‘इश्क मुबारक’ नाम से ही स्पष्ट है कि इस किताब का विषय प्रेम है. यह किताब तीन लोगों के प्रेम संबंध पर लिखी गयी है, लेकिन कहीं भी प्रेम त्रिकोण महसूस नहीं होता है. प्रेम जब भी होता है, वह सहजता और सरलता के साथ अपनी पूर्णता की ओर अग्रसर सा प्रतीत होता है. उपन्यास के लेखक कुलदीप सिंह राघव प्रेम संबंधों पर बखूबी लिखते यह बात उनकी किताब‘ आई लव यू’ के बेस्ट सेलर बनने के बाद ही स्पष्ट हो गयी है.
कुलदीप राघव युवा लेखक हैं और मात्र 28 साल की उम्र में उन्होंने उपन्यास लिखा है. जैसा कि नाम से ही जाहिर है यह उपन्यास प्रेम संबंध पर लिखी गयी है. इस उपन्यास में प्रेम को परवान चढ़ते और उसका भ्रम टूटते दोनों ही रूप में दिखाया गया है. कहानी में नयापन तो नहीं है, क्योंकि ऐसी कहानियां पहले भी रची जा चुकी हैं. लेकिन इसकी ऐंद्रिकता मन को मोह लेती है. खासकर युवा पाठक उस ऐंद्रिकता को महसूस करके कुलदीप राघव के फैन हो सकते हैं.
इस उपन्यास में समाज के बदलते चेहरे को दिखाया गया है. इसमें यह बताया गया है कि अब भारतीय समाज उस दौर में नहीं है, जब एक शादीशुदा औरत और एक कुंवारे लड़के का प्रेम पाप हुआ करता था. आज एक शादीशुदा औरत अपने प्रेम को पाने के लिए घरवालों से झूठ बोल सकती हैं और अपनी जिंदगी जी सकती है. लेकिन आज भी हमारा समाज कुछ बंदिशों में जीता है और संभवत: वही परिवार नामक संस्था की बुनियाद है, इसका चित्रण भी लेखक ने किताब में किया है. उसने यह बताया है कि किस तरह गर्भवती होने के बाद नायिका साहिबा उपन्यास के नायक मीर को शारीरिक संबंध बनाने से रोकती है, क्योंकि उसे अपने अजन्मे बच्चे को खोने का डर होता है.
स्त्री अमूमन प्यार में सबकुछ शेयर करती है, इसलिए साहिबा ने मीर को अपने बारे में सबकुछ बताया और अपने पति, सास और बच्चों को झूठ बोलकर अपने प्रेमी से मिलने आती है. लेकिन उसका प्रेमी मीर उससे सच छिपाता है, वह साहिबा से यह नहीं बताता कि उसके जीवन में प्रेम वंदना के रूप में पहले से है और उनकी शादी तक होने वाली थी, लेकिन उसके कैरियर को परवान चढ़ाने के लिए उसकी प्रेमिका वंदना उसका इंतजार कर रही हैं.
मीर एक सफल रॉक स्टार बन चुका है और लड़कियों का चहेता भी. उसके रोमांटिक गाने लड़कियों को मदहोश कर देते हैं और इसी मदहोशी में साहिबा उसके पहले तो करीब आती है और उसके बाद दोनों के शारीरिक संबंध तक बन जाते हैं, लेकिन जब साहिबा अपना बच्चा खो देती है, तो उसे बहुत अफसोस होता है और वह उस दिन को कोसने लगती है जब वह मीर से मिली थी. उधर मीर भी साहिबा के साथ हुए दुर्घटना के बाद आपे में नहीं रहता और उसका एक्सीडेंट हो जाता है. उसके एक्सीडेंट की खबर के बाद उसकी प्रेमिका वंदना उसके पास आती है, तब मीर को अपनी भूल का एहसास होता है और वह उसे साहिबा के बारे में सबकुछ बताता है. लेकिन इश्क सबकुछ बर्दाश्त करता है, झूठ और फरेब नहीं. इश्क विश्वास की डोर से जुड़ा होता है, जो टूट चुका है. इसलिए वंदना मीर को उसका ‘इश्क मुबारक’ कहकर उससे दूर चली जाती है. यानी मीर और साहिबा दोनों का प्यार सफल नहीं होता है और उपन्यास का दुखांत होता है.
उपन्यासकार ने आधुनिक समाज को लेकर यह कहानी लिखी है. जो रोचक है. होटल, टूरिस्ट प्लेस और नायिका की खूबसूरती का वर्णन भी काफी खुशनुमा है.लेकिन कहानी में मैच्योरिटी की कमी दिखती है. साथ ही जो कुछ जिस तरह से घटित होता है, वह बहुत ही सहज लगता है, जबकि हमारे समाज में आज भी एक विवाहित स्त्री का प्रेम संबंध सहज नहीं है. लेकिन कुलदीप राघव एक बात में महारत रखते हैं कि वे युवा पाठकों को बांधकर रख सकते हैं और यह एक उपन्यासकार के लिए बड़ी खूबी हो सकती है. कुलदीप पत्रकार हैं, इसलिए उनकी भाषा भी आम बोलचाल की भाषा ही है, जो उन्हें आम लोगों से जोड़ती है.