12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

गलवान घाटी में चीन की हिमाकत से शुरू हुआ विवाद खत्म, ड्रैगन को समझ आई भारत की ताकत

India-China Relation : गलवान घाटी में जिस तरह चीन ने भारत की पीठ पर छुरा घोंपा था, उसका अंत अंतत: हो गया है. भारत द्वारा समझौते की घोषणा के बाद ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान चीन ने भी यह मान लिया है कि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में जारी गतिरोध समाप्त हो गया है और दोनों देश अब आगे की योजना पर काम करेंगे. भारत ने इसे दृढ़ कूटनीति का परिणाम बताया है और सेना की ओर से कहा गया है कि अब विश्वास बहाली की प्रक्रिया शुरू होगी. पढ़ें क्या था पूरा मामला.

India-China Relation : भारत और चीन के बीच जून 2020 से पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में जारी गतिरोध समाप्त हो गया है. अब दोनों देशों की सेनाएं देपसांग और डेमचोक से हट जाएंगी और उसी तरह पेट्रोलिंग करेंगी जैसे 2020 के पहले किया करती थीं. ब्रिक्स सम्मेलन से पहले सोमवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह जानकारी दी थी जिसकी पुष्टि मंगलवार को चीन के विदेश मंत्रालय ने कर दी है. चीन के विदेश मंत्रालय ने बताया है कि उनका देश पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में गतिरोध को समाप्त करने के लिए भारत के साथ समझौते तक पहुंच गया है.

भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध का समाप्त होना दोनों देशों के बीच कूटनीतिक पहल की जीत है. एस जयशंकर ने इसे सकारात्मक और दृढ़ कूटनीति का नतीजा बताया है. भारत और चीन के बीच लगातार सीमा विवाद को लेकर बातचीत हो रही थी और उसका परिणाम अब सामने आया है. विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने सोमवार को कहा कि कई क्षेत्र इस तरह के भी थे जहां गतिरोध था, लेकिन अब जबकि चीन ने भी यह कह दिया है कि 2020 के पहले की स्थिति बहाल होगी यह दोनों देशों के संबंधों में शुभ संकेत है. 

Also Read : पीवीसी पाइप के धंधे से बीजेपी के रणनीतिकार तक, जानें कैसा रहा है अमित शाह का सफर

झारखंड की 31 विधानसभा सीटों पर महिला वोटर्स पुरुषों से ज्यादा, जानिए कैसे लुभा रही हैं पार्टियां

गलवान घाटी में क्या हुआ था?

गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने घुसपैठ किया था जब भारतीय सैनिकों ने उनका विरोध किया तो उनके बीच झड़प हुई, जिसमें एक कमांडर सहित 20 सैनिकों की मौत हुई थी. कई चीनी सैनिकों की भी इस झड़प में मौत हुई थी, लेकिन चीन ने इसकी पुष्टि नहीं की थी बाद में ऑस्ट्रेलिया के एक अखबार ने एक खोजी रिपोर्ट छापी थी जिसमें यह बताया गया था कि चीन के 38 सैनिक इस झड़प में गलवान नदी में बह गए थे, हालांकि चीन ने सिर्फ चार सैनिकों के मौत की बात को स्वीकारा था. गलवान घाटी एलएसी में काफी महत्वपूर्ण है और इस क्षेत्र को लेकर 1962 से ही तनाव है. पूरे इलाके को चीन अपना बताने की कोशिश करता रहा है और कई बार गलवान घाटी को अपने क्षेत्र में बताने की गुस्ताखी वो कर चुका है, जिसका भारत ने हमेशा ही मुंहतोड़ जवाब दिया है. गलवान घाटी में जो कुछ हुआ, उसकी वजह यह थी कि भारत यहां पुल बना रहा था जो जरूरी थे, बस यही बात चीन को अखरने लगी जबकि वो खुद एलएसी के पास कई तरह के निर्माण कार्य करता रहा है. 1962 के बाद डोकलाम ने कई कंस्ट्रक्शन किए थे जो दोनों देशों के बीच विवाद की बड़ी वजह रहा है.

गलवान घाटी संघर्ष के बाद क्या हुआ?

Copy Of Add A Heading 81 1
गलवान घाटी में चीन की हिमाकत से शुरू हुआ विवाद खत्म, ड्रैगन को समझ आई भारत की ताकत 2

गलवान घाटी में संघर्ष के बाद दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में हजारों सैनिकों को तैनात कर दिया था, जिसकी वजह से दोनों देश के बीच सीमा विवाद बढ़ गया था. युद्ध जैसी स्थिति थी और दोनों देशों की ओर से टैंक और हथियार तैनात कर दिए गए थे. कई दौर की वार्ता के बाद भी तनाव कम नहीं हुआ और दोनों देश आमने-सामने थे. भारत ने इस मुद्दे पर चीन को सटीक जवाब दिया और भारत ने अपनी कूटनीति से चीन को यह बात समझा दी कि वह अब 1962 का भारत नहीं है, जिसके साथ वह अन्याय कर पाएगा. अब जबकि दोनों देशों ने यह माना है कि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में गतिरोध खत्म हो गया है, यह दोनों देशों के लिए शुभ संकेत है. बिक्स सम्मेलन में पीएम मोदी के साथ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात संभव है, यह मुलाकात दोनों देशों के बीच नए युग की शुरुआत हो सकता है. समझौते के बाद दोनों देशों आगे की योजना पर काम करेंगे, ताकि भविष्य में गलवान जैसी स्थिति उत्पन्न ना हो. कुल मिलाकर अब भारत विश्वास बहाली की प्रक्रिया की अग्रसर होगा, जो झटके में संभव नहीं होगा, यह एक चरणबद्ध प्रक्रिया होगी.

Also Read : India China Border Dispute: भारत-चीन सीमा की 1947 में क्या थी स्थिति और आज क्या है?

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें