रांची : ‘ख़ुद को इतना भी मत बचाया कर, बारिशें हों तो भीग जाया कर’ ऐसे ही उम्दा शेरों से मुंबई से आये मशहूर शायर शकील आज़मी ने श्रोताओं को दिल लुभा लिया. मौका था भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र कोलकाता द्वारा ध्वनि लाइव के सहयोग से शनिवार की शाम झारखंड की राजधानी रांची स्थिति डोरंडा के पलाश सभागार में आयोजित भव्य अखिल भारतीय कवि सम्मेलन और मुशायरा का. दिल्ली से मोईन शादाब की शानदार शायरी और संचालन कार्यक्रम को ऊंचे मुक़ाम तक पहुंचा दिया.
इनके कलाम इस प्रकार हैं…
‘ये किस का हुस्न महकता है मेरे शेरों में
ये कौन है जो इन्हें खुशगवार करता है
तुम्हारे ग़म को मैं दिल से लगा के रखता हूं
यही तो है जो मुझे बा-वक़ार करता है’
मोइन शादाब के इस शानदार शेर पर दर्शकों और श्रोताओं ने खूब तालिया बजायीं. इसी तरह दिल्ली की कमला सिंह जीनत ने अपने शेर पेश किये. उन्होंने कहा…
‘हम आयेंगे तेरे शहर में लिए बचपन को
क्या अब भी जिंदा है तेरे शहर में खिलौने वाले’
रांची के डॉ शिशिर सोमवंशी के शेर कुछ इस प्रकार थे…
‘अरमान मेरे दिल का यूं भी निकल रहा है
कोई फ़ासले बनाकर मेरे साथ चल रहा है’
जमेशदपुर के अबरार मोज़ीब ने भी इस महफिल में अपनी रचना पेश की.
‘उसकी ठोकर में ताज पहले था
वह मेरा हम मिज़ाज पहले था’
पटना के सदफ़ इक़बाल ने कहा…
‘दर्द मिट्टी है, मेरी मिट्टी में
दर्द दुनिया का कितना कमतर है’
कानपुर की अनीता मौर्य ने कहा…
‘ये जो आंखों में दर्द आया है
जिंदगी ने सबक सिखाया है
वो जो बेहद ज़हीन है लड़का
मेरा दिल उसने ही चुराया है’
नेहाल हुसैन सरैयावी ने कहा…
‘उनकी उल्फ़त से कुछ गिला तो नहीं
हैं वो मजबूर बे वफ़ा तो नहीं
तोड़ के दिल वो मुझसे पूछते हैं
आप कैसे हैं कुछ हुआ तो नहीं’
इस मौके पर समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित झारखंड के वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक संजय कुमार ने कहा कि इस कवि सम्मेलन और मुशायरे को देखने के बाद मेरे बचपन की यादें ताजा हो गयीं. मेरे मन में हिंदी कविता को लेकर हमेशा उत्सुकता रही है. हालांकि, पाठ्यक्रम के दौरान मैंने विज्ञान, इतिहास, राजनीति शास्त्र और लोक प्रशासन आदि की पढ़ाई की है, मगर साहित्य ही एक ऐसी चीज है, जो जीवन को संपूर्ण बना देता है. उन्होंने कहा कि आज के वातावरण में स्थिति ऐसी पैदा हो गयी है कि शिक्षा व्यवस्था से साहित्य दूर होता जा रहा है.
कुमार ने कहा कि जिस्म और जान तो सबमें है, लेकिन हम सभी में एक रूह भी है, लेकिन रूहानी ताकतों को बढ़ाने की शक्ति कलाकारों, कवियों और शायरों में ही है. उन्होंने कहा कि मैं बचपन से ही रांची में रह रहा हूं और यह देखता आ रहा हूं कि इस शहर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की कमी रही है, लेकिन अब यहां जिस तरह से ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन होने लगा है, तो लगता है कि रांची संस्कृति के क्षेत्र का बड़ा शहर जल्द ही बन जायेगा.
इस कार्यक्रम में दिल्ली से आये दूरदर्शन के पूर्व निदेशक डॉ शैलेश पंडित, सुरिंदर कौर नीलम, सीमा चंद्रिका तिवारी, माधवी मेहर, प्रेम हरि ने अपनी रचनाओं से समा बांध दिया. वरिष्ठ शायर हैरत फ़र्रुख़ाबादी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की, आकाशवाणी के सुनील सिंह बादल उद्घाटन समारोह का सूत्र संचालन तथा नेहाल सरैयावी साहब ने कवि परिचय प्रदान किया. समारोह में स्पिकम मैके के राजीव रंजन, दूरदर्शन के पूर्व निदेशक प्रमोद झा, शायर नसीर अफसर, शिल्पकारी के अतुल कुमार, सारिका भूषण, सदानंद सिंह यादव और अन्य लोग उपस्थित थे.