Sloganeering in Parliament : 25 जून की दोपहर को संसद में जब एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने सांसद की शपथ लेना शुरू किया, तो किसी को भी यह अंदाजा नहीं था कि शपथ के बाद विवाद शुरू हो जाएगा. दरअसल विवाद इस बात को लेकर हुआ कि असदुद्दीन ओवैसी ने शपथ के बार जय भीम, जय मीम, जय तेलंगाना और जय फिलिस्तीन का नारा लगाया. उनके जय फिलिस्तीन कहने पर जब संसद में एनडीए के सांसदों ने हंगामा किया तो स्पीकर ने उनके नारे बाजी में से ‘जय फिलिस्तीन’ शब्द को संसद की कार्यवाही से हटवा दिया.
असदुद्दीन ओवैसी की सदस्यता रद्द करने की उठी मांग
जय फिलिस्तीन का नारा संसद में लगाए जाने को देश विरोधी कृत्य बताते हुए ओवैसी की सदस्यता रद्द करने की मांग उठी है. अमरावती की सांसद नवनीत राणा और सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन ने सदस्यता रद्द करने की मांग की है. विष्णु शंकर जैन ने एक्स पर पोस्ट लिखा है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से इस संबंध में शिकायत की गई है और संविधान के अनुच्छेद 102 और 103 के तहत शिकायत दर्ज की गई और ओवैसी की सदस्यता रद्द करने की मांग की गई है.
संसद में नारेबाजी करने से क्या रद्द हो सकती है सदस्यता?
विधायी मामलों के जानकार अयोध्या नाथ मिश्र ने बताया कि संसद के सदस्य सदन में नारे बाजी करते रहते हैं, जिसे हंगामे का नाम भी दिया जाता है. दरअसल सांसद निर्धारित कार्यवाही के दौरान अपनी बात रखने के लिए नारेबाजी का सहारा लेते हैं. असदुद्दीन ओवैसी ने नारेबाजी के दौरान जो कुछ कहा उसकी शिकायत संविधान के अनुच्छेद 102 के तहत की गई है और उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग की गई है. इन अनुच्छेद के तहत किसी भी सदस्य को अयोग्य ठहराया जा सकता है, लेकिन उसके लिए कुछ बातें प्रमाणित भी करनी होगी. इतिहास में इस तरह की घटना इसलिए देखने को नहीं मिलती है क्योंकि उस दौरान किसी ने इस तरह की नारेबाजी नहीं की थी.
अयोध्या नाथ मिश्र ने कहा कि इस अनुच्छेद के तहत किसी को अयोग्य तभी ठहराया जा सकता है, जब यह सिद्ध हो जाए कि संबंधित व्यक्ति की निष्ठा उस देश के प्रति है. यानी वह व्यक्ति किसी दूसरे देश के प्रति आस्था रखता हो, उसकी इस निष्ठा से देश की संप्रुभता पर खतरा उत्पन्न हो जाए. लेकिन यहां बड़ा सवाल यह है कि इस बात को प्रमाणित कैसे किया जाएगा कि नारेबाजी करने वाले सांसद की निष्ठा दूसरे देश के प्रति है. इसलिए नारेबाजी के इस मुद्दे की अभी समीक्षा होगी और सदस्यता रद्द होने जैसी कोई स्थिति नजर नहीं आ रही है.
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आगे क्या हो सकता है?
सदन में नारेबाजी की शिकायत स्पीकर के पास की जा सकती है, जिसके तहत वे विचार करेंगे और अगर जरूरी हुआ तो कार्रवाई होगी. सबसे पहले तो स्पीकर ने एनडीए के सांसदों के विरोध के बाद असदुद्दीन ओवैसी के नारेबाजी को सदन की कार्यवाही से निकाल दिया है, जो यह साबित करता है कि उनकी बात को इग्नोर कर दिया गया है. दूसरे यह कि अगर संविधान के अनुच्छेद 102 की बात हो रही है, तो फिर सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में मामले की शिकायत की जा सकती है, क्योंकि मामला जब संवैधानिक होगा, तो उसे परिभाषित न्यायालय ही करेगा.
क्या है असदुद्दीन ओवैसी का पक्ष
एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि उन्होंने शपथ के बाद कुछ भी ऐसा नहीं कहा जो आपत्तिजनक हो. उन्होंने उर्दू में शपथ लिया है और उन लोगों की आवाज बनने की कोशिश की जो हाशिए पर हैं. उन्होंने कहा कि मैं हमेशा से हाशिए पर रहे लोगों की बात उठाता रहा हूं और उठाता रहूंगा. जहां तक बात फिलिस्तीन की है, तो भारत का रुख फिलिस्तीन के प्रति कैसा और क्या रहा है, यह सबको पता है मुझे बताने की जरूरत नहीं है.