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यूपी पुलिस AI से ऐसे बचा रही लोगों की जान, एक अलर्ट दे रहा जीवनदान

क्राइम कंट्रोल के साथ-साथ यूपी पुलिस लोगों की जान बचाने का काम भी कर रही है. इसमें उसने मदद ली है आधुनिक AI (Artificial Intelligence) तकनीक की. Meta के साथ मिलकर यूपी पुलिस ने आत्महत्या का प्रयास करने वाले सैकड़ों लोगों की जान बचाई है.

यूपी की राजधानी लखनऊ में एक युवती ने अपने बेडरूम के सीलिंग फैन में साड़ी का फंदा बनाकर लटकने का वीडियो इंस्टाग्राम पर डाला. जैसे ही वीडियो पोस्ट हुआ मेटा (Meta AI) ने यूपी पुलिस की साइबर क्राइम सेल को अलर्ट भेज दिया. इसमें युवती के आत्महत्या का प्रयास का वीडियो और उसकी लोकेशन शेयर की गई थी. अलर्ट मिलते ही पुलिस युवती के घर पहुंची. हालांकि युवती फांसी के फंदे पर लटकती मिली. लेकिन उसकी जान बचा ली गई.

अब तक 513 लोगों की बचाई जान

सोशल मीडिया पर लाइव आकर सुसाइड करने का प्रयास करने वाले लोगों को बचाने का ये प्रयास आधुनिक होती यूपी पुलिस की नई व्यवस्था को बताता है. तकनीक व आधुनिक संसाधनों ने यूपी पुलिस को इतना सक्षम बना दिया है कि बीते एक साल में हत्या का प्रयास करने वाले 513 लोगों की जान बचाई जा चुकी है. यूपी पुलिस को कैसे सुसाइड का प्रयास करने वाले वीडियो का अलर्ट मिलता है? उसकी पहचान और लोकेशन पुलिस कैसे पहुंचते हैं. यूपी पुलिस ने कैसे अपने आपको इसके लिए तैयार किया ये भी एक रोचक कहानी है. असल में यूपी के इस मॉडल को अन्य राज्य भी अपने यहां लागू कर चुके हैं. कई अन्य राज्य अपने यहां ऑनलाइन आकर आत्महत्या के प्रयास की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए यूपी की मदद मांग रहे हैं.

एक अलर्ट और यूपी पुलिस एक्टिव

यूपी पुलिस के साइबर क्राइम सेल के एक अधिकारी बताते हैं कि फेसबुक, इंस्ट्राग्राम और वाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म का संचालन करने वाली मदर कंपनी Meta के सहयोग से लोगों की जान बचाना संभव हो पाया है. मेटा AI (Artificial Intelligence) की मदद से इस तरह के वीडियो की पहचान करता है. जैसे ही सुसाइड से जुड़ा कोई वीडियो इंस्टाग्राम या फेसबुक पर पोस्ट होता है तो AI की मदद से मेटा को पता चल जाता है. मेटा के कैलिफोर्निया स्थित हेडक्वार्टर से यूपी पुलिस के सोशल मीडिया सेल को ईमेल और फोन से अलर्ट भेजा जाता है. इस अलर्ट से यूपी पुलिस तुरंत एक्टिव होती है. एक विशेष डेस्क को सूचना दी जाती है. ये डेस्क इस अलर्ट की जानकारी यूपी 112 और एसटीएफ को देती है. जहां से संबंधित जिले को सूचना जाती है. इसी के साथ ऑपरेशन ‘स्टॉप सुसाइड’ शुरू हो जाता है.

पुलिस मोबाइल लोकेशन से पहुंचती है पीड़ित तक

यूपी पुलिस मेटा हेडक्वार्टर से मिली मोबाइल लोकेशन के आधार पर पीड़ित के घर पहुंचती है. यूपी 112 की पीआरवी और स्थानीय पुलिस पीड़ित के परिवार से संपर्क करती है. साथ ही स्वयं मौके पर पहुंच कर सुसाइड करने वाले को बचाने का प्रयास करती है. साइबर सेल के अधिकारी बताते हैं कि 1 जनवरी 2023 से 31 अगस्त 2024 तक मेटा से लगभग 835 अलर्ट मिल चुके हैं. इनमें से 513 लोगों की जान बचाने में सफलता मिली है. जिन लोगों को नहीं बचाया जा सका, वहां पीड़ित की लोकेशन सही न मिलने, मोबाइल फोन स्विच ऑफ होने और घनी आबादी वाला इलाका होने के कारण पीड़ित से संपर्क करने में दिक्कतें सामने आई.

Meta AI क्या है?

मेटा फेसबुक की मदर कंपनी है. इसी कंपनी ने AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता या Artificial Intelligence) की सुविधा भी दी है. मेटा एआई, वॉट्सएप, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर उपलब्ध है. इससे गूगल सर्च की तरह सवाल पूछे जा सकते हैं. इससे अपने रचनात्मक विचारों को वास्तविकता में बदला जा सकता है. अपनी बनाई गई छवियों को एनिमेशन में बदला जा सकता है. मेटा एआई का इस्तेमाल हिंदी सहित सात भाषाओं में किया जा रहा है. इसे अभी और अधिक बढ़ाया जाएगा. इसी AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता या Artificial Intelligence) की सहायता फेसबुक, इंस्टाग्राम पर लाइव सुसाइड का प्रयास करने वालों की पहचान जाती है. जिसे अलर्ट के रूप में फोन और ईमेल के माध्यम से पुलिस को भेजा जाता है. इस अलर्ट में सुसाइड का प्रयास करने वाले की लोकेशन लॉगीट्यूड, एटीट्यूड आईडी लोकेशन के साथ यूपी पुलिस की सोशल मीडिया सेल को भेजा जाता है. ये मेल व फोन पुलिस की उच्च प्राथमिकताओं में शामिल हैं.

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