नयी दिल्ली : हिन्दी बोलने मात्र से भारत का बोध होता है. विश्व के किसी भी कोने में कोई हिन्दी बोलते और सुनते नजर आयेंगे, तो उनका सरोकार भारत से ही होगा. भारतीयता को हिन्दी के माध्यम से वैश्विक स्तर पर पहुंचाने का बीड़ा उठाया है युवा उद्यमी तरुण शर्मा ने. उन्होंने ‘द हिन्दी’ नाम से एक नया वेबसाइट शुरू किया है.
हाल के कुछ वर्षों में हिन्दी वेबसाइट का पूरा जोर है. इसके बीच आखिर द हिन्दी क्या नया करेगा ? इस सवाल के जवाब में तरुण शर्मा ने कहा कि असल में हिन्दी बोलने मात्र से भारत का बोध होता है. विश्व के किसी भी कोने में कोई हिन्दी बोलते और सुनते नजर आयेंगे, तो उनका सरोकार भारत से ही होगा. हमने पहले की तय कर लिया था कि हम घटना प्रधान खबरों की बात नहीं करेंगे. हम भारतीय सभ्यता, संस्कृति और साहित्य की बात करेंगे. हम अपने लोक की बात करेंगे. घर के बड़े-बुजुर्ग कहा करते हैं कि जो इस लोक की बात नहीं करता, उसका परलोक में भी स्थान नहीं है. इसलिए हमने लोक की बात करने प्रण लिया.
‘द हिन्दी’ के प्रबंध संपादक तरुण शर्मा ने कहा कि हिन्दी हमारी मातृभाषा है. मनुष्य की मातृभाषा उतनी ही महत्व रखती है, जितनी कि उसकी माता और मातृभूमि रखती है. एक माता जन्म देती है, दूसरी खेलने-कूदने, विचरण करने और सांसारिक जीवन निर्वाह के लिए स्थान देती है. तीसरी, मनोविचारों और मनोगत भावों को दूसरों पर प्रकट करने की शक्ति देकर मनुष्य जीवन को सुखमय बनाती है.
सर आइजेक पिटमैन ने कहा है कि संसार में यदि कोई सर्वांग पूर्ण लिपि है, तो वह देवनागरी है. विदेशी भाषा के माध्यम से पढ़ाई, अनुसंधान, पुस्तकें आदि आधुनिकता के भी विरुद्ध है, क्योंकि आधुनिक-ज्ञान, समाज के सभी वर्गो तक अपनी भाषा में ही पहुंचाया जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि ‘द हिन्दी’ के माध्यम से हम हर मोबाइल तक पहुंचने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं.