Women Violence : महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों से निपटना आसान नहीं है, कड़े कानून व जागरूकता के बावजूद देश-दुनिया में उनके प्रति अपराध रुक नहीं रहे हैं. महिलाएं चिंतित व सशंकित हैं कि आखिर वे जाएं तो जाएं कहां. आम जन के साथ ही अनेक माननीयों का आचरण भी महिलाओं को लेकर अभद्र ही रहा है, एडीआर की हालिया रिपोर्ट ने इसकी पुष्टि की है.
क्या कहती है विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में तीन में से कम से कम एक महिला को अपने जीवनकाल में शारीरिक या यौन हिंसा का सामना करना पड़ता है. और लगभग 10 लड़कियों में से एक को जबरन शारीरिक संबंध या अन्य यौन कृत्यों का सामना करना पड़ता है.
घरेलू हिंसा में आयी है कमी, पर चुनौतियां अभी भी बरकरार
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 की रिपोर्ट, 2022 के अनुसार, भारत में लगभग एक-तिहाई महिलाओं ने शारीरिक या यौन हिंसा का अनुभव किया है, जबकि महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा 31.2 प्रतिशत से घटकर 29.3 प्रतिशत हो गयी है. देश में 18 से 49 वर्ष की उम्र के बीच की 30 प्रतिशत महिलाओं ने 15 साल की उम्र से शारीरिक हिंसा का अनुभव किया है, जबकि छह प्रतिशत ने अपने जीवनकाल में यौन हिंसा का सामना किया है.
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अनेक माननीयों का आचरण भी है अमर्यादित
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की हालिया रिपोर्ट बताती है कि महिलाओं को लेकर अनेक माननीयों का आचरण अमर्यादित व अभद्र ही रहा है. एक चुनाव अधिकार निकाय की हालिया रिपोर्ट की मानें, तो कम से कम 151 मौजूदा सांसदों और विधायकों ने अपने चुनावी हलफनामे में बताया है कि उन पर महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामले हैं. इन अपराधों का सामना करने वालों में 16 सांसद और 135 विधायक हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, इस तरह के अपराध का सबसे अधिक सामना पश्चिम बंगाल के मौजूदा सांसद/विधायक कर रहे हैं. इस राज्य के 25 मौजूदा सांसदों और विधायकों पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के आरोप हैं. पश्चिम बंगाल के बाद आंध्र प्रदेश के माननीयों का नंबर है, जिसके 21 सांसद व विधायक आरोप का सामना कर रहे हैं. वहीं ओडिशा के 17 सांसदों व विधायकों पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के आरोप हैं. जहां दिल्ली व महाराष्ट्र के 13-13 विधायकों/सांसदों पर महिलाओं के साथ अभद्रता के आरोप हैं, वहीं बिहार के नौ, कर्नाटक के सात, राजस्थान के छह और मध्य प्रदेश, केरल व तेलंगाना के क्रमश: पांच-पांच माननीय इस आरोप से जूझ रहे हैं. गुजरात, तमिलनाडु व उत्तर प्रदेश भी पीछे नहीं हैं. इन राज्यों के क्रमश: चार-चार जनप्रतिनिधियों पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के आरोप लगे हैं. वहीं झारखंड व पंजाब के तीन-तीन, असम व गोवा के दो-दो और हिमाचल प्रदेश, मणिपुर तथा दादर नगर हवेली और दमन व दीव के क्रमश: एक-एक सांसदों/विधायकों के आचरण भी महिलाओं के प्रति सही नहीं है और वे उनके खिलाफ अत्याचार के आरोप का सामना कर रहे हैं.
स्रोत : एडीआर