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Inspirational journey: मुश्किलों में बटोरा साहस, गुझिया व पापड़ से खड़ा किया ब्रांड

हर किसी के जीवन में उतार-चढ़ाव आते हैं. कोई हार मान लेता है, तो कोई इन्हीं मुश्किलों में से रास्ता निकाल कर खुद को खड़ा कर लेता है. राजस्थान की निर्मला शेखावत को भी कुछ इसी तरह जिंदगी के उतार-चढ़ाव झेलने पड़े. कुछ रुक कर उन्होंने अपने साहस को बटोरा और राजस्थानी स्वाद व परंपरा के बलबूते एक ऐसा स्टार्टअप खड़ा कर दिया, जो आज उन्हें एक नयी पहचान दिला रहा है.

Inspirational journey: निर्मला शेखावत जोधपुर की रहने वाली निर्मला का जीवन पति और तीन बच्चों के साथ खुशहाल चल रहा था, लेकिन साल 2020 में उनकी इस खुशहाल जिंदगी को मानो नजर लग गयी, जब पति का ब्रेन हैमरेज होने से निधन हो गया. दूसरी तरफ कोविड-19 के लॉकडाउन ने घर की आर्थिक स्थिति को और भी खराब कर दिया. इससे उनका संघर्ष काफी बढ़ गया. दुनिया की परेशानियों से घिरी और धीरे-धीरे अवसाद में डूबती निर्मला को अपने मां, भाई और भाभी का सहारा और हौसला मिला. जिंदगी को फिर से शुरू करने का करीबियों ने प्रोत्साहन दिया. इसके बाद निर्मला ने घर से ही कामकाज की शुरुआत कर दी. निर्मला बताती हैं, “मैंने बचपन से ही मां, दादी, नानी और घर की बाकी महिला सदस्यों को खाना पकाते देखा है, इसलिए थोड़ा रुझान तो पहले से था. लेकिन मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं इस तरह अपने कारोबार की शुरुआत करूंगी. हालांकि मन में इच्छा थी कि अपना कुछ करूं और अपने शौक को समय दूं. भले ही परिस्थितिवश, लेकिन मैंने धीरे-धीरे अपनी एक पहचान बनाने की नींव रखी.”

ब्रांड नेम के पीछे दिलचस्प वजह

निर्मला की शादी कम उम्र में हो गयी थी. उन्हें व्यवसाय का कोई अनुभव नहीं था, इसलिए संघर्ष के दिनों में पारंपरिक राजस्थानी स्नैक्स ‘पापड़’ बनाकर बेचने की शुरुआत की, जिसका नाम उन्होंने ‘मारवाड़ी मनवार’ रखा. हालांकि शुरुआत में वे हिचकिचाती थीं, लेकिन उन्हें पता था कि हालात उनसे आगे बढ़ने और आत्मनिर्भर बनने की मांग कर रहे थे. वे अपने तीन बच्चों को वही जिंदगी देना चाहती थीं, जिसके वे हकदार थे. इसलिए निर्मला ने अपने काम को जारी रखा और मां एवं भाभी के साथ मिलकर कामकाज को आगे बढ़ाती रहीं. अपने कारोबार के नामकरण के बारे में वे बताती हैं, जोधपुर के लोग अपनी ‘मनुहार’ या ‘मनवार’ की परंपरा के लिए मशहूर हैं. इसका मतलब मेहमानों या अपने करीबी लोगों को बड़े सम्मान और प्यार से खिलाना-पिलाना होता है.

ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों पर मौजूद

आज मारवाड़ी मनवार 150 से ज्यादा तरह के राजस्थानी स्नैक्स बेचता है, जो उनकी मेहनत और लगन का नतीजा है. आज इस व्यवसाय में 30 से ज्यादा महिलाएं काम कर रही हैं. यह भारत और विदेश दोनों में ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों पर मौजूद है. निर्मला बताती हैं, “मैंने अपना पहला ऑर्डर 150 रुपये का लिया था और आज यह कारोबार अब त्योहारी सीजन में हर महीने 1.5 लाख रुपये तक पहुंच जाता है.” उन्होंने अपनी मार्केटिंग के लिए सोशल मीडिया पर पेज बनाये हुए हैं. साथ ही वे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी मौजूद हैं, जहां से लोग ऑर्डर कर सकते हैं. वे विभिन्न तरह के अचार, पापड़, चिप्स, गुझिया आदि पारंपरिक राजस्थानी स्नैक्स तैयार करती हैं.

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बिजनेस में परिवार की अलग-अलग भूमिका

निर्मला बताती हैं कि मैं अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां और भाभी को देती हूं, जो मसाला मिक्स तैयार करती हैं. मेरे भाई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म संभालते हैं. ससुराल के लोग भी हर कदम पर समर्थन करते हैं. निर्मला ने अपनी पढ़ाई जारी रखने का निर्णय लिया है और अब वे कला स्नातक की डिग्री हासिल करने की तैयारी कर रही हैं. वे कहती हैं, ”भगवान ने हर किसी को खास प्रतिभा दी है. उस प्रतिभा को पहचानना और उसी पर ध्यान लगाना चाहिए. बैठे रहने से कुछ हासिल नहीं होगा. आगे बढ़ने के लिए आपको मेहनत करनी पड़ेगी”.

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