Mental Health : ‘यह मुझसे नहीं होगा, लगता है कि गलत ही होगा’ ऐसे कई विचार जब आपको रोज आने लगे यानी आप खुद पर ही संदेह करने लगे तो समझना होगा कि यह खुद के लिए घातक व्यवहार है. जिसे जितनी जल्द हो बदलना जरूरी है. आत्मविश्वास और आत्मसम्मान इंसान के संपूर्ण विकास की ताकत है. आज एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ है और इंसान प्रतिस्पर्धा के युग में अपनी क्षमता के अनुसार प्रयास भी करता है इस दौरान कोई आगे निकल जाता है तो कोई दो कदम पीछे. प्रतिस्पर्धा के उच्च स्तर के कारण, बहुत से लोग अपने बारे में प्रतिकूल विचार रखने लगते हैं, विशेषकर नकारात्मक, जो उनके समग्र कल्याण के लिए हानिकारक हो सकती है.
सबसे पहले नकारात्मक सोच से बचें
हमेशा नकरात्मक बात करने वाले लोगों से बनाएं दूरी. नकारात्मक आत्म-चर्चा से नकारात्मक विचार पैटर्न बनने लगते हैं. ‘मैं यह नहीं कर सकती की बजाय मैं जरूरी सफलतापूर्वक करूंगी. ऐसे विचारों को जागृत करें. नकरात्मक बातों को यथार्थवादी और सकारात्मक कथनों से बदल दें.
अधिक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करना और लगातार असफल रहना नकरात्मक भावनाओं को प्रबल कर सकता है. इसलिए यथार्थवादी लक्ष्य निर्धारित करें. जो चुनौतीपूर्ण होने के साथ-साथ प्राप्त करने योग्य हो. रास्ते में मिली छोटी-छोटी जीतों का जश्न मनाएँ और पहचानें कि असफलताएँ यात्रा का स्वाभाविक हिस्सा हैं.
नियमित आत्म-चिंतन नकरात्मक सोच के मूल कारणों को समझने का एक प्रभावी तरीका है. थोड़ा समय निकालकर अपनी भावनाओं का आकलन करें और अपने बारे में अपनी प्रतिकूल राय के कारणों पर विचार करे. यह पिछले अनुभवों, सामाजिक दबाव या दूसरों के साथ तुलना से भी प्रभावित हो सकता है इसलिए उत्प्रेरक भावों की पहचान कर उसे दोबारा व्यवस्थित करने की दिशा में काम कर सकते हैं.
अपनी क्षमताओं को बढ़ाने और नए ज्ञान प्राप्त करने के लिए खुद को समर्पित करने से आत्मविश्वास को बढ़ावा मिल सकता है. ऐसी किताब पढ़ना शुरू करें जो आपकी समझ को व्यापक बनाती हो, या जिस चीज़ में आपकी रुचि हो उसे सीखें.
अपने बारे में आपका दृष्टिकोण उन लोगों और परिवेश से काफी प्रभावित होता है जिनमें आप रहना चाहते है. ऐसे लोगों के साथ समय बिताएं जो आपको प्रोत्साहित करते हैं और आपका समर्थन करते हैं.
अक्सर, नकारात्मक आत्म-धारणा से जूझ रहे लोग खुद के प्रति अत्यधिक आलोचनात्मक होते हैं, अपनी गलतियों को अक्षम्य दोष मानते हैं . अपने आप के साथ उसी विचार और दयालुता के साथ व्यवहार करना चाहिए जैसा कि आप एक मित्र के साथ करते हैं, अपनी गलतियों को स्वीकार करें, लेकिन अपने प्रयासों और सफलताओं को भी स्वीकार करें.
नेगेटिव व्यवहार पर काबू पाने के लिए निरंतर प्रयास और मानसिकता में बदलाव की जरूरत होती है.पॉजिटिव सोच और व्यवहार मुश्किल से मुश्किल चुनौतियों को आसानी से निपटने में मदद करता है.
Also Read: Health Care : क्या दिल- दिमाग पर हावी है अवसाद, डॉक्टर से जानिए लक्षण, कारण और उपचारDisclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.