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Women Protection : Women Safety Laws and Initiatives : जानिए भारत में महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाये गये कानून और सरकार द्वारा की गयी कुछ विशिष्ट पहलों के बारे में

हमारे देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए समय-समय पर अनेक कानून बनाये गये हैं और सरकार द्वारा अनेक कदम भी उठाये गये हैं. जानिए इनके बारे में...

Women Protection : देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकार ने अनेक कानून बनाये हैं. इसके साथ तमाम तरह की पहल भी शुरू की गयी है ताकि महिलाओं को एक सुरक्षित वातावरण मिल सके और वे आगे बढ़ सकें. जानिए महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े कानूनों व पहलों के बारे में.


महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून

महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए देश में तमाम कानून बने हैं और उनके तहत कार्रवाई भी होती है.

  • कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध एवं निवारण) अधिनियम 2013 : सर्वोच्च न्यायालय के विशाखा दिशा-निर्देशों के आधार पर तैयार इस अधिनियम का उद्देश्य महिलाओं के काम करने के लिए सुरक्षित वातावरण का निर्माण करना है.
  • दंड विधि (संशोधन) अधिनियम 2013 : इसे ‘निर्भया अधिनियम’ के नाम से भी जाना जाता है. इस कानून के तहत यौन अपराधों के लिये दंड को सख्त बनाया गया है. अधिनियम में दुष्कर्म, पीछा करने और उत्पीड़न जैसे अपराधों के लिए कठोर दंड का प्रावधान है.
  • यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) : वर्ष 2012 में अधिनियमित यह अधिनियम बच्चों के विरुद्ध यौन अपराधों के मामलों को विस्तृत रूप से परिभाषित करता है. इसमें न केवल अपराधों के लिये दंड का प्रावधान है, बल्कि पीड़िता की सहायता और अपराधियों को पकड़ने के लिए भी प्रावधान किये गये हैं.

उपरोक्त कानूनों के अतिरिक्त बाल विवाह पर रोक के लिए बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006, घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005, विज्ञापनों, प्रकाशनों, लेखों समेत किसी भी माध्यमों के जरिये स्त्रियों का गलत व अश्लील तरीके से चित्रण करने से रोकने के लिए स्त्री अशिष्ट रूपण (प्रतिषेध) अधिनियम, 1986, वेश्यावृत्ति या देह व्यापार में स्त्रियों को धकेलने से बचाने के लिए अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956 जैसे कानून भी देश में विद्यमान हैं.

सरकार द्वारा की गयी पहलें

निर्भया फंड : सरकार ने महिला की सुरक्षा बढ़ाने व उसे संरक्षण देने वाली परियोजनाओं की सहायता के लिए ‘निर्भया फंड’ की स्थापना की है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय इस फंड के तहत वित्तपोषण की समीक्षा और अनुशंसा करने के लिए नोडल प्राधिकरण के रूप में कार्य करता है.

‘वन स्टॉप सेंटर’ और महिला हेल्पलाइन : महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने हिंसा से प्रभावित महिलाओं को एकीकृत सहायता प्रदान करने के लिये वन स्टॉप सेंटर की शुरुआत की है. मंत्रालय ने चौबीसो घंटे व सातो दिन आपातकालीन एवं गैर-आपातकालीन सहायता प्रदान करने के लिए महिला हेल्पलाइनों की योजना भी शुरू की है.

महिला पुलिस स्वयंसेवक : इसमें राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में महिला पुलिस वालंटियर्स की तैनाती करना शामिल है. ये वालंटियर्स पुलिस और समुदाय के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करती हैं तथा संकट में फंसी महिलाओं की सहायता करती है.

स्वाधार गृह योजना : महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचालित इस योजना का उद्देश्य ऐसी महिलाओं की सहायता करना है जो चुनौतीपूर्ण स्थितियों का सामना कर रही हैं और जिन्हें पुनर्वास की जरूरत है. यह योजना आश्रय, भोजन, कपड़े, स्वास्थ्य सेवा जैसी सुविधाएं प्रदान करती है और इन महिलाओं के गरिमापूर्ण जीवनयापन में मदद करने के लिये आर्थिक एवं सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करती है.

कामकाजी महिला छात्रावास योजना : इस योजना का उद्दश्य कामकाजी महिलाओं के लिए सुरक्षित एवं सुविधाजनक स्थान पर आवास उपलब्ध कराना है.

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