ज्ञान, शील, एकता परिषद की विशेषता. कॉेलेज और यूनिवर्सिटी कैंपस से गुजरने वाले हर शख्स की नजरों से यह नारा जरूर गुजरा होगा. यहां परिषद का मतलब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद(ABVP) से है. खुद को दुनिय़ा के सबसे बड़े छात्र संगठन होने का दावा करने वाले इस छात्र संगठन का 9 जुलाई को पंजीकरण दिवस है. इसे यह छात्र संगठन शैक्षिक परिसरों में राष्ट्रीय छात्र दिवस के रूप में प्रचारित करता है. किसी छात्र संगठन का महत्वपूर्ण दिन राष्ट्रीय छात्र दिवस कैसे? यह पूछे जाने पर विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ला कहते हैं कि छात्रों के बीच राष्ट्रीय चरित्र के निर्माण के लिए उनका संगठन प्रयासरत है. शैक्षिक परिसरों में इसी राष्ट्रीय भाव के जागरण के लिए 9 जुलाई को राष्ट्रीय़ छात्र दिवस मनाया जाता है. हम छात्रों के बीच एक संगठन नहीं बनना चाहते हैं, बल्कि संपूर्ण छात्रों का संगठन बनकर राष्ट्रीय़ पुनर्निर्माण के महान लक्ष्य की प्राप्ति करना चाहते हैं.
क्या भाजपा में जाने का लांचिंग पैड है विद्यार्थी परिषद
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि विद्यार्थी परिषद कॉेलेज में विद्यार्थियों को हिंदुत्व के विचार से जोड़ता है. ये कार्यकर्ता पढ़ाई पूरी करने के बाद भाजपा के यूथ विंग भारतीय जनता युवा मोर्चा के कैडर बनते हैं. फिऱ वहां से उनकी क्षमता का आकलन कर उन्हें भाजपा नेतृत्व के अलग-अलग स्तरों के लिए तैयार किया जाता है. वर्तमान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय पथ निर्माण मंत्री नितिन गडकरी और कई राज्यों के मुख्यमंत्री नेतृत्व विकास की इसी प्रक्रिया से शीर्ष पर पहुंचे हैं. विद्यार्थी परिषद कार्यकर्ताओं की भाजपा में इतनी शानदार सफलता को हिंदुत्व के सिद्धांतकार महज संयोग मानते हैं. ध्येय यात्रा नाम से दो खंडों में विद्यार्थी परिषद का इतिहास लिखने वाले मनोजकांत कहते हैं कि ऐसा मानना विद्यार्थी परिषद की अधूरी तस्वीर पेश करना होगा.
भाजपा से वैचारिक बहनापा अब कहीं छत्रछाया तो नहीं
हिंदुत्व की विचारधारा और उससे जुड़े संगठनों की कार्यपद्धति के गहन अध्येता और EMERGING HINDU FORCES नामक पुस्तक के लेखक फादर प्रकाश लुईस कहते हैं कि हिंदुत्व की विचारधारा के अलग-अलग क्षेत्रों में प्रसार के लिए आरएसएस ने कई आनुषंगिक संगठनों की स्थापना की. विद्यार्थियों के बीच हिंदुत्व फैलाने के लिए विद्यार्थी परिषद की स्थापना की गई. यह सच है कि शुरूआती दिनों में विद्यार्थी परिषद पर भाजपा का नियंत्रण नहीं था. इसलिए ABVP का BJP से संबंध स्टूडेंट विंग की तरह नहीं था. पर अब स्थिति बदल रही है.
बीजेपी का कोई स्टूडेंट विंग नहीं, कॉलेज कैंपस में परिषद का सहारा
भाजपा और विद्यार्थी परिषद का मातृ संगठन एकः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ. दोनों की विचारधारा लगभग समान. भाजपा के पास उसके राजनीतिक एजेंडे को यूनिवर्सिटी कैंपस में फैलाने वाला कोई स्टूडेंट विंग भी नहीं. फिर भी ABVP क्यों नहीं बनती BJP की स्टूडेंट विंग? जवाब में विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय़ महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ला कहते हैं कि कदापि नहीं. शुक्ला कहते हैं कि विद्यार्थी परिषद आका नहीं आइडियोलॉजी के आधार पर काम करती है. इसलिए हमारे झंडे पर केवल स्वामी विवेकानंद का फोटो कल भी था, आज भी है. हम कई बार मुद्दों के आधार पर भाजपा का विरोध भी करते हैं. नीट में हुई गड़बड़ी के खिलाफ हम सीबीआई जांच की मांग भाजपा नीत केंद्र सरकार से कर रहे हैं. बिहार में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के परिसर के सवाल पर हमने भाजपा के तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी तक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था.
ALSO READ:EXCLUSIVE: झारखंड विधानसभा चुनाव समय से पहले होगा या नहीं, पतरातू डैम पर होगा फैसला