धता के लिए तेजी से काम हो सकें.
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भूजल की समस्या के कारण सतह से पानी लेने पर हो रहा है काम
पीएचइडी के मुताबिक इन जिलों में जलवायु परिवर्तन के कारण भूजल स्रोतों की समस्याएं उत्पन्न हो रही है. इससे बोर के ड्राइ होने और कम डिस्चार्ज होने के कारण बोर बेल तक फेल हो रहे है. इस कारण से इन जिलों में सतह से पानी लेकर पानी को पाइप से घरों में पहुंचाने की योजना बनायी जा रही है. वहीं, प्रारंभिक काम शुरू भी किया गया है.
यह होगा काम
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– पुराने जल स्रोतों की पहचान करके अतिक्रमण मुक्त कराया जायेगा.
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– पोखर, तालाब, कुएं को दुरुस्त किया जायेगा और नये पेड़ लगेंगे.
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– क्रिटिकल जोन में तकनीकी रूप से सर्वे होगा और निदान निकाला जायेगा.
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– नये तालाब व पोखर बनाये जायेंगे.
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– घरों में सोखता बनाने के लिए लोगों को जागरूक किया जायेगा.
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– पानी के पानी का संरक्षण होगा.