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पुस्तक समीक्षा : ‘प्रेमांजली’ में प्रेम, तो ‘अंतर्नाद’ में भूख की तड़प

युवा कवि व पत्रकार पंकज भूषण पाठक"प्रियम" के दो कविता संग्रह ‘प्रेमांजली’ और ‘अंतर्नाद का लोकार्पण हाल ही में हुआ है. ‘प्रेमांजली’ में श्रृंगार रस की कविताएं हैं, जहां प्रेम का हर रूप विद्यमान है, मिलन की खुशी है तो विरह की तड़प है. इसमें कुल 75 रचनाएं हैं जिसमें से 25 दिल को छूती […]

युवा कवि व पत्रकार पंकज भूषण पाठक"प्रियम" के दो कविता संग्रह ‘प्रेमांजली’ और ‘अंतर्नाद का लोकार्पण हाल ही में हुआ है. ‘प्रेमांजली’ में श्रृंगार रस की कविताएं हैं, जहां प्रेम का हर रूप विद्यमान है, मिलन की खुशी है तो विरह की तड़प है. इसमें कुल 75 रचनाएं हैं जिसमें से 25 दिल को छूती गजलें हैं. 95 पृष्ठों की इस किताब की कीमत 199 रुपये है.

वहीं ‘अंतर्नाद‘ में देश, काल और समाज का असली चेहरा दिखाया गया है. इसमें भूख -बेरोजगारी से तड़पते समाज का चित्रण है. भूख में जिस्म बेचने की मजबूरी का दर्दनाक चित्रण है. पड़ोसी देशों के नापक इरादों की झलक है.
पुस्तकों के लेखक पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ पिछले दो दशक से लेखन के क्षेत्र में जुटे हैं. दोनों ही किताबों में उनका हुनर स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है. गज़ल,नाटक कहानी,लेख और निबंध लेखन में सक्रिय हैं.

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