झारखंड में सड़क निर्माण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. भारतमाला परियोजना पहल के हिस्से के रूप में, रांची को ओडिशा के संबलपुर से जोड़ने के लिए एक एक्सप्रेसवे का निर्माण किया जाएगा. इस एक्सप्रेसवे के निर्माण, जिसे महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना के तहत मंजूरी दी गई है. जिससे रांची और संबलपुर के बीच यात्रा के लिए काफी समय की बचत होगी. रांची से अब चंद घंटों में लोग ओडिशा पहुंच सकेंगे. दोनों शहरों को जोड़ने के लिए चार चरणों में एक्सप्रेस-वे बनाया जाएगा. ओडिशा के जैतगढ़ तक एक्सप्रेस-वे बनेगा. इस पर 719 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.
रांची में जिन यात्रियों को कचहरी-पिस्का मोड़ पर यात्रा करते समय कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था, वे आखिरकार राहत की सांस लेंगे. रातू रोड एलिवेटेड कॉरिडोर आकार लेने लगा है. फिलहाल पंडरा रोड में डेक स्लैब का काम हो रहा है. अभी छह पिलरों के बीच ढलाई का काम हो गया है. शेष छह पिलर के बीच काम होना है. इस तरह पंडरा रोड में पिस्का मोड़ तक यह काम पूरा हो जायेगा. यहां डेक स्लैब का काम पूरा होने के बाद रातू रोड में किशोरी सिंह यादव चौक से डेक स्लैब का काम शुरू कराया जायेगा. इस बीच पिस्का मोड़ से कब्रिस्तान के आगे तक पिलर कैप, गर्डर लगाने का काम किया जायेगा. वहीं, इटकी रोड में 14 पिलर का काम किया जायेगा. यह प्रयास किया जा रहा है कि इस साल के अंत तक एलिवेटेड रोड को पूरी तरह आकार दे दिया जाये.
पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत धालभूमगढ़ में हवाई अड्डा के निर्माण से क्षेत्र की आधारभूत संरचना में व्यापक बदलाव देखने को मिलेगा. हर क्षेत्र में आर्थिक बदलाव-सुधार देखने को मिलेंगे. इसका लाभ उद्योग, व्यवसाय, हेल्थ, शिक्षा व अन्य कई क्षेत्रों को मिलेगा. हवाई सेवा से अनुमानत: पहले साल में 52 हजार से अधिक पैसेंजर उड़ान भरेंगे. पूर्वी, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला के कुछ हिस्से, पश्चिम बंगाल व ओडिशा के कई जिलों को इससे लाभ मिलेगा. बता दें कि हवाईअड्डे का निर्माण द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सेवामुक्त किए गए एक हवाई क्षेत्र पर किया जाएगा, जो कि जमशेदपुर से लगभग 60 किलोमीटर दूर है.
रांची रेलवे स्टेशन एक पुनर्विकास परियोजना के दौर से गुजर रहा है. जिसमें दो-तीन मंजिला टर्मिनल भवन, 10 लिफ्ट, 17 एस्केलेटर, अलग प्रवेश और निकास बिंदु, एक पार्सल हैंडलिंग सिस्टम और एक ऊंचा कॉन्कोर्स का निर्माण शामिल है. नया टर्मिनल भवन यात्रियों को प्लेटफॉर्म पांच तक पहुंचने की अनुमति देगा और एक फुटब्रिज द्वारा दूसरे टर्मिनल भवन से जुड़ा होगा. इस परियोजना की लागत 447 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है और इसे 2025 तक पूरा किया जाएगा. एलिवेटेड कॉन्कोर्स टॉयलेट, कैफे और रेस्तरां सहित विभिन्न सुविधाएं प्रदान करेगा.
ऐसे ही एक और परियोजना है जो झारखंड की तस्वीर को बदल देगा. बात कर रहे हैं गोला-ओरमांझी एक्सप्रेसवे परियोजना की. जिसे बनाने में लगभग 1700 करोड़ रुपये की लागत आएगी. इसे भारतीय राष्ट्रीय-राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा मंजूरी दे दी गई है और जल्द ही इसे बोली के लिए रखा जाएगा. यह परियोजना, जिसे ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट के रूप में विकसित किया जाएगा. कहा जा रहा है कि यह झारखंड राज्य का पहला वास्तविक एक्सप्रेसवे होगा. इस परियोजना के बन जाने से बड़े वाहनों के चालकों और निजी वाहनों के मालिकों को परिवहन के लिए बेहतर विकल्प देगा.
जमशेदपुर के मानगो में तीसरे पुल और पहले फ्लाईओवर योजना की राज्य मंत्रिमंडल से मंजूरी दे दी गई है. यह फ्लाईओवर 474.78 करोड़ रुपये की है और यह लोगों को उच्च गुणवत्ता वाला बुनियादी ढांचा और बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगी. इसके साथ ही फ्लाईओवर सड़क जाम की समस्या से निजात दिलाएगा. वहीं, चार किलोमीटर लंबा पुल मानगो और आजाद बस्ती को साकची से जोड़ेगा. जमशेदपुर को मेट्रो सिटी की तर्ज पर सुविधा प्रदान की जायेगी.
झारखंड और बिहार के लोगों के लिए बहुत जल्द बड़ी सौगात मिलने वाली है. दरअसल, अक्टूबर 2024 तक झारखंड के साहिबगंज को बिहार के मनिहारी से जोड़ने वाले गंगा नदी पर एक नए पुल को जोड़ने का काम कर रही है. बता दें कि यह पुल, जो 6 किमी लंबा है और दुनिया का तीसरा सबसे लंबा पुल है. पुल, यात्रा की दूरी को वर्तमान दूरी से 1/10 कम कर देगा. इस परियोजना में मनिहारी बाईपास का निर्माण और NH-131A का चौड़ीकरण भी शामिल है. इस परियोजना की लागत 1,900 करोड़ रुपये है और इसे पूरा करने में करीब 2,750 निर्माण श्रमिक काम कर रहे हैं.
सिरमटोली फ्लाईओवर निर्माण के लिए रेलवे ने अनुमति दे दी है. पहले रेलवे ने पाइलिंग करने के लिए अनुमति दी थी. अब निर्माण कार्य के लिए क्लियरेंस दे दिया है. इसके बाद अब किसी तरह की अड़चन नहीं है. फिलहाल मौजूदा ओवरब्रिज के ठीक नीचे पाइलिंग के बाद पियर निर्माण का काम किया जा रहा है. वर्ष 2024 तक शहर में एक केबल-स्टे ब्रिज-कम-फ्लाईओवर पूरा होने वाला है, जो राज्य में पहला होगा. ऐसे में अब रेलवे से संबंधित किसी तरह की समस्या नहीं होगी.
दुमका में मसलिया-रानीश्वर मेगा लिफ्ट सिंचाई परियोजना का शुभारंभ झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कर दिया है. इस परियोजना से झारखंड के 276 गांवों के किसानों को लाभ मिलेगा. साथ ही भूमिगत पाइपलाइनों के माध्यम से लगभग 55,000 एकड़ भूमि की सिंचाई की जा सकेगी. इस परियोजना की लागत 1,300 करोड़ रुपये की है और लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) इस परियोजना का निर्माण करेगी. जानकारी के अनुसार तीन साल के अंदर नदी पर 158 मीटर का बैराज भी बनाया जाएगा.
रांची आउटर रिंग रोड, जिसकी लागत 7,000 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है. लगभग 200 किमी तक फैली एक गोलाकार सड़क होगी और इसमें कई केबल-रुके हुए पुल शामिल होंगे. इसे मौजूदा 86 किमी लंबी रिंग रोड से लगभग 10 किमी दूर बनाया जाएगा.