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पुण्यतिथि : भीष्म साहनी ने अपने लेखन से मानवीय मूल्यों को स्थापित किया

आज शीर्षस्थ साहित्यकार भीष्म साहनी की पुण्यतिथि है. भीष्म साहनी की कालजयी रचना ‘तमस’ के लिए पूरा साहित्यजगत उन्हें हमेशा याद करेगा. इस उपन्यास का कई भाषाओं में अनुवाद हुआ है. भीष्म साहनी की यह रचना भारत-पाकिस्तान के विभाजन पर आधारित थी. भीष्म को इस उपन्यास के लिए 1975 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था. […]

आज शीर्षस्थ साहित्यकार भीष्म साहनी की पुण्यतिथि है. भीष्म साहनी की कालजयी रचना ‘तमस’ के लिए पूरा साहित्यजगत उन्हें हमेशा याद करेगा. इस उपन्यास का कई भाषाओं में अनुवाद हुआ है. भीष्म साहनी की यह रचना भारत-पाकिस्तान के विभाजन पर आधारित थी. भीष्म को इस उपन्यास के लिए 1975 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था.

भीष्म साहनी एक ऐसे रचनाकार थे, जो अपनी अद्‌भुत लेखन शैली और गहन समझ के कारण लोगों के बीच लोकप्रिय थे. वे पात्रों को इतनी गहराई से गढ़ते थे कि पढ़ने वाला उसमें रम जाता था. भीष्म साहनी ने हमेशा अपने लेखन में मानव मूल्यों को स्थापित किया, इसलिए उन्हें आदर्शवादी लेखक भी कहा जाता है.

भीष्म साहनी का जन्म आठ अगस्त 1915 में अविभाजित भारत के रावलपिंडी में हुआ था. वे मशहूर अभिनेता बलराज साहनी के भाई थे. उनका निधन 11 जुलाई 2003 को दिल्ली में हुआ था. उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में बीए किया था.

प्रमुख रचनाएं
उपन्यास – झरोखे, तमस, बसन्ती, मायादास की माडी, कुन्तो, नीलू निलिमा निलोफर
कहानी संग्रह – मेरी प्रिय कहानियां, भाग्यरेखा, वांगचू, निशाचर
नाटक – हनूश , माधवी , कबीरा खड़ा बजार में , मुआवज़े
आत्मकथा – बलराज माय ब्रदर
बालकथा- गुलेल का खेल

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