FIH Men’s Hockey World Cup 2023: खाली पड़ी कुर्सियां, चारों तरफ पसरा सन्नाटा और बरसों से चला आ रहा इंतजार. दुनिया की शीर्ष हॉकी टीमों के हुनर से जहां अगले कुछ दिन में ओडिशा गुलजार होगा, वहीं भारत ही नहीं, दुनिया के सर्वश्रेष्ठ हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के नाम पर बना नेशनल स्टेडियम यूं ही बेनूर पड़ा अंतरराष्ट्रीय हॉकी के लिये इंतजार करता रहेगा.
दिल्ली के दिल में बने इस ऐतिहासिक स्टेडियम को कभी ‘भारतीय हॉकी का मंदिर’ कहा जाता था, लेकिन पिछले करीब एक दशक से यहां अंतरराष्ट्रीय हॉकी नहीं हुई है. यह यकीन करना मुश्किल है कि कभी करीब 20000 दर्शकों के शोर से इसका जर्रा-जर्रा गूंजता था. जब भारत ने चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को विश्व कप 2010 और उसी साल राष्ट्रमंडल खेलों में हराया था तो खचाखच भरे स्टेडियम में जज्बात का सैलाब उमड़ पड़ा था.
भावनगर के महाराजा की ओर से दिल्ली को तोहफे में मिले नेशनल स्टेडियम (पूर्व नाम इरविन एम्पीथिएटर) ने 1951 में पहले एशियाई खेल देखे और 1982 एशियाई खेलों के हॉकी फाइनल में पाकिस्तान से मिली हार के बाद खिलाड़ियों के आंसू भी. इसी मैदान पर आस्ट्रेलिया ने 2010 राष्ट्रमंडल खेलों के फाइनल में भारतीय हॉकी के सीने पर आठ गोल दागे थे.
Also Read: FIH Hockey World Cup 2023: 11 जनवरी को होगा हॉकी वर्ल्ड कप का रंगारंग आगाज, रणवीर सिंह करेंगे परफॉर्मयहां आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच 2014 हीरो विश्व लीग फाइनल हुआ था. संस्थानों की अंतर विभागीय हॉकी यदा कदा यहां होती है. तत्कालीन भारतीय हॉकी प्रशासन के दिल्ली को लेकर उदासीन रवैये और उस समय भारतीय हॉकी की संकटमोचक बनकर उभरी ओडिशा सरकार के खेलप्रेम के चलते अंतरराष्ट्रीय हॉकी का केंद्र भुवनेश्वर बन गया. विश्व कप हो या प्रो लीग या चैम्पियंस ट्रॉफी सभी की मेजबानी ओडिशा ने की जिससे दिल्ली के दरवाजे बंद होते चले गए.
भारतीय जूनियर और महिला हॉकी टीम के पूर्व कोच और नेशनल स्टेडियम के पूर्व प्रशासक रहे अजय कुमार बंसल का मानना है कि हॉकी के लिये ओडिशा का योगदान सराहनीय है, लेकिन दूसरे केंद्रों पर भी अंतरराष्ट्रीय मैच होने चाहिये. उन्होंने ‘भाषा’ से कहा, “नेशनल स्टेडियम का आकर्षण अलग ही है. मुझे याद है कि 1982 एशियाड फाइनल देखने हम पटियाला से यहां आये थे जहां उस समय कोचिंग डिप्लोमा कोर्स कर रहे थे. वह माहौल आज भी याद है.’
तमाम सुविधायें, एक मुख्य पिच और दो अभ्यास पिच, नीली एस्ट्रो टर्फ, 16200 दर्शक क्षमता और लुटियंस दिल्ली इलाका. इसके बावजूद दिल्ली के हॉकीप्रेमियों के साथ स्टेडियम के मुख्य द्वार पर हाथ में स्टिक लेकर खड़े मेजर ध्यानचंद की प्रतिमा को भी यहां अंतरराष्ट्रीय हॉकी होने का इंतजार है. बता दें कि ओडिसा में 13 जनवरी से 16 टीमों के बीच वर्ल्ड कप चैंपियन बनने के लिए घमासान शुरू हो जाएगा. वर्ल्ड कप का फाइनल मुकाबला 29 जनवरी को खेला जाएगा.
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