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Earthquake : 7 जनवरी 2025, मंगलवार की सुबह नौ बजे तिब्बत के डिंगरी इलाके में आए 6.8 तीव्रता के भूकंप की वजह से तिब्बत सहित भारत, नेपाल और भूटान में भी धरती कांपी और लोग दहशत में आए. तिब्बत में भूकंप की तीव्रता इतनी थी कि कई घर क्षतिग्रस्त हो गए. नेपाल से सटे बिहार के कई जिलों में भी भूंकप के झटके महसूस किए गए. प्राकृतिक आपदाओं में से भूकंप ही एक ऐसी आपदा है, जिसका पूर्वानुमान संभव नहीं है. यही वजह है कि आज भी भूकंप की तीव्रता अगर अधिक होती है, तो जान-माल के नुकसान को रोकना असंभव सा हो जाता है.
कैसे आता है भूकंप? (How an earthquake occur?)
पृथ्वी की सबसे ऊपर परत (क्रस्ट) में मौजूद अधिकांश दरारें अमूमन हिलती नहीं हैं, लेकिन कई बार टेक्टोनिक बल या फोर्स की वजह से दरारों के दोनों तरफ की चट्टानें धीरे-धीरे विकृत होने लती है. जब भूमिगत चट्टान अचानक टूटती है और उसकी गति तेज होती है,तो भूकंप आता है.भूमिगत चट्टानों के टूटने से भूकंपीय तरंगें उत्पन्न होती हैं, जो पृथ्वी की ऊपर यानी क्रस्ट को कंपा देती है. पृथ्वी तबतक कांपती है जबतक कि टूटने वाली चट्टानें हिलती रहती हैं, जब टूट के बाद चट्टानें फिर कहीं पर अटक जाती है, तो धरती का कंपन बंद हो जाता है.
क्या है टेक्टोनिक बल (what are tectonic forces?)
टेक्टोनिक बल पृथ्वी के अंदर उत्पन्न होने वाला बल है, जो पृथ्वी की ऊपर क्रस्ट को टेढ़ा करता है और उसे खंडित करता है या तोड़ता है. यह बल पृथ्वी की क्रस्टल प्लेटों की गति से उत्पन्न होता है. इसकी वजह से भूकंप, पर्वत निर्माण और ज्वालामुखी विस्फोट जैसी घटनाएं होती हैं. जब भूकंप आता है तो उसका फोकस या हाइपोसेंटर (Hypocenter) उस स्थान को कहते हैं, जहां चट्टान पहली बार टूटती है. एपिसेंटर (Epicenter) धरती का वो हिस्सा होता है, जो फोकस एरिया के ठीक ऊपर होता है.
क्या भूकंप का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है? (Can earthquake be predicted?)
भूकंप का पूर्वानुमान या भविष्यवाणी संभव नहीं है, क्योंकि यह बता पाना संभव नहीं है कि कब भूमिगत चट्टानें टूटेंगी. वैज्ञानिकों ने यह तो पता कर लिया है कि भूकंप की वजह क्या है, लेकिन अब तक यह पता नहीं चल पाया है कि भूमिगत चट्टानें कब टूटेंगी.
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क्या कहते हैं भूवैज्ञानिक (what Geologists say?)
प्रसिद्ध भूवैज्ञानिक नितीश प्रियदर्शी बताते हैं कि भूकंप दो तरह का होता है-
- 1.प्लेट की मूवमेंट की वजह से आने वाला भूकंप
- 2. चट्टानों में उपस्थित तनाव की वजह से आने वाला भूकंप
भूकंप तब आता है जब भूभर्गीय प्लेट टूटती हैं. भारत का हिमालयी क्षेत्र जहां भूकंप आया है, वह भूकंप आने वाले जोन में शामिल है. यहां प्लेट की मूवमेंट की वजह से भूकंप आया है. 65 मिलियन साल पहले हिमालय का निर्माण भी इसी तरह के भूकंप से हुआ था. हिमालयी इलाकों में अभी भी प्लेट्स की मूवमेंट होती रहती है. यही वजह है कि यहां भूकंप ज्यादा आते हैं. भूकंप की भविष्यवाणी संभव नहीं है, क्योंकि वैज्ञानिकों को अब तक यह पता नहीं चल पाया है कि भूगर्भीय चट्टानें कब टूटेंगी. हां] यह जरूर बताया जा सकता है कि किन इलाकों में भूकंप की संभावना ज्यादा है.
झारखंड-बिहार में भूकंप का कितना है खतरा?
झारखंड में भूकंप की संभावना अब ज्यादा नहीं है, क्योंकि हिमालय के निर्माण के वक्त इस इलाके में भूकंप ज्यादा आए हैं. यहां जो नदी-झरने हैं, वे इसका प्रमाण है. यही वजह है कि झारखंड में तीव्र भूकंप की संभावना बहुत कम है. हां यह संवेदनात्मक भूकंप की संभावना है, यानी भूकंप कहीं और आएगा और उसके प्रभाव से यहां भी धरती कांपेगी, लेकिन उसकी तीव्रता काफी कम होगी.
लेकिन बिहार में यह स्थिति नहीं है. बिहार हिमालयी क्षेत्र में पड़ता है और वहां भूकंप की आशंका अभी भी बनी हुई है. 1934 का भीषण भूकंप यहां के लोगों को अभी तक याद होगा. बिहार में तीव्र भूकंप की आशंका अभी भी है.
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FAQ : क्या भूकंप का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है?
नहीं.
क्या हिमालय पर्वत का जन्म भूकंप से हुआ था?
हां, भूकंप के जरिए 65 मिलियन साल पहले हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ था.