Hypersonic Missile: हाइपरसोनिक मिसाइल की खासियत यह है कि इसकी गति इतनी तीव्र होती है कि शत्रु देश इस मिसाइल को ट्रेस नहीं कर पाता है. यही वजह है कि भारत ने अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाने के लिए इस मिसाइल के परीक्षण पर अपना जोर लगाया है और सफलता भी हासिल की है. 17 नवंबर को ओडिशा के तट से हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया गया. यह मिसाइल युद्ध की स्थिति में दुश्मनों के दांत खट्टे कर सकता है.
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने हाइपरसोनिक मिसाइल के सफल परीक्षण के बारे में सोशल मीडिया के जरिए जानकारी दी है. उन्होंने एक्स पर पोस्ट लिखा कि अब भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है, जिनके पास इतनी आधुनिक और ताकतवर सैन्य शक्ति है. यह परीक्षण सुरक्षा के दृष्टिकोण से मील का पत्थर है. उन्होंने इसके लिए डीआरडीओ के सदस्यों को बधाई दी है.
हाइपरसोनिक मिसाइल से क्या होगा लाभ?
हाइपरसोनिक मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत उसकी गति है. इसकी गति इतनी तीव्र है कि यह सैन्य शक्ति में अभूतपूर्ण बदलाव ला सकता है. हाइपरसोनिक मिसाइल किसी भी देश की सुरक्षा को मजबूत करने में गेमचेंजर साबित हो सकता है. इसकी गति ध्वनि की गति से पांच गुना अधिक है. इसका प्रयोग उस जगह पर बहुत खास हो जाता है जब टारगेट काफी दूर हो और अपने पास सुरक्षा के कोई अन्य इंतजाम ना हों. चूंकि इस मिसाइल के लक्ष्य और वह क्या ढोकर ले जा रहा है यह पता करना मुश्किल है, इसलिए इसे बहुत ही खास मिसाइल के रूप में देखा जा रहा है.
हाइपरसोनिक मिसाइल की खासियत
हाइपरसोनिक मिसाइल अधिकतर उन्हीं देशों के पास हैं, जिनके पास परमाणु हथियार हैं. इसलिए इस मिसाइल को बहुत ही खास माना जाता है. ओडिशा में जिस हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण हुआ है वह 1500 किलोमीटर तक अपने साथ हथियारों को ले जा सकता है. इस हाइपरसोनिक मिसाइल की खासियत यह है कि यह अपना टारगट कभी मिस नहीं करती है. बताया जा रहा है कि यह मिसाइल लगभग 6,200 प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है.
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किन देशों के पास है हाइपरसोनिक मिसाइल?
अटलांटिक काउंसिल के अनुसार विश्व में केवल संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और रूस के पास ही हाइपरसोनिक मिसाइल हैं, हालांकि उत्तर कोरिया और यमन में हैतियों ने भी यह दावा किया है कि उन्होंने हाइपरसोनिक मिसाइलों का परीक्षण किया है. हाइपरसोनिक मिसाइलों को बनाने में सबसे आगे रूस और चीन जैसे देश हैं. इन्होंने अपनी पूरी ताकत हाइपरसोनिक मिसाइलों को बनाने में लगाई है. उनके अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका भी इस तरह के मिसाइलों को विकसित कर रहा है और पूरी योजना के तहत इसपर काम कर रहा है. रूस ने तो यूक्रेन के साथ में इस हाइपरसोनिक मिसाइल का प्रयोग भी किया था.
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