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भारत ने आधी रात को आजादी क्यों स्वीकार की थी? माउंटबेटन को लिखी गई चिट्ठी में क्या था…

Story Of Partition Of India 5 : अंग्रेजों की गुलामी से भारत पूरे दो सौ साल बाद आजाद हुआ था. लेकिन यह आजादी अपने साथ तबाही भी लेकर आई थी. 10 लाख लोगों की मौत विभाजन के बाद हुए दंगों में हो गई थी. आजादी के महज छह माह बाद ही महात्मा गांधी की हत्या हो गई और पाकिस्तान ने भी कश्मीर पर हमला कर दिया था, जिसमें हजारों लोगों की जान गई थी. उस वक्त भारत की आजादी के मुहूर्त को लेकर चर्चा हुई थी.

Story Of Partition Of India 5 : 18 जुलाई 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित किया गया. इस अधिनियम के पास होने से यह तय हो गया कि भारत अब  आजाद हो जाएगा और उसके दो टुकड़े हो जाएंगे. इससे पहले 3 जून 1947 को कांग्रेस और मुस्लिम लीग के नेताओं ने भारत के विभाजन को स्वीकार कर लिया था. इस बात की सूचना जब रेडियो द्वारा प्रसारित हुई और महात्मा गांधी तक सूचना पहुंची, तो वे बहुत निराश हुए. उन्होंने देश के विभाजन को भयानक बहुत ही भयानक कहा था. भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम से यह तो तय हो गया था कि भारत को स्वतंत्रता देश के विभाजन के साथ मिल रही है, लेकिन अंग्रजों के जाने की तिथि अभी घोषित नहीं थी, क्योंकि सत्ता हस्तांतरण का काम पूरा नहीं हुआ था, जो बहुत ही महत्वपूर्ण था.

भारत के विभाजन की खबर का महात्मा गांधी पर कैसा था असर

Mahatma Gandhi With Mountbatten In 1947
भारत के विभाजन का महात्मा गांधी पर असर

महात्मा गांधी को जिस दिन यह सूचना मिली कि भारत को आजादी विभाजन के साथ मिलेगी, वह उनके मौन का दिन था. महात्मा गांधी हमेशा यह कहते थे कि देश के विभाजन से पहले वे अपने शरीर के दो टुकड़े कर देंगे. लेकिन उनके सामने देश के टुकड़े हुए और उनके शागिर्दों ने इसपर सहमति भी दे दी. 4 जून को गांधीजी कांग्रेस के नेताओं से नाता तोड़कर अपनी प्रार्थना सभा में इस निर्णय की आलोचना करने वाले थे. यह खबर मिलते ही वायसराय माउंटबेटन उनसे मिलने पहुंचे और उन्हें समझाया कि आप ही कहते थे कि देश का विभाजन होगा या नहीं यह हिंदुस्तानियों पर छोड़ दिया जाए, तो यह हिंदुस्तानियों की ही इच्छा है. माउंटबेटन ने गांधी जी को कई तरह के तर्क देकर समझाने की कोशिश की, जिसमें वे काफी हद तक सफल भी हो गए. गांधी जी प्रार्थना सभा में पहुंचे,तो उन्होंने कहा कि विभाजन के लिए वायसराय को दोष देने का कोई फायदा नहीं है. आप सब अपने मन को टटोलिए तब पता चलेगा कि जो हुआ, वह क्यों हुआ. 

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कैसे हुई थी आजादी की तिथि की घोषणा

माउंटबेटन एक संवाददाता सम्मेलन में अपनी योजनाओं की जानकारी दे रहे थे. बता रहे थे कि किस तरह पावर ट्रांसफर होगा. इस संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों का मजमा लगा था. सभी सवाल पूछ रहे थे और इस संवाददाता सम्मेलन का अंतिम प्रश्न एक भारतीय पत्रकार ने किया और उनसे पूछा कि सत्ता हस्तांतरण के लिए कोई तिथि निर्धारित की गई है क्या? इसपर माउंटबेटन ने उनसे कहा कि जी हां, बिलकुल तिथि निर्धारित है. माउंटबेटन ने अचानक ही अपने मन से यह बता दिया कि भारत को आजादी 15 अगस्त को मिलेगी.

क्या भारत को आजादी अशुभ मुहूर्त में मिली थी? 

Independence Of India
भारत की स्वतंत्रता का मुहूर्त

माउंटबेटन द्वारा आजादी की तिथि घोषित किए जाने के बाद जब यह सूचना रेडियो द्वारा प्रसारित हुई कि भारत को आजादी 15 अगस्त 1947 को मिलेगी तो भारतीय ज्योतिषियों को झटका लग गया. उनके अनुसार यह तिथि शुभ नहीं थी. कोलकाता के एक ज्योतिष मदनानंद ने तो माउंटबेटन को एक पत्र भी लिखा था जिसमें यह जिक्र था कि यह अनर्थ ना करें, भारत को 15 अगस्त को आजादी ना दें. इस दिन अगर भारत को आजादी मिली तो नरसंहार होगा. बाढ़, अकाल जैसी त्रासदी का सामना करना पड़ सकता है. इससे अच्छा तो यह हो कि भारत एक और दिन गुलामी की त्रासदी सह ले. इस बात का जिक्र डोमिनीक लापिएर और लैरी काॅलिन्स की किताब फ्रीडम एट नाइट में किया गया है. वरिष्ठ पत्रकार दुर्गादास ने अपनी किताब ‘इंडिया – फ्राम कर्जन टू नेहरू एंड आफ्टर’ में भी इस बात का जिक्र किया है कि 15 अगस्त का दिन आजादी के लिए शुभ नहीं माना गया था. इसका रास्ता निकालने के लिए नेहरू जी ने दिल्ली के ज्योतिषों से बात की और फिर शुरू हुई ज्योतिषीय गणना. गणना के बाद यह तय हुआ कि भारत को आजादी 15 अगस्त (अंग्रेजी तारीख से रात के 12 बजे) को ही मिलेगी, लेकिन ज्योतिषीय गणना के अनुसार दिन की शुरुआत उदयातिथि से होती है और उससे पहले का समय आजादी के लिए शुभ था. यानी भारत को आजादी ज्योतिषीय गणना के अनुसार शुभ मुहूर्त में मिली थी.

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भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम ब्रिटिश संसद से कब पारित हुआ था?

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम ब्रिटिश संसद से 18 जुलाई 1947 को पारित हुआ था.

भारत की आजादी की तारीख किसने घोषित की थी?

भारत की आजादी की तारीख लॉर्ड माउंटबेटन ने घोषित की थी.

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